अंग्रेजों से हर्जाना मांगने वाले थरूर को सिंधिया की हिंदी में अपमान क्यों दिखा?
ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के संसद में हिंदी (Objection on Hindi in Parliament) बोलने पर शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने जो आपत्ति जतायी है, वो एकबारगी काफी अजीब लगता है - लेकिन ये 200 लोक सभा सीटों पर बीजेपी को शिकस्त देने की रणनीति का हिस्सा है.
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शशि थरूर (Shashi Tharoor) अपनी अंग्रेजी को लेकर अक्सर ही चर्चा में रहते हैं. कभी हंसी मजाक में तो कभी भड़ास निकालने के लिए, शशि थरूर चुन चुन कर अंग्रेजी के शब्दों का इस्तेमाल करते हैं - और फिर समझने के लिए लोग डिक्शनरी देखने लगते हैं या फिर गूगल की शरण में चले जाते हैं.
एक बार फिर शशि थरूर अंग्रेजी के लिए ही चर्चा में हैं. ऊपर से ये लड़ाई हिंदी बनाम अंग्रेजी लगती है, लेकिन अंदर कुछ और बात है - और ये दक्षिण पर हिंदी थोपे जाने को लेकर होने वाले विरोध जैसी भी नहीं लगती.
केरल से आने वाले थरूर भी उन्हीं नेताओं की जमात में शुमार हैं जो हिंदी के ये कह कर विरोध करते हैं कि थोपी नहीं जा सकती. हालांकि, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने हाल ही में कहा है कि वो तमिल के पक्षधर जरूर हैं, लेकिन हिंदी सहित बाकी भाषाओं के विरोधी नहीं.
शशि थरूर ने एक खास प्रसंग में नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के संसद में हिंदी बोलने (Objection on Hindi in Parliament) पर आपत्ति जतायी है - और सबसे बड़ी बात ऐसा करने को लोगों का अपमान तक करार दिया है.
ये वही शशि थरूर हैं जो ऑक्सफोर्ड सोसाइटी के कार्यक्रम में जब बोलने की बारी आयी तो भारत में हुकूमत के लिए अंग्रेजों से लगान वसूले जाने की वकालत करने लगे - और वो भाषण काफी चर्चित रहा. यहां तक कि एक दूसरे के कट्टर राजनीतिक विरोधी होने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी थरूर के उस भाषण की तारीफ कर चुके हैं.
हैरानी की बात ये है कि शशि थरूर ने सिंधिया के हिंदी बोलने पर आपत्ति क्यों जतायी - क्या इसके पीछे विपक्षी खेमे में अंदर ही अंदर किसी रणनीति पर काम चल रहा है और थरूर ने किसी खास तबके को कोई मैसेज देने की कोशिश की है?
अपमान तो हिंदी का हुआ है
ये मामला संसद में एक संसद के सवाल और मंत्री के जवाब के बीच से सामने आया है. सांसद ने अंग्रेजी में सवाल पूछा. मंत्री ने हिंदी में जवाब दिया. जब शशि थरूर ने आपत्ति जतायी तो सिंधिया ने याद दिलाया कि सदन में ट्रांसलेटर भी होता है - और स्पीकर ओम बिड़ला का भी कहना रहा - "ये अपमान नहीं है."
अपमान की राजनीति: मामले की बुनियाद तब पड़ी जब तमिलनाडु के पोल्लाची से डीएमके सांसद एक सुंदरम ने कोयंबटूर से इंटरनेशनल फ्लाइट शुरू होने के बारे में सरकार से सवाल पूछा. दक्षिण के नेताओं के ट्रेंड के मुताबिक सुंदरम ने अंग्रेजी में सवाल पूछा था.
सवाल नागरिक उड्डयन मंत्रालय से जुड़ा था, लिहाज ज्योतिरादित्य सिंधिया को जवाब देना था. जवाब दिया भी. जवाब को लेकर भी किसी को कोई आपत्ति नहीं थी.
