‘आंदोलनजीवी’ संसद में ‘जुमलाजीवी’ भी नहीं बोल सकते? ये तो बहुत 'हिपोक्रेसी' है!
मॉनसून सत्र (Monsoon Session) से पहले आयी शब्दों की एक नयी सूची (Unparliamentary Words Full List) के मुताबिक यौन उत्पीड़न', 'कायर' और 'भ्रष्ट' बोलना भी असंसदीय माना जाएगा - और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को कोई 'जुमलाजीवी' भी नहीं कह सकेगा.
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अभी अशोक स्तंभ के शेरों की दहाड़ पर विवाद थमा भी नहीं था कि विपक्ष को एक नया 'लॉलीपॉप' थमा दिया गया है - मगर, ध्यान रहे अब संसद में किसी ने Lollipop शब्द का इस्तेमाल किया तो उसे असंसदीय मना जाएगा और सदन की कार्यवाही से तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाएगा.
मॉनसून सत्र (Monsoon Session) से पहले आयी शब्दों की ये नयी सूची लोक सभा और राज्य सभा दोनों सदनों की कार्यवाही के दौरान लागू होगी. इसमें हिंदी और अंग्रेजी के कई शब्द शामिल किये गये हैं जिनका प्रयोग नये सत्र से ही वर्जित होगा.
लोकसभा सचिवालय ने असंसदीय शब्द 2021 सूची (Unparliamentary Words List) के मुताबिक अब 'यौन उत्पीड़न', 'कायर' और 'भ्रष्ट' बोलना भी असंसदीय माना जाएगा - और इस्तेमाल किये जाने पर ये शब्द लोक सभा और राज्य सभा की कार्यवाही से हटा दिये जाएंगे.
बताते हैं कि लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति के पास ऐसे शब्दों और उनसे प्रकट होने वाले भावों को सदन की कार्यवाही से हटाने का अंतिम अधिकार होगा. कहा गया है कि कुछ शब्द तब तक अंससदीय मालूम नहीं पड़ते जब तक कि संसदीय कार्यवाही के दौरान उनको संबोधन के साथ मिलाकर नहीं देखा जाता है.
विपक्ष ने असंसदीय शब्दों की सूची को लेकर कड़ी आपत्ति जतायी है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, जयराम रमेश के अलावा तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा और डेरेक ओ ब्रायन ने भी अपनी आपत्ति ट्विटर पर शेयर की है. डेरेक और ब्रायन ने तो ट्विटर पर लिखा है, 'मैं इन शब्दों का इस्तेमाल करूंगा... मुझे निलंबित कर दीजिये.'
अब संसद में कोई 'कायर' नहीं बोल सकता!
'कायर' शब्द भी अब संसद की वर्जित सूची में शामिल किया जा चुका है. आपको याद होगा, एक बार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दफ्तर में सीबीआई का सर्च अभियान चल रहा था. 15 दिसंबर, 2015 को ट्विटर पर अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के लिए 'कायर' और 'मनोरोगी' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था. मामला कोर्ट में भी गया पर अदालत ने इसे न तो अपमानजनक माना न ही देशद्रोह का - लेकिन आगे से संसद में कोई कायर शब्द का इस्तेमाल करता है तो उसे असंसदीय माना जाएगा.
असंसदीय शब्दों की सूची क्या संसद के बाहर भी लागू होने वाली है?
और अरविंद केजरीवाल को भी ये सब बोलने के लिए माफी मांगने की जरूरत नहीं पड़ी. एक वकील ने केजरीवाल की टिप्पणी के लिए अदालत से आईपीसी की धारा-124 ए (देशद्रोह) और धारा-500 (मानहानि) के तहत मुकदमा चलाने की मांग की थी. वकील ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल के बयान में देशद्रोह की भावना छिपी थी, जिसने प्रधानमंत्री के खिलाफ नफरत और अवमानना का प्रसार किया है.
लेकिन मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट ने मुख्यमंत्री के खिलाफ शिकायत वाली याचिका ये कहते हुए खारिज कर दी कि अरविंद केजरीवाल ने राज्य की शांति भंग करने या फिर संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने जैसा कोई काम नहीं किया. अदालत ने कहा कि केस के तथ्यों से ये साफ है कि मुख्यमंत्री द्वारा सीबीआई छापे के बाद की गई अपमानजनक टिप्पणी घटना से उपजी नाराजगी का नतीजा थी और उसका मकसद राज्य की शांति व्यवस्था भंग करने का नहीं था.
