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Updated: 30 जुलाई, 2020 09:47 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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भारत (India ) में जैसा शिक्षा (Education) का पैटर्न है और जैसी जटिलताएं इसमें रही हैं लंबे समय से मांग की जा रही थी कि इसमें कुछ अहम परिवर्तन किए जाएं और इसको मॉडिफाई किया जाए. तो वो तमाम लोग जो भारतीय शिक्षा पद्धति और उसके नियमों से अब तक संतुष्ट नहीं थे उनको सरकार ने बड़ी राहत दी है. देश की शिक्षा नीति में 34 सालों बाद कई अहम बदलाव हुए हैं. ध्यान रहे कि नई शिक्षा नीति (New Education policy 2020) को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है. बताया जा रहा है कि नई श‍िक्षा नीति में स्कूल के बस्ते, प्री प्राइमरी क्लासेस से लेकर बोर्ड परीक्षाओं, रिपोर्ट कार्ड, यूजी एडमिशन के तरीके, एमफिल तक एक साथ कई चीजों में कुछ अहम परिवर्तन किए गए हैं जिनका अब सीधा फायदा इन कोर्सेज से जुड़े छात्रों को मिलेगा.

तो आइये जानें न्यू एजुकेशन पॉलिसी की वो तमाम बातें जो न सिर्फ ये बता रही है कि आपके बच्चे की पढ़ाई पर क्या फर्क पड़ेगा बल्कि जिसने मेन स्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक एक नई बहस को आयाम दे दिए हैं. जिसमें जितने मुंह हैं ठीक उतनी ही बातें हैं.

क्या है नई शिक्षा नीति में

नई शिक्षा नीति पर जिस बात को लेकर सबसे ज्यादा बहस हो रही है वो ये कि अब इसके दायरे में स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ एग्रीकल्चर, चिकित्सा शिक्षा और टेक्निकल एजुकेशन को भी जोड़ दिया गया है . आजकल चूंकि पढ़ाई के बाद छात्रों को नौकरी हासिल करने में खासी दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है इसलिए माना यही जा रहा है कि इस नई शिक्षा नीति से ये संकट दूर होगा और छात्रों को रोजगार मिलने में आसानी होगी. बता दें कि नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य छात्रों को पढ़ाई के साथ साथ किसी लाइफ स्किल से सीधे जोड़ना है.

New Education policy 2020, Modi Government, BJP, Educationमाना यही जा रहा है कि नयी शिक्षा नीति का सबसे ज्यादा फायदा खुद छात्रों को है

 

Co Curricular Activities बनेंगी Main Syllabus का हिस्सा

इस बात में कोई शक नहीं कि गणित, विज्ञान, इतिहास, भूगोल, अंग्रेजी हिंदी जैसे विषय एक समय के बाद बोझिल हो जाते हैं. शायद यही वो कारण था जिसके चलते पूर्व की शिक्षा नीति में आर्ट, म्यूजिक, स्पोर्ट्स, योग को सहायक पाठ्यक्रम यानी Co Curricular में डाला गया था क्यों कि नई शिक्षा नीति में सारा जोर छात्रों में लाइफ स्किल के लिए डाला गया है तो अब ये सभी विषय मेन सिलेबस का हिस्सा होंगे और इन्हें extra curricular नहीं कहा जाएगा.

अब एक साल पर सर्टिफिकेट, दो साल पर डिप्लोमा और तीन सांल में मिलेगी डिग्री

हममें से तमाम लोगों ने ऐसे मामले देखे होंगे जिनमें किसी कारण जैसे बीमारी से लेकर आर्थिक तंगी के कारण लोगों ने अपनी पढ़ाई छोड़ी और उनका साल बर्बाद हुआ. नई शिक्षा नीति में ऐसा नहीं है.यदि छात्र ने एक साल पढ़ाई की तो उसे सर्टिफिकेट दो साल पढ़ाई की तो डिप्लोमा और यदि उसने तीन साल पढ़ाई की और अपना कोर्स पूरा किया तो उसे डिग्री दी जाएगी. बता दें कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत सरकार द्वारा की गयी ये व्यवस्था लोगों को खूब पसंद आई है और छात्र के साल का नुकसान न होने के कारण इसकी जमकर तारीफ हो रही है.

HRD का नाम बदल गया साथ ही सरकार का फोकस है शिक्षा

अब तक के जैसे हालात थे पुरानी शिक्षा नीति में अलग अलग सरकारों द्वारा कभी शिक्षा को उतना गंभीरता से लिया ही नहीं गया और यही वो कारण ठै4 जिसके चलते देश की जीडीपी का 4.43% प्रतिशत हिस्सा शिक्षा पर खर्च किया गया. नई शिक्षा नीति में अहम बदलाव करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर उसे शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है साथ ही सरकार ने ये भी फैसला किया है कि अब देश की जीडीपी का 6% हिस्सा शिक्षा को समर्पित होगा. यदि ऐसा हो गया तो इस बात में कोई शक नहीं है कि शिक्षा में सुधार होगा और पिछली कई खामियां बढ़े हुए बजट के कारण अपने आप ही दूर हो जाएंगी.

अच्छी शिक्षा के लिए अच्छे टीचर्स भी हैं जरूरी

अब चूंकि पुरानी शिक्षा पद्धति को बदलकर उसे नया किया गया है तो लोग इसलिए भी खुश है कि अब आगे क्वालिटी एजुकेशन के लिए टीचर्स की ट्रेनिंग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. बताया यही जा रहा है कि नई शिक्षा नीति में शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की गई है.

जल्द ही सरकार लाएगी न्यू नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क

बताया जा रहा है कि नई शिक्षा नीति के तहत सरकार न्यू नेशनल फ्रेमवर्क तैयार करेगी. इसके अंतर्गत ईसीई, स्कूल, टीचर्स और एडल्ट एजुकेशन को जोड़ा जाएगा. बोर्ड एग्जाम कोअलग अलग खंडों में बांटा जाएगा. अब बॉर्ड परीक्षाएं दो बार होंगी और यदि बोर्ड चाहे तो परीक्षाएं तीन बार भी हो सकती हैं. साथ ही अगर स्टूडेंट्स ने कोई स्किल सीखी है तो उसके भी मार्क्स फाइनल रिपोर्ट में जोड़े जाएंगे अब आगे रिपोर्ट कार्ड का कोई प्रावधान होगा.

हायर एजुकेशन में होगा CET का प्रावधान

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अनुसार, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (National Education Policy, NEP) को अब देश भर के विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के लिए एडिशनल चार्ज दिया जाएगा. जिसमें वह हायर एजुकेशन के लिए आम यानी कॉमन एंट्रेंस परीक्षा का आयोजन कर सकता है.बताते चलें कि NTA पहले से ही ऑल इंडिया इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम JEE Main, मेडिकल प्रवेश परीक्षा - NEET, UGC NET, दिल्ली विश्वविद्यालय (DUET), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNUEE) जैसे केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करता है.

बदल जाएगी शिक्षा

सरकार के इस फैसले के बाद एक बड़ा वर्ग एओ सामने आया है जिसका मानना है कि इसके बाद भारतीय शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह बदल जाएगी और मामूली कोर्स करने पर भी छात्रों को नौकरी मिल जाएगी जो कि किसी भी छात्र का सबसे अहम उद्देश्य होता है.

बहरहाल अब जबकि नई शिक्षा नीति आ गयी है और पुरानी चीजों में कई अहम बदलाव कर दिए गए हैं. तो सरकार द्वारा जनता को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से लागू की गई इस व्यवस्था का कितना फायदा होता है फैसला वक़्त करेगा. मगर जैसी सूरत वर्तमान की है लोगों को बड़ी राहत मिली है. कहा जा रहा है कि यदि ये सही से लागू हो गयी तो इसका फायदा भारत को भविष्य में दिखेगा. तब इसकी बदौलत कहीं ज्यादा समृद्ध कहीं अधिक मजबूत होगा.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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