पाकिस्तान में नवाज काे कैद सैल्यूट के काबिल है या शंका के?
एवनफील्ड रेफरेंस केस में 10 साल की सजा और 72 करोड़ रुपए का जुर्माना पाने वाले नवाज को देखकर कह सकते हैं इनके राजनीतिक पतन की शुरुआत हो चुकी है.
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पाकिस्तान का शुमार विश्व के उन देशों में है जहां हमेशा ही अस्थिरता बनी रहती है और जहां कभी भी कुछ भी हो सकता है. ताजा मामला पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से जुड़ा है. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को एवनफील्ड रेफरेंस केस में अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई है. जबकि पूर्व प्रधानमंत्री की बेटी मरियम को 7 साल की सजा सुनाई गई है. आपको बताते चलें कि यह मामला लंदन के रिहायशी एवनफील्ड हाउस में 4 फ्लैट्स के स्वामित्व से जुड़ा हुआ है जिन्हें नवाज ने 1993 में खरीदा था. अदालत ने नवाज पर 80 लाख पाउंड यानी करीब 72 करोड़ रुपए और मरियम पर 18 करोड़ का जुर्माना लगाया है.
जो नवाज शरीफ की हालत है वो जल्द ही पाकिस्तान का काला अध्याय बन जाएंगे
इस पूरे मामले में सबसे खास बात ये है कि नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (एनएबी) का आरोप था कि ये फ्लैट भ्रष्टाचार के पैसों से खरीदे गए है. कोर्ट ने नवाज को दोषी मान लिया है और ब्रिटिश सरकार को निर्देशित किया है कि वो इन फ्लैट्स को जब्त करे.
Former Pakistan PM Nawaz Sharif sentenced to 10 years and his daughter Maryam sentenced to 7 years imprisonment in #AvenfieldReference: Pakistan media pic.twitter.com/32AOuawZrq
— ANI (@ANI) July 6, 2018
नवाज और मरियम को जिस तरह से सजा हुई है कहना गलत नहीं है कि अब इनका पूरा राजनीतिक भविष्य खात्मे पर आ गया है. ध्यान रहे कि 2017 में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने पनामा पेपर लीक के मद्देनजर नवाज को दोषी माना था. साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा नवाज के चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक लगा दी थी. इस फैसले के बाद नवाज को देश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था. पिता के बाद अब नवाज की बेटी मरियम भी चुनाव नहीं लड़ सकतीं. चुनाव आयोग ने मरियम के भी चुनाव लड़ने पर पाबन्दी लगा दी है.
सियासत के मद्देनजर मरियम के हालात कैसे हैं यदि हमें इस बात को समझना हो तो हम जियो न्यूज़ का रुख कर सकते हैं. जियो न्यूज़ के अनुसार जल्द ही मरियम का नाम बैलेट पेपर से हटा दिया जाएगा. 2012 में पाकिस्तान के सियासी रण में कदम रखने वाली मरियम ने 2013 के आम चुनाव में पिता नवाज की सीट पर जम कर प्रचार प्रसार किया था जिसका बड़ा तब के परिणामों में देखने को मिला.
बताया जा रहा है अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को गलत साबित करने के लिए नवाज और मरियम को कोर्ट द्वारा दस दिन की मोहलत मिली है. यदि ये अपील खारिज होती है तो पिता और पुत्री दोनों ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं. माना जा रहा है कि मरियम उनकी उम्मीदवारी रद्द करने के चुनाव आयोग के फैसले को भी कोर्ट में चुनौती दे सकती हैं.
इस ताजे फैसले के बाद मरियम के भी राजनीतिक जीवन पर सवालिया निशान लग गए हैं
भले ही इस पूरे सियासी ड्रामे का बड़ा फायदा इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को मगर जिस तरह अचानक ही सरकार नवाज पर सख्त हुई ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि नवाज को उनके लिए कि सजा मिल गयी है.
बात जब पाकिस्तान के बारे में हो और उसमें भी हम नवाज को रख कर देखें तो मिल रहा है कि पाकिस्तान ने अपना इतिहास दोहराया है. यहां जब जब किसी नेता को लेकर फैसला हुआ है उस फैसले से उसका पूरा राजनीतिक भविष्य प्रभावित हुआ है. आसिफ अली जरदारी, बेनजीर भुट्टो, जर्नल परवेज मुशर्रफ अगर हम पाकिस्तान के अतीत पर गौर करें तो मिल रहा है कि जो आज नवाज के साथ हुआ वैसा ही कुछ इन नेताओ के साथ हो चुका है. फैसले के बाद इन नेताओं का क्या हुआ ये बात भी किसी से छुपी नहीं है.
कहना गलत नहीं होगा कि जब इन नेताओं पर फैसला आया तो एक ही पल में इनका राजनीतिक भविष्य अर्श से फर्श पर आ गया और ये लोग पाकिस्तान का गुजरा वक़्त बन कर रह गए. नवाज के मामले में बस ये कहकर हम अपनी बात खत्म करेंगे कि अब इनका बुरा वक़्त शुरू हुआ है. और जो पाकिस्तान का अतीत है वो इन्हें भी जल्द ही पाकिस्तान और वहां की आवाम के लिए एक काला अध्याय बना देगा.
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