ऐसे ही किसान आंदोलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में 'आंदोलनजीवी' शब्द के इस्तेमाल को लेकर भी खासा विवाद हुआ - और संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से भी कड़ा ऐतराज जताया गया था.
'आंदोलनजीवी' भी संसद में खामोश रहेंगे: 8 फरवरी, 2021 राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्य सभा में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, 'हम लोग कुछ शब्दों से बड़े परिचित हैं... श्रमजीवी, बुद्धिजीवी - ये सारे शब्दों से परिचित हैं... लेकिन मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है... एक नई बिरादरी सामने आई है - और वो है आंदोलनजीवी.'
एकबारगी तो यही माना गया कि प्रधानमंत्री मोदी के निशाने पर आंदोलनकारी किसान रहे, लेकिन असल बात तो ये रही कि प्रधानमंत्री मोदी का इशारा उन नेताओं की तरफ भी रहा जो किसान आंदोलन के सपोर्ट में खड़े थे.
प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसे लोगों पर दूसरों के आंदोलनों को भी हाइजैक करने का आरोप लगाया था और समझाया था कि ये कैसे काम करते हैं, 'हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा जो सब जगह पहुचते हैं और आइडियोलॉजिकल स्टैंड दे देते हैं... गुमराह कर देते हैं... देश आंदोलनजीवी लोगों से बचे. उनका क्या है... खुद खड़ी नहीं कर सकते चीजें... किसी की चल रही है उसमें जाकर बैठ जाते हैं - ये सब आंदोलनजीवी हैं.'
लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि आंदोलनजीवी शब्द असंसदीय शब्दों की सूची में नहीं है, लेकिन वो जरूर है जिसे इसकी प्रतिक्रिया में गढ़ा गया था - जुमलाजीवी. दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक विरोधी उनके लिए खासतौर पर इसका इस्तेमाल करते रहे हैं. ये इस्तेमाल भी प्रधानमंत्री के ही राजनीतिक विरोधियोंको 'आंदोलनजीवी' करार दिये जाने के बाद से इस्तेमाल होने लगा. असल में 2014 के आम चुनाव के दौरान मोदी ने कहा था कि अगर विदेशों से काला धन आ जाये तो हर आदमी के खाते में 15-15 लाख रुपये आ जाएंगे. बाद में सीनियर बीजेपी नेता अमित शाह ने मोदी की इस बात को चुनावी जुमला बता दिया था - और प्रधानमंत्री मोदी ने किसान आंदोलन के दौरान आंदोलनजीवी शब्द का इस्तेमाल किया तो रिएक्शन में जुमलाजीवी का भी इस्तेमाल होने लगा.
क्या Sexual Harassment पर चर्चा असंसदीय हो जाएगी?
लोकसभा सचिवालय के असंसदीय शब्दों की सूची में Sexual Harassment यानी यौन उत्पीड़न शब्द भी शामिल किया गया है. मोटे तौर पर तो यही समझ में आता है कि अब से सदन की कार्यवाही में कोई भी यौन उत्पीड़न शब्द का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा?
अब ये समझना मुश्किल हो रहा है कि अगर किसी सांसद को अपने इलाके की यौन उत्पीड़न से जुड़ा कोई मामला संसद में उठाना होगा तो वो क्या करेगा? क्या मुद्दे को बताने के लिए दूसरे शब्दों का इस्तेमाल करके समझाना होगा?
या फिर संसद को लगता है कि ऐसे किसी मुद्दे को सदन में उठाने की जरूरत ही नहीं होगी? हालांकि, ये सब स्पीकर को तय करना है कि शब्द विशेष के इस्तेमाल के पीछे सदस्य की भावना क्या है? लेकिन तब क्या होगा जब स्पीकर शोर शराबे के बीच सदस्य की भावना नहीं समझ पाये? फिर तो ऐसी घटनाओं का संसद में जिक्र होने से रहा.
सचिवालय की सूची में हिंदी और अंग्रेजी के अलग अलग शब्द बताये गये हैं - और दिलचस्प बात ये है कि ऐसे ज्यादातर शब्द अभी तक विपक्षी दलों के नेताओं की तरफ से ही इस्तेमाल किये जाते रहे हैं.
