ओवैसी को डांटकर अमित शाह ने बता दिया देश के खिलाफ कुछ भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा
लोकसभा में एनआईए (संशोधन) विधेयक को मंजूरी मिलना मोदी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि इस विधेयक के बाद सरकार और प्रभावी ढंग से आतंकवाद का समर्थन कर रहे लोगों पर नकेल कसने में कामयाब होगी.
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हमेशा से ही आतंकवाद के प्रति सख्त रुख रखने वाली मोदी सरकार को एक बड़ी कामयाबी मिली है. विपक्ष से हुई तीखी नोक झोंक के बाद लोकसभा में एनआईए (संशोधन) विधेयक को मंजूरी मिल गई है. इस विधेयक के अंतर्गत राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भारत से बाहर किसी गंभीर अपराध के संबंध में मामले का पंजीकरण करने और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है. विधेयक, वोटिंग के जरिये पारित किया गया जिसमें प्रस्ताव के पक्ष में 278 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में 6 लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. विधेयक पर चल रही चर्चा पर गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने तर्क पेश किया कि आज जब देश और दुनिया को आतंकवाद के खतरे से निपटना है, ऐसे में एनआईए संशोधन विधेयक का उद्देश्य जांच एजेंसी को राष्ट्रहित में मजबूत बनाना है. ध्यान रहे कि इस बिल के पास होने से जांच एजेंसी को हथियारों की तस्करी, नशीले पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी और साइबर क्राइम जांच संबंधी मामलों को देखने के लिए ज्यादा अधिकार मिल गए हैं.
भले ही अमित शाह और असदुद्दीन ओवैसी में तीखी नोक झोंक हुई हो मगर एनआईए (संशोधन) विधेयक को लोकसभा में पास कर दिया गया
दिलचस्प बात ये भी है कि बिल पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह और एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी के बीच नोकझोंक भी देखने को मिली. एनआईए संशोधन बिल पर भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह भाषण दे रहे थे. अपने भाषण में सत्यपाल सिंह ने हैदराबाद की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि हैदराबