म्यांमार बहुत स्वीट है, खेल खेल में तख्तापलट हो जाता है...
म्यांमार में सियासी घमासान मचा हुआ है और नौबत तख्तापलट की आ गई है. आंग सान सू की व राष्ट्रपति यू विन मिंट को गिरफ़्तार कर लिया गया है. एक ऐसे समय में जब तनाव बना हो एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें एक लड़की सेना के सामने एरोबिक्स करती नजर आ रही है.
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म्यांमार में सैन्य तख़्तापलट. आंग सान सू की व राष्ट्रपति यू विन मिंट गिरफ़्तार. देश में एक वर्ष का आपातकाल घोषित. म्यांमार की तांत्रिक संरचना जानने वाले यह समझते होंगे कि वहां सेना को कई विशेषाधिकार मिले हैं. मसलन, सेना के लिये संसद की एक-चौथाई सीटें आरक्षित हैं. सेना प्रमुख मिन आंग लाइंग की ताकत का अंदाज़ा इससे ही लगाया जा सकता है कि वह कमांडर-इन-चीफ़ होने के नाते महत्वपूर्ण मंत्रालयों - रक्षा, सीमा मामलों और घरेलू मामलों के लिये मंत्रियों की नियुक्ति कर सकते हैं. जबकि सू की के हाथ में केवल नागरिक प्रशासन में कानून बनाने की शक्ति है. साथ ही लाइंग के पास वीटो पावर भी है.
हर बीतते दिन के साथ म्यांमार के हालात बद से बदतर हो रहे हैं
2015 में उन्होंने म्यांमार सरकार में भूमिका निभाने पहले ही कह दिया था कि यहाँ नागरिक शासन के लिये कोई निश्चित समय-सीमा नहीं होगी. यह पाँच वर्ष या दस वर्ष हो सकती है, मैं कह नहीं सकता. इस घटना के साथ म्यांमार अपने संघर्ष में फिर से क़रीब 15 वर्ष पीछे पहुंच चुका है. चीन में लोकतंत्र का कोई अस्तित्व नहीं है.
बात म्यांमार में गतिरोध की चल रही है और जब नौबत तख्ता पलट होने की हो तो ऐसे में लोग भी विरोध के नाम पर एक से एक दिलचस्प तरीके आजमा रहे हैं. म्यांमार से एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें एक लड़की सेना की मौजूदगी में एरोबिक्स करती नजर आ रही है. वीडियो पर जो रिएक्शंस आ रहे हैं वो न केवल दिलचस्प हैं बल्कि उनको देखकर साफ़ हो जाता है कि म्यांमार में सू की के अच्छे दिन अब लद चुके हैं.
A viral video of a woman doing aerobics class to the tune of Indonesian hit song “Ampun Bang Jago” in Myanmar, apparently without realizing a military convoy arriving at parliament behind her and a military coup happening. ht @Vinncent pic.twitter.com/mK4UYUp0Gv
— Yenni Kwok (@yennikwok) February 2, 2021
पाकिस्तान में जब-तब तख़्तापलट होता ही है. न हो तो भी दो विरोधी दल एक-दूसरे के ख़ून के प्यासे बने रहते हैं. नेपाल में भी लोकतंत्र की स्थिति बदहाल है. कुछ दिनों पहले वहां के नागरिक सरकार का विरोध करते हुए राजतंत्र की वापसी चाहते थे.
21वीं सदी को डिसेंट्रलाइज़ेशन ऑफ़ पावर की सदी होना था, थर्ड वर्ल्ड कंट्रीज़ को मुख्यधारा से जुड़ना था लेकिन दक्षिण एशिया के मामले में ऐसा होता नहीं दिख रहा. हम दो कदम आगे बढ़कर चार कदम पीछे चल रहे हैं और इस बात पर अपनी पीठ ठोंक रहे हैं कि गतिशील हैं, वह गति चाहें दिशाहीन ही क्यों न हो.
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