मोदी के 'हूं छू गुजरात' का ही नेक्स्ट वर्जन है - 'मैं भी चौकीदार'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नया नारा 'मैं हूं चौकीदार' में पहली झलक तो 'मैं भी अन्ना' जैसी मिलती है - लेकिन इसमें काफी दूर की रणनीति छिपी हुई है. ये असल में गुजरात में सफल नुस्खे की अगली कड़ी है.
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'मोदी है तो मुमकिन है' - ये स्लोगन जनता की अदालत में कितना असरदार साबित होता है, बाद में मालूम होगा लेकिन बीजेपी को तो हमेशा के लिए लोहा मान लेना चाहिये - और विपक्ष को भी. बीजेपी ने ब्रांड मोदी फिर से मार्केट में उतार ही दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो सलूक सत्ता में आने के बाद अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ किया था. जो सलूक 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ किया था. जो सलूक गुजरात चुनाव में राहुल गांधी की कांग्रेस के साथ किया था - उसी कारगर और कामयाब नुस्खे को बीजेपी फिर से मोर्चे पर झोंक रही है. गुजरात में मिली कामयाबी ही इस पलटवार के सफलता की गारंटी है.
'शेरों के तेवर नहीं बदलते' वाले वीडियो के बाद बीजेपी की ओर से नया कैंपेन वीडियो मार्केट में आ चुका है - 'मैं भी चौकीदार' जिसका हैशटैग #MainBhiChowkidar ट्विटर पर टॉप ट्रेंड में शुमार है.
भाव ऐसा जैसे 'मैं भी अन्ना...'
जेपी आंदोलन के बाद देश में अगर कोई मुहिम आम अवाम से सीधे जुड़ी तो वो रही अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल आंदोलन. अन्ना की मुहिम को रामलीला आंदोलन के नाम से भी याद किया जाता है और उस टोपी पर लिखा स्लोगन - मैं भी अन्ना. ये आंदोलन लोगों के मन मस्तिष्क में ऐसे रचा बसा कि हर गली मोहल्ले में लोग मैं भी अन्ना वाली टोपी लगाकर घूमते फिरते थे. घूमने को तो अब भी अरविंद केजरीवाल और उनके समर्थक 'मैं हूं आम आदमी' लगाये हुए अक्सर नजर आते हैं लेकिन वो भाव कहां.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मैं हूं चौकीदार' स्लोगन में काफी हद तक वही भाव पैदा करने की कोशिश की गयी है - और उस स्वाभिमानी अस्तित्व के होने के तेवर और ठसक को भी पिरोने की कोशिश की गयी है.
'मैं भी चौकीदार' के जरिये बीजेपी की कोशिश लोगों से दिमाग में वही धारणा पैदा करने की है - 'मैं भी अन्ना, तू भी अन्ना - हम सब अन्ना'. संपर्क फॉर समर्थन भी परसेप्शन मैनेजमेंट का पार्ट था और ये भी उसी की अगली कड़ी है लोगों को लोगों से कनेक्ट करने के लिए. बीजेपी के लिए. देश के लिए. वो कास भाव भरने के लिए जो वोटों में बदल सकें.
एकबारगी 'मैं भी चौकीदार' को चायवाला से भी जोड़ा जा रहा है. जब कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने मोदी के लिए 'चायवाला' इस्तेमाल किया. टीम मोदी ने उसे तत्काल लपक लिया और इस तरीके से पेश किया कि हर तरफ सुनाई देने लगा - मैं हूं चायवाला.
थोड़ा गौर करने पर 'मैं भी चौकीदार' में 'चायवाला' से भी इतर एक विशेष का एहसास हो रहा है - वो एहसास जिसके बाद कांग्रेस को गुजरात में बैकफुट पर आना पड़ा था और अपना सबसे कामयाब नारा वापस लेना पड़ा था.
तेवर और तासीर जैसे - 'हूं छु विकास'
2014 के आम चुनाव में बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी गुजरात मॉडल के साथ चुनाव मैदान में कूदे थे - और जीत का परचम लहराते हुए दिल्ली की गद्दी पर बैठ गये. अब उसी गद्दी पर दोबारा बैठने की कवायद चल रही है. तीन साल बाद जब गुजरात में विधानसभा के चुनाव होने को हुए तो कांग्रेस ने एक मुहिम शुरू की - 'विकास गांडो थायो छे'. हिंदी में समझें तो 'विकास पागल हो गया है'. ये मोदी के विकास के गुजरात मॉडल का मखौल उड़ाने का कांग्रेस का ऐसा प्रयास था कि लोगों के जबान पर चढ़ गया.
...दूजो न कोय!
जिस विकास के नाम पर मोदी अहमदाबाद से वाराणसी होते हुए दिल्ली पहुंचे थे उसकी गुजरात में ही हवा निकलने लगी थी - और बीजेपी को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था. काफी सोच विचार के बाद बीजेपी के रणनीतिकारों ने इसे गुजरात अस्मिता से जोड़ने का फैसला किया. ये आइडिया इतना धांसू साबित हुआ कि ठीक निशाने पर जा लगा.
गुजरात गौरव यात्रा के समापन के मौके पर गांधीनगर पहुंच कर प्रधानमंत्री मोदी ने जब रैली में उमड़े लोगों के हुजूम से कहा - हूं छु विकास, हूं छु गुजरात'. फिर तो बाजी ही पलट गयी. कांग्रेस को फौरन ही बैकफुट पर आना पड़ा.
प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात की जनता को समझा दिया कि मैं ही विकास हूं और मैं ही गुजरात हूं. अब कांग्रेस अगर अपने स्लोगन को जारी रखती तो गुजराती अस्मिता पर चोट मानी जाती.
अब जरा 'हूं छु विकास' के साथ साथ 'मैं हूं चौकीदार' को सोच कर देखिये. बिलकुल वही भाव पैदा हो रहा है. मतलब, इस बार भी बीजेपी रणनीतिकारों का निशाना बिलकुल सटीक है.
जिस तरह बीजेपी ने गुजरात में विकास को गुजराती अस्मिता से जोड़ दिया था, उसी तरह अब चौकीदार को राष्ट्रीय फलक प्रदान किया गया है. जब हर कोई 'मैं हूं चौकीदार' बोलेगा तो कांग्रेस नेता कैसे नारे लगवाएंगे - 'चौकीदार चोर है'.
तब तो खुद राहुल गांधी को 'विकास पागल है' नारा वापस लेने के लिए अपनी टीम को आदेश देना पड़ा था. तब राहुल गांधी की ओर से दलील दी गयी थी कि चूंकि नरेंद्र मोदी हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री हैं और कांग्रेस प्रधानमंत्री पद का सम्मान करती है इसलिए स्लोगन रोक दिया गया है.
मालूम नहीं 2018 के विधानसभा चुनावों से अब तक 'चौकीदार चोर है' के नारे लगवा कर राहुल गांधी और दूसरे कांग्रेस नेता हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री को कौन सा सम्मान दे रहे थे?
... क्योंकि 'मोदी है तो मुमकिन है'
'मैं हूं चौकीदार' के स्लोगन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर जता दिया है कि राजनीतिक सूझबूझ के साथ सही चाल चली जाय तो वार खाली जाने की गुंजाइश कम ही होती है. ऐसे पलटवार बहुत घातक होते हैं. इतने घातक है कि पूरी की पूरी बाजी पलट जाती है. बीते दिनों के कुछ ऐसे ही पलटवार आपको भी ऐसे वाकये तो याद तो होंगे ही जो बैकफायर हुए -
1. मैं भागीदार हूं: जुलाई, 2018 में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस भले ही आपको राहुल गांधी के मोदी से गले मिलने और फिर आंख मारने के लिए यादव हो, लेकिन वहां कुछ और भी बातें हुई थीं. चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा खुद को चौकीदार बताये जाने का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा - 'चौकीदार अब भागीदार बन गया है'.
बहस के जवाब में ही प्रधानमंत्री मोदी ने जवाबी हमला बोल दिया. बोले, 'हां, मैं भागीदार हूं'. बात को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "मैं इस इल्जाम को इनाम मानता हूं क्योंकि मुझे गर्व है कि मैं देश के गरीबों का भागीदार हूं, दुखियारी मां का भागीदार हूं. मैं भागीदार हूं उस मां की पीड़ा का जो चूल्हे के धुएं में रहती थी."
2. काम नहीं कारनामा: 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के कैंपेन की टैगलाइन थी - 'काम बोलता है.' प्रधानमंत्री मौके की तलाश में थे और जैसे ही देखा कि लोहा गर्म हो गया जोर से जड़ दिया - 'अरे काम नहीं, आपका कारनामा बोलता है.' असर ये हुआ कि नारे की धार ही धीरे धीरे कम पड़ने लगी.
3. 'झाडू' भी झटक लिया: आम आदमी पार्टी का चुनावी स्लोगन खूब दौड़ा - 'अब चलेगा झाडू'. अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के लिए सिंबल चुनने से पहले ही ये स्लोगन गढ़ लिया होगा. प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली पहुंचते ही स्वच्छता अभियान शुरू कर लोगों को नॉमिनेट करना शुरू किया और देखते ही देखते ऐसा लगने लगा जैसे झाड़ू आप नहीं स्वच्छता अभियान का प्रतीक हो.
अब तो लगता है 'हूं छूं विकास' के कामयाब नुस्खे को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के एक और कामयाब स्लोगन का काम तमाम करने का भरपूर इंतजाम कर दिया है.अभी बीजेपी समर्थक लोग 'शेरों के तेवर नहीं बदलते' वाला वीडियो देख देख कर ही फूले नहीं समा रहे थे कि एक और दे डाला. बीजेपी की तो बल्ले बल्ले हो गयी है - 'मोदी है तो मुमकिन है' - और चुनाव झिंगालाला. बढ़िया है.
शेरों के तेवर नहीं बदलते... pic.twitter.com/lbU0NW12FN
— BJP (@BJP4India) March 15, 2019
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