क्या महिला आयोग का राजनीतिकरण हो गया है?
महिला आयोग की अद्भुत सक्रियता को संदेह की नजर से देखा जा रहा है. यही कारण है की हर बार यह आरोप लगता है की महिला आयोग महिलाओं की रक्षा नहीं बल्कि अपने अध्यक्ष के पार्टी हितों किस रक्षा कर रही हैं.
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महिला आयोग का कार्य महिलाओं के संवैधानिक हित और उनके लिए कानूनी सुरक्षा उपायों को लागू करना होता है. राष्ट्रीय महिला आयोग का कार्य क्षेत्र पूरा देश है और हर राज्य में उनका अपना राज्य महिला आयोग है. हाल के कुछ मामलों से राष्ट्रीय महिला आयोग विवाद में है. आरोप ये लगाया जा रहा है कि महिला आयोग के आड़ में राजनीति की जा रही है.
महिला आयोग पर राजनीति करने के आरोप लगाए जा रहे हैं |
पंजाब राज्य महिला आयोग ने राज्य के डीजीपी को पत्र लिखकर आम आदमी पार्टी के नेताओं द्वारा पंजाब में टिकटों के बंटवारे को लेकर महिलाओं के यौन उत्पीड़न किए जाने के मामले की जांच के आदेश दिए हैं. आयोग की अध्यक्ष परमजीत कौर लांडरां ने कहा कि अखबारों व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में लगातार आ रही खबरों के आधार पर आयोग ने इसे अत्यंत गंभीर मामला मानते हुए संज्ञान लिया है. आम आदमी पार्टी में दिल्ली के विधायक देवेंद्र सहरावत ने आरोप लगाए थे की पंजाब में आप के नेताओं द्वारा महिलाओं का शोषण किया जा रहा है.
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इसके पहले राष्ट्रीय महिला आयोग ने आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष को दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री संदीप कुमार का एक सेक्स सीडी कांड में बचाव के प्रयास में विवादास्पद ब्लॉग लिखने के लिये आठ सितम्बर को तलब किया है. आशुतोष ने अपने ब्लॉग पर इसे दो लोगों की आपसी सहमति का मामला बताया था. उन्होंने संदीप की तुलना नेहरू, गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी और जॉर्ज फर्नांडीज के रिश्तों से कर डाली थी. महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा 'मुझे लगता है कि आशुतोष ने काफी निंदनीय और अपमानित करने वाला ब्लॉग लिखा है, जिसमें उन्होंने बलात्कार के एक आरोपी का बचाव किया है'.
पिछले साल दिल्ली महिला आयोग में एक महिला ने अपनी शिकायत में कहा था कि आप नेता कुमार विश्वास के साथ उसके रिश्तों को लेकर अफवाह फैलायी जा रही है और आप नेता इसका खंडन तक नहीं कर रहे हैं. उनके इस व्यवहार से मेरा परिवार टूट की कगार पर खड़ा है. दिल्ली महिला आयोग ने इस शिकायत पर विश्वास को दो बार सम्मन भेज दिया. इसी तरह आप के विधायक सोमनाथ भारती के खिलाफ उनकी पत्नी ने घरेलू हिंसा की शिकायत की. शिकायत मिलने के बाद दिल्ली महिला आयोग ने विधायक को नोटिस जारी किया.
इन सभी मामलो में एक समानता है. महिला आयोग के अध्यक्ष उस राजनितिक दल से आती हैं जो या तो सत्तासीन हैं या सत्ता में थी. और जो आरोपी हैं वो विरोधी दल के हैं. राष्ट्रीय महिला आयोग ने जिस सक्रियता से आशुतोष के खिलाफ कदम उठाया है वही सक्रियता दिल्ली एवं पंजाब महिला आयोग ने आप के नेताओं के खिलाफ दिखाया है. क्या राष्ट्रीय महिला आयोग ने कभी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से ये पूछने की जुर्रत की, कि आपने एक ऐसे व्यक्ति को मंत्री क्यों बनाया जिस पर रेप का केस चल रहा है? 2013 में जब एक युवा अकाली दल के नेता पर महिला के यौन शोषण का आरोप लगा था तो क्या पंजाब महिला आयोग ने ऐसी तत्परता दिखाई थी? अभी की दिल्ली महिला आयोग ने संदीप कुमार के मामले में क्या किया? एवं जब इसकी अध्यक्ष कांग्रेस द्वारा नामित थी तो किस कांग्रेस के नेता के खिलाफ उन्होंने कोई सक्रियता दिखाई थी?
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इन सभी मामलों में महिला आयोग की अद्भुत सक्रियता को संदेह की नजर से देखा जाता है. और यही कारण है की हर बार यह आरोप लगता है की महिला आयोग महिलाओं की रक्षा नहीं बल्कि अपने अध्यक्ष के पार्टी हितों किस रक्षा कर रही हैं. समय आ गया है कि इस बढ़ती हुए परंपरा को रोका जाए एवं आयोग को केवल एवं केवल महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाए.
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