संसद में वर्जित हिंदी शब्द: अहंकार, अपमान, असत्य, बॉबकट, बाल बुद्धि, बेचारा, बहरी सरकार, चेला, चमचा, चमचागिरी, भ्रष्ट, कायर, आपराधिक, घड़ियाली आंसू, दादागिरी, दलाल, दंगा, ढिंढोरा पीटना, गद्दार, घड़ियाली आंसू, गिरगिट, जयचन्द, जुमलाजीवी, काला बाजारी, काला दिन, खालिस्तानी, खरीद-फरोख्त, खून से खेती, नौटंकी, निकम्मा, पिट्ठू, संवेदनहीन, शकुनी, तानाशाह, तानाशाही, विनाश पुरुष, विश्वासघाती
संसद में वर्जित अंग्रेजी शब्द: Abused, Anarchist, Ashamed, Betrayed, Bloodshed, Bloody, COVID Spreader, Cheated, Childishness, Corrupt, Coward, Criminal, Crocodile Tears, Dictatorial, Disgrace, Drama, Eyewash, Foolish, Fudge, Goons, Hooliganism, Hypocrisy, Incompetent, Lie, Lollipop, Mislead, Sexual Harassment, Snoopgate, Untrue
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने शब्दों की सूची पर आपत्ति जताते हुए ट्विटर पर लिखा है, 'आपको लगता है कि अब लोक सभा में खड़ी होकर मैं ये नहीं बोल सकती कि कैसे एक 'अक्षम' सरकार ने भारतीयों के साथ 'धोखा' किया है जिसे अपने 'पाखंड' पर भी 'शर्म' नहीं आती?'
टीएमसी के ही राज्य सभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ट्विटर पर लिखते हैं, 'संसद का सत्र शुरू होने वाला है. सांसदों पर पाबंदी लगाने वाला आदेश जारी किया गया है. अब हमें संसद में भाषण देते समय बुनियादी शब्दों के इस्तेमाल की इजाजत नहीं होगी... मैं इन शब्दों का इस्तेमाल करूंगा. मुझे निलंबित कर दीजिये.'
Session begins in a few days GAG ORDER ISSUED ON MPs. Now, we will not be allowed to use these basic words while delivering a speech in #Parliament : Ashamed. Abused. Betrayed. Corrupt. Hypocrisy. Incompetent I will use all these words. Suspend me. Fighting for democracy https://t.co/ucBD0MIG16
— Derek O'Brien | ডেরেক ও'ব্রায়েন (@derekobrienmp) July 14, 2022
कांग्रेस नेता जयराम रमेश लिखते हैं, 'मोदी सरकार की सच्चाई दिखाने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी शब्द अब 'असंसदीय' माने जाएंगे... अब आगे क्या विषगुरु?'
जब प्रधानमंत्री मोदी के शब्द कार्यवाही से हटा दिये गये
अगस्त, 2018 की बात है. राज्य सभा के उपसभापति का चुनाव था. चुनाव से कुछ ही महीने पर बेंगलुरू में विपक्षी नेताओं की जमघट की तस्वीरें वायरल हुई थीं. मौका था जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी के मुख्यमंत्री के रूप में शपथग्रहण का. एक तस्वीर में सोनिया गांधी और मायावती एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रही थीं और पास में ममता बनर्जी भी खड़ी थीं. विपक्ष के लिए बीजेपी और मोदी सरकार को चैलेंज करने का अच्छा मौका समझा गया था.
नतीजा घोषित हुआ तो मालूम हुआ एनडीए के हरिवंश नारायण सिंह ने विपक्ष के बीके हरिप्रसाद को शिकस्त दे दी थी. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोलने के लिए खड़े हुए तो दोनों के नाम में हरि शब्द की जोर देकर चर्चा की, लेकिन फिर कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद का नाम लेकर खूब खिल्ली भी उड़ाये.
भरी संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण चल रहा था, "ये चुनाव ऐसा था जिसमें दोनों तरफ हरि थे लेकिन एक के आगे बीके था... बिके हरि... कोई न बिके - और इधर थे कि कोई बिका..."
ये सब कितना अशोभनीय रहा इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी की उन बातों को राज्य सभा के रिकॉर्ड से डिलीट कर दिया गया. अब तक प्रधानमंत्री मोदी जिन लोगों को आंदोलनजीवी कह कर बुलाया करते थे, वे संसद में जुमलाजीवी भी नहीं बोल सकते.
ये तो समझ में आ रहा है कि अगर किसी ने संसद में मनाही वाले शब्दों का इस्तेमाल किया तो कार्यवाही से एक्सपंज कर दिया जाएगा - लेकिन तब क्या होगा जब वही नेता वे शब्द संसद से बाहर बोलेंगे - और तब क्या होगा जब नेताओं की ही तरह अगर आम लोग ऐसी बातें करेंगे? क्या सब के सब जेल में ठूंस दिये जाएंगे?
New Dictionary for New India. pic.twitter.com/SDiGWD4DfY
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 14, 2022
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