फिर तमिलनाडु के ही डिंडिगुल से डीएमके के ही एक अन्य सांसद पी वेलुसामी की तरफ से भी सवाल पूछा गया. सुंदरम की तरफ वेलुसामी ने भी सवाल अंग्रेजी में ही पूछे. एक बार फिर मंत्री के जवाब पर किसी की तरफ से कोई ऐतराज नहीं किया गया, लेकिन तभी शशि थरूर ने हस्तक्षेप किया.
शशि थरूर ने हिंदी विरोध के बहाने नये सिरे से दक्षिण की राजनीति को साधने की कोशिश की है
शशि थरूर का कहना रहा, 'मंत्री अंग्रेजी बोलते हैं, उन्हें अंग्रेजी में जवाब देना चाहिये.' आगे भी बोले, 'जरा जवाब हिंदी में मत दीजिये... ये अपमान है लोगों का.'
बहुतों की तरह सिंधिया को भी हैरानी हुई. सिंधिया ने कहा कि ये बड़ी अजीब बात है, हिंदी बोलने पर भी ऐतराज किया जा रहा है. सिंधिया ने याद दिलाया कि सदन में ट्रांसलेटर भी हैं - और पूछा कि भला उनके हिंदी बोलने से थरूर को समस्या क्यों है?
शशि थरूर की आपत्ति इसलिए भी है क्योंकि सवाल अंग्रेजी में पूछा गया था, तमिल में नहीं - और अगर तमिल में पूछे गये सवाल का भी सिंधिया ने हिंदी में जवाब दिया होता तो भी अपमान वाली कोई बात नहीं होती. सिंधिया जवाब देते भी तो अंग्रेजी में ही देते, भला तमिल में क्यों देते?
बात का बतंगड़ बनाना भी इसे नहीं कहा जा सकता, ये तो जान बूझ कर किसी और मकसद से किसी और बहाने से हिंदी बनाम अंग्रेजी का मुद्दा बनाने की कोशिश लगती है.
थरूर ने ही लगान की मांग की थी ना: 28 मई, 2015 को लंदन के ऑक्सफोर्ड यूनियन सोसाइटी में एक कार्यक्रम हुआ था. शशि थरूर के अलावा कार्यक्रम में ब्रिटिश इतिहासकार जॉन मैकेंजी और कंजरवेटिव पार्टी के पूर्व सांसद सर रिचर्ड ओट्टावे भी शामिल थे.
तब शशि थरूर ने कहा था, जिस वक्त ब्रिटेन ने भारत में कदम रखा था, उस समय भारत की विश्व अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी 23 फीसदी हुआ करती थी, लेकिन जब अंग्रेज भारत से गये तो ये हिस्सेदारी चार फीसदी से भी कम हो गई - क्यों?'
शशि थरूर की दलील थी कि ब्रिटेन के फायदे के लिए भारत पर शासन किया गया... 200 साल तक ब्रिटेन की तरक्की के लिए जो धन आया वो भारत में लूटपाट के जरिये आया... भारत को जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई की जानी चाहिये.'
शशि थरूर ने तब तो तालियां बटोरी ही, बाद में जब वीडियो वायरल हुआ तो तारीफें भी खूब मिलीं - क्या ये वही शशि थरूर हैं जो संसद में मंत्री के हिंदी बोलने पर आपत्ति जता रहे हैं?
बड़ा सवाल ये है कि किसी सांसद के अंग्रेजी में प्रश्न पूछे जाने पर हिंदी में जवाब देना वास्तव में अपमान कैसे हो सकता है? ये तो सीधे सीधे हिंदी का अपमान किया जा रहा है - और ये काम शशि थरूर ने किया है.
तमिलनाडु पर इतना जोर क्यों
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोक सभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब वायनाड से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के भाषण में कई बार तमिलनाडु का जिक्र सुनने को मिला था.
जैसे ही राहुल गांधी बाहर आये और मीडिया से मुखातिब हुए सवाल भी वही पूछा गया - 'आपने भाषण में कई बार तमिलनाडु का जिक्र किया!'
राहुल गांधी ने बस छोटा सा जवाब दिया, “मैं तमिल हूं ना” - और बाकी सवालों पर रिएक्ट किये बगैर आगे बढ़ गये. 2021 के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी दायित्व तो वायनाड से सांसद होने के नाते केरल का महसूस कर रहे होंगे लेकिन ज्यादा एक्टिव तमिलनाडु को लेकर ही देखे गये थे. संसद में राहुल गांधी के भाषण में तमिलनाडु का जिक्र सुन कर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भी काफी खुश नजर आये.
The Tamils, along with the people of every other state of our country, are my brothers & sisters.
உங்களின் கனிவான வார்த்தைகளுக்கு மிக்க நன்றி திரு @Mkstalin அவர்களே!
I have no doubt that our shared belief in the pluralistic, federal & cooperative idea of India will triumph. https://t.co/wrQKM9cPYw
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 3, 2022
संसद में राहुल गांधी ने कहा था, 'अगर आप संविधान पढ़ें तो आप पाएंगे कि भारत को राज्यों के संघ के रूप में बताया गया है... एक राष्ट्र के रूप में नहीं बताया गया है... मतलब है कि तमिलनाडु के एक भाई के पास महाराष्ट्र के मेरे भाई के समान अधिकार हैं - निश्चित रूप से ये बात जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, लक्षद्वीप पर भी लागू होती है.'
राहुल गांधी के सपोर्ट में कांग्रेस के कई नेताओं ने ट्विटर पर लोकेशन में बदलाव कर 'इंडिया' की जगह 'यूनियन ऑफ इंडिया' कर लिया है. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा और नलगोंडा से कांग्रेस सांसद उत्तम कुमार रेड्डी के नाम इनमें प्रमुख हैं. आज तक के सवाल पर उत्तम कुमार रेड्डी ने वजह भी बतायी है.
कांग्रेस सांसद उत्तम कुमार रेड्डी ने ट्विटर पर बदली लोकेशन, देखिये @Supriya23bh की #ReporterDairy #Congress pic.twitter.com/trOPl2KvKT
— AajTak (@aajtak) February 3, 2022
दरअसल, ये 'यूनियन ऑफ इंडिया' वाली बयार भी तमिलनाडु से ही निकली है. मुख्यमंत्री बनने के बाद एमके स्टालिन ने साफ किया था कि तमिलाडु सरकार की तरफ से केंद्र सरकार को 'यूनियन गवर्नमेंट' कह कर ही संबोधित किया जाएगा. तभी ये हवाला भी दिया गया था कि 1957 में ही डीएमके के इलेक्शन मैनिफेस्टो में केंद्र के लिए 'इंडियन यूनियन' नाम का इस्तेमाल किया जा चुका है - ये याद दिलाते हुए कि संविधान में भी भारत को 'राज्यों का संघ' ही बताया गया है.
संसद में अपने भाषण में राहुल गांधी, असल में स्टालिन की बातों को ही आगे बढ़ा रहे थे - और थोड़ा ध्यान देकर समझने की कोशिश करें तो अब शशि थरूर की आपत्ति से लेकर अपने भाषण का आखिरी पैरा न पढ़ने देने को लेकर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा भी जो शोर मचा रही हैं - वो सब विपक्ष की राजनीति के एक खास पैटर्न का ही हिस्सा लगता है.
1. ये 200 सीटों का क्या चक्कर है: ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा संसद में अपना भाषण पूरा न दे पाने के लिए बेहद खफा है.
स्पीकर के प्रेम से बोलने की सलाह को लेकर महुआ मोइत्रा का कहना है कि वो गुस्से में बोलें या प्रेम से ये सलाह देने वाला कोई और कौन होता है - पूछती हैं, यहां हम सत्ता पक्ष को लड्डू पेड़ा खिलाने थोड़े ही बैठे हुए हैं. वैसे ये भी नहीं समझ में आ रहा है कि ऐसी कौन सी महत्वपूर्ण बात थी जिसे महुआ मोइत्रा के भाषण के आखिर में जगह मिली थी.
And who is Chair to interrupt me (taking up MY valuable time) to lecture me on whether I should speak with gussa or pyar? None of of your business Madam. You can only correct me on rules. You are NOT the moral science teacher for LS.
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) February 3, 2022
शिकायत के साथ साथ महुआ मोइत्रा 200 सीटों का भी जिक्र करती हैं, 'मैं तो बस आखिरी पैराग्राफ पूरा कर लेने देने को कह रही थी, ताकि विपक्ष को बता सकें कि सबको साथ आने की जरूरत क्यों है? ऐसी 200 सीटें हैं जहां बीजेपी पूरी ताकत झोंक दे तो भी 50 से ज्यादा नहीं पा सकती.'
फिर समझाती हैं. अंदाज तो ममता बनर्जी वाला ही है, लेकिन शब्द अलग हैं. कहती हैं कि अगर विपक्ष साथ आ जाये तो ये 'खेला' ही खत्म हो जाये.
एनडीटीवी से बातचीत में भी महुआ का कहना रहा, "केरल से बिहार... इन 200 सीट में वो 50 सीट से ज्यादा नहीं जीत पाये... आज के दिन पे खड़े होकर तो आज विपक्ष एक साथ मिल के वेस्ट पश्चिम और उत्तर नॉर्थ में एक साथ काम करे या कुछ भी अपना प्लान बना के करे तो ये खतम हो जाएंगे."
असल में महुआ मोइत्रा जिन 200 सीटों का जिक्र कर रही हैं, वो फॉर्मूला चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का बताया हुआ है. हाल के एक इंटरव्यू में ही प्रशांत किशोर ने बीजेपी को हराना कैसे संभव है, समझाते हुए ये बात कही थी.
ऐसे ही मिलते जुलते आंकड़े टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भी शरद पवार के सामने अपने प्रजेंटेशन में दिखाये थे और एनसीपी नेता ने भी सहमति जतायी थी. ये तब की बात है जब ममता बनर्जी, पवार से मिलने उनके घर सिल्वर ओक पहुंची थीं.
कोई क्रोनोलॉजी समझ में आ रही है क्या:
1. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव में राहुल गांधी का संसद में अंग्रेजी में भाषण देना - क्योंकि वो तो एक खास ऑडिएंस को अड्रेस कर रहे थे.
2. अचानक बीच में दखल देकर शशि थरूर का ज्योतिरादित्य सिंधिया के हिंदी में जवाब देने पर लोगों अपमान बताना - और थरूर की भी मंजिल वही है जो राहुल गांधी की है.
3. वायनाड से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के भाषण में बार बार तमिलनाडु का जिक्र आना - और पूछे जाने पर चिढ़ कर रिएक्ट करना.
4. राहुल गांधी के संसद में संविधान की दुहाई देने के बाद कांग्रेस नेताओं का ट्विटर पर लोकेशन बदल कर 'यूनियन ऑफ इंडिया' कर देना.
5. एमके स्टालिन का केंद्र को 'इंडियन यूनियन' के नाम से ही संबोधित करने का फैसला करना.
6. टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा का बीजेपी को शिकस्त देने के लिए 200 लोक सभा सीटों का जिक्र करना.
7. प्रशांत किशोर का बीजेपी को 2024 में हराने के लिए 200 सीटों का फॉर्मूला सुझाना.
...और हां, अगर किसी को ये लगता है कि परदे के पीछे विपक्ष का ये खेल सिर्फ दक्षिण में चल रहा है, तो या तो वे आंख मूंदे हुए हैं या किसी मुगालते में हैं. अब अगर किसी को उन्नाव में कांग्रेस उम्मीदवार आशा देवी का समाजवादी पार्टी का सपोर्ट समझ में नहीं आ रहा है, फिर तो करहल सीट पर अखिलेश यादव को प्रियंका गांधी का बदला चुकाना भी समझ में आये ही जरूरी तो नहीं - वैसे ट्विटर पर जो सरेआम दुआ-सलाम का दौर दौर चल रहा है वो भी कम दिलचस्प नहीं है.
एक दुआ-सलाम ~ तहज़ीब के नाम pic.twitter.com/dutvvEkz5W
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 3, 2022
हमारी भी आपको राम राम @jayantrld @yadavakhilesh pic.twitter.com/RyUmXS4Z8B
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) February 3, 2022
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