MoTN Survey: लव जिहाद और हिजाब पर 'देश का मिजाज' मुसलमानों के विपरीत!
मुस्लिम समुदाय हिजाब के समर्थन में चाहे लाख बड़े तर्क दे दे. लव जिहाद को अपने खिलाफ एक बड़ी साजिश बता ले. लेकिन इन मसलों पर जनता की सोच उनसे बिलकुल अलग है. इंडिया टुडे और सी वोटर ने Mood Of The Nation सर्वे किया है और उसमें जो जानकारी निकल कर बाहर आई है साफ़ हो गया कि लव जिहाद और हिजाब पर देश मुसलमानों के साथ नहीं है.
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जिस दिशा में देश की राजनीति चल रही है, तमाम चीजें किसी बड़े मुद्दे की तरह पेश की जा रही हैं जिनपर लोगों की मिली जुली राय है.लव जिहाद और हिजाब देश से जुड़े वो मुद्दे हैं जिनपर लगातार बात हो रही है. समर्थन और विरोध हो रहा है. ऐसे में ये जानने के लिए कि वर्तमान राजनितिक परिदृश्य में भारतीय मुसलमानों से जुड़े इन दो प्रमुख मुद्दों पर देश का मिजाज क्या है इंडिया टुडे और सी वोटर ने देश के 1,40,917 लोगों पर एक सर्वे किया. सर्वे में लव जिहाद और हिजाब पर जो राय जनता ने रखी है साफ़ हो गया है कि Mood Of The Nation देश के मुसलमानों की सोच के विपरीत है. सर्वे में राजनीतिक मुद्दों के अलावा सामाजिक मुद्दों पर भी सवाल हुआ. देश की जनता से सवाल हुआ कि क्या स्कूल कॉलेजों में हिजाब पर बैन लगना चाहिए? ध्यान रहे हिजाब के समर्थन में आए मुसलमान शरीयत का हवाला दे रहे हैं. कुरान को कोट कर रहे हैं और बता रहे हैं कि महिलाओं को पर्दे में रखना इस्लामी हिसाब से जरूरी है. दिलचस्प ये कि हिजाब का समर्थन करने वालों में ज्यादातर स्कूल कॉलेज जाती लड़कियां हैं, जिन्हें छूना तो आसमान था लेकिन जो अपने रहनुमाओं के बिछाए जाल में फंस गयी हैं.
मुस्लिम समुदाय कुछ कह ले लेकिन देश की आम जनता ने लव जिहाद और हिजाब पर अपनी राय रख दी है
सर्वे में 57 फीसदी लोग ऐसे थे जिन्होंने कक्षाओं में हिजाब बैन का समर्थन किया. वहीं लोग ऐसे थे जिन्होंने कहा कि हिजाब पर बैन नहीं होना चाहिए. ध्यान रहे कि सबसे पहले हिजाब से जुडी कंट्रोवर्सी कर्नाटक के उडुपी में देखने को मिली जहां हिजाब में कॉलेज पहुंची लड़कियों का विरोध हुआ और उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया. बाद में मामले ने तूल पकड़ा और कर्नाटक हाई कोर्ट से होते हुए मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट में जज भी हिजाब पर एकमत नहीं थे इसलिए जो फैसला आया वो विभाजित फैसला था.
हिजाब पर मुस्लिम समुदाय किस तरह गफलत में है? इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि. सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बावजूद, अब भी मुस्लिम धर्म में तमाम लोग ऐसे हैं जो अपनी बेटियों को हिजाब में ही स्कूल कॉलेज जाने का फरमान सुनाते पाए जा रहे हैं. भले ही इस्लाम धर्म के अनुयायी हिजाब को एक जायज प्रैक्टिस मानते हों लेकिन देश को इससे कोई मतलब नहीं है. सर्वे में जो लोगों का जवाब है उसके अनुसार नियम और कानून सभी के लिए बराबर होने चाहिए.
Mood Of The Nation सर्वे में एक बड़ी सामाजिक कुरीति के रूप में मशहूर 'लव जिहाद' का मुद्दा भी उठाया गया है. इंडिया टुडे-सीवोटर मूड ऑफ द नेशन सर्वे में पाया गया कि 1.40 लाख से अधिक उत्तरदाताओं में से 53% का मानना था कि मुस्लिम पुरुष 'लव जिहाद' में शामिल हैं. लव जिहाद का विरोध करने वाले या इसके विरोध में सामने आँवे वाले आलोचकअक्सर ही 'लव जिहाद' की अवधारणा का विरोध करते हुए पाए जाते हैं. इस सामाजिक कुरीति पर उनका तर्क प्रायः यही रहता है कि इसे दक्षिणपंथी तत्वों द्वारा एक सोची समझी रणनीति के तहत लाया गया है और इसका एकमात्र उद्देश्य देश की आम जनता के सामने मुसलमानों की छवि को धूमिल करना और उन्हें बदनाम करना है.
बताते चलें कि सरकार ने साल 2021 में ही संसद को बताया था कि धर्म परिवर्तन या अंतर्धार्मिक विवाह के खिलाफ कानून लाने का उसका कोई इरादा नहीं है. लेकिन क्योंकि हर बीतते दिन के साथ कोई न कोई मामला ऐसा सामने आ ही जाता है जिसके तार लव जिहाद से जुड़े होते हैं इसलिए कथित तौर पर 'लव जिहाद' के कथित खतरे को रोकने के उद्देश्य से कम से कम 11 राज्य धर्मांतरण विरोधी कानूनों पर काम कर रहे हैं.
चूंकि लगातार यही मांग हो रही है कि वो तमाम लोग जो लव जिहाद के दोषी पाए गए हैं उन्हें सख्त से सख्त सजा दी जाए इसलिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी भी 'लव जिहाद' के कई कथित मामलों की जांच कर रही है, खासकर केरल से. ज्ञात हो कि हाल ही में दिल्ली में श्रद्धा वाकर की उनके बॉयफ्रेंड आफताब पूनावाला द्वारा हत्या और अभिनेता तुनिशा शर्मा की मौत के मामले में लव जिहाद का मुद्दा फिर से चर्चा का विषय बन गया, जिसमें उनके सह-कलाकार शीजान खान को गिरफ्तार किया गया था.
चाहे वो हिजाब का मुद्दा हो या लव जिहाद की बातें मुस्लिम समुदाय इन पर अपनी सफाई में कुछ भी कहने या किसी भी प्रकार की राय को जाहिर करने के लिए स्वतंत्र है. लेकिन मुस्लिम मुद्दों पर जो राय देश की है उसका संज्ञान मुस्लिम धर्म के रहनुमाओं को लेना चाहिए. यदि आम जनता की राय की इज्जत नहीं की गयी तो फिर आने वाले समस्य में मुस्लिम समुदाय के सामने चुनौतियां और गहरी होंगी.
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