सख्त मोदी सरकार के 'सिंगल यूज प्लास्टिक' पर नरम पड़ने की वजह देशहित में है !
मोदी सरकार ने फिलहाल सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाने के फैसले को टाल दिया है. सरकार ने साफ किया है कि अभी बैन नहीं लगाया जा रहा, बल्कि जागरुकता फैलाने का अभियान चलाया जा रहा है, ताकि 2022 तक सिंगल यूज प्लास्टिक से निपटा जा सके.
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महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ पर गांधी जयंती के दिन मोदी सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाने की योजना बनाई थी. योजना ये थी कि पूरे देश में एक ही बार बैन लगा दिया जाएगा. वैसे तो ऐसा करना मुमकिन नहीं लग रहा था, ऊपर से इससे आर्थिक संकट के और अधिक गहराने की आशंका भी थी, लेकिन मोदी सरकार तो पहले से ही सख्त फैसलों के लिए जानी जाती है, तो अगर बैन लग जाता तो भी हैरानी की बात नहीं होती. लेकिन मोदी सरकार ने फिलहाल सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाने के फैसले को टाल दिया है. सरकार ने साफ किया है कि अभी बैन नहीं लगाया जा रहा, बल्कि जागरुकता फैलाने का अभियान चलाया जा रहा है, ताकि 2022 तक सिंगल यूज प्लास्टिक से निपटा जा सके.
मोदी सरकार की योजना थी कि गांधी जंयती पर 6 चीजों, प्लास्टिक बैग, कप, प्लेट, छोटी बोतलें, स्ट्रॉ और कुछ तरह के शैशे पर बैन लगाया जाए. ये दिखने में भले ही आसान लग रहा हो, लेकिन इसके नतीजे भयानक हो सकते थे, जिसे मोदी सरकार ने भांप लिया और फिलहाल बैन लगाने की योजना को आगे बढ़ा दिया. आपको बता दें कि पीएम मोदी ने 15 अगस्त को ही लाल किले की प्राचीर से इस बात के संकेत दे दिए थे कि वह सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ एक मुहिम चलाने वाले हैं. उन्होंने जनता से अपील की थी कि सिंगल यूज प्लास्टिक को कम से कम इस्तेमाल करें, खास कर पॉलीथीन बैग का तो बिल्कुल इस्तेमाल ना करें. खैर, अभी मोदी सरकार ने फैसला किया है कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन नहीं लगाया जाएगा, बल्कि सिर्फ जागरुकता अभियान चलाया जाएगा. इसकी सूचना सरकार ने अपने स्वच्छ भारत ट्विटर हैंडल के जरिए की.
The Swachhata Hi Seva campaign launched by the Hon'ble PM on 11th September 2019 is not about banning single use plastic but creating awareness and a people's movement to curb its use @PMOindia @moefcc https://t.co/ZTb4jtJ3t8
— Swachh Bharat (@swachhbharat) October 1, 2019
तो अभी सरकार का क्या प्लान है?
फिलहाल सरकार सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए जागरुकता फैलाएगी. साथ ही राज्यों से भी इस पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने को कहेगी. पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी चंद्र किशोर मिश्रा ने रायटर्स को बताया कि अब सरकार प्लास्टिक को लेकर पहले से ही जो नियम हैं, उन्हें सख्ती से लागू करेगी और राज्यों से भी प्लास्टिक को जमा करने, मैन्युफैक्टरिंग और सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी चीजों जैसे पॉलीथीन बैग और स्टाइरोफोन आदि पर शिकंजा कसने को कहेगी.
मोदी सरकार ने फिलहाल सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाने के फैसले को टाल दिया है.
बैन लगता तो लाखों लोग बेरोजगार हो जाते
देश पहले ही मंदी के दौर से गुजर रहा है. हर सेक्टर में मंदी का असर साफ देखा जा सकता है. ऐसे में अगर सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लग जाता तो लाखों लोगों की रोजी-रोटी छिन जाती. सिंगल यूज प्लास्टिक पर अगर बैन लगा दिया जाता तो इसका असर करीब 10 हजार प्लास्टिक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स पर पड़ता. अगर ऐसा होता तो कम से कम 3-4 लाख लोगों की नौकरी चली जाती, जो इन मैन्युफैक्टरिंग यूनिट्स में काम करते हैं. आंकड़ों के अनुसार देश में करीब 50 हजार प्लास्टिक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं, जिनमें से 90 फीसदी एमएसएमई हैं. अगर सिंगल यूज प्लास्टिक बैन लगता तो इसका बड़ा असर एफएमसीजी, ऑटो और इंफ्रास्ट्रक्चर इंडस्ट्री पर भी पड़ता. यही वजह है कि अभी मोदी सरकार ने बैन लगाने को टाल दिया और फिलहाल जागरुकता फैलाने का फैसला किया.
आसान भाषा में समझिए क्या है सिंगल-यूज प्लास्टिक
सिंगल यूज प्लास्टिक का मतलब है वो प्लास्टिक, जिसे हम सिर्फ एक बार इस्तेमाल कर के फेंक देते हैं. जैसे पानी की बोतल, डिस्पोजल गिलास, प्लेट और चम्मच. ये ऐसी चीजें होती हैं, जिनका अधिकतर लोग दोबारा इस्तेमाल नहीं करते. बोतल तो एक बार के लिए कुछ लोग दोबारा इस्तेमाल कर भी लें, लेकिन डिस्पोजल तो हर कोई फेंक ही देता है. इसके अलावा, सिंगल यूज प्लास्टिक वह भी है, जिसका इस्तेमाल पैकेजिंग में होता है. किसी दुकान से मिलने वाला रिफाइंड ऑयल या तो प्लास्टिक की बोतल में होता है या प्लास्टिक की थैली में, शैंपू की बोतल, दवा की बोतल ये सब भी सिंगल यूज प्लास्टिक है. अरे मैगी भी तो प्लास्टिक के पैकेट में आती है, चायपत्ती भी, नमकीन, बिस्कुट सब कुछ. यानी रोजमर्रा की बहुत सारी चीजों में सिंगल यूज प्लास्टिक इस्तेमाल हो रहा है. अब जरा खुद ही सोच कर देखिए, क्या सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाया जा सकता है? और अगर बैन लग गया तो ये सब चीजें कैसे मिलेंगी.
सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर कुछ कंफ्यूजन भी है. पर्यावरण कमेटी एआईपीआईए के चेयरमैन रवि अग्रवाल कहते हैं कि अगर कैरीबैग 50 माइक्रोन से कम के हैं, तब तो उन्हें सिंगल यूज प्लास्टिक कहा जा सकता है, लेकिन 50 माइक्रोन से अधिक वाले कैरीबैग लोग नहीं फेंकते हैं. लोग उन बैग को इस्तेमाल कर लेते हैं. यानी ये बैग सिंगल यूज नहीं रहे, उन्हें दोबारा भी इस्तेमाल किया गया. इसी तरह कोल्ड ड्रिंक की बोतलों, खास कर बड़ी बोतलों को भी लोग फेंकते नहीं हैं, बल्कि धो कर दोबारा इस्तेमाल करते हैं. रिफाइंड ऑयल के 3-5 लीटर के डिब्बे, 1 किलो के डिब्बों में पैक होकर आए प्रोडक्ट जैसे चायपत्ती आदि के डिब्बे भी लोग फेंकते नहीं है, बल्कि दोबारा इस्तेमाल कर लेते हैं. ये सब सिंगल यूज प्लास्टिक नहीं है.
हैरान करते हैं ये आंकड़े
- अभी तक बने सारे प्लास्टिक का आधा सिर्फ पिछले 15 सालों में बना है.
- हर साल करीब 80 लाख टन प्लास्टिक वेस्ट समुद्र में चला जाता है. यानी अगर पूरी दुनिया में समुद्र के किनारे कचरे से भरे हुए 5 गार्बेज बैग एक-एक फुट की दूरी पर रखे जाएं, उतना प्लास्टिक वेस्ट समुद्र में हर साल जाता है.
- 1950 में 23 लाख टन प्लास्टिक था, 2015 तक ये 44.8 करोड़ टन हो चुका है और 2050 तक इसके 90-100 करोड़ टन हो जाने की उम्मीद है.
- 2050 तक समुद्र में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक की बोलतें तैरती नजर आएंगी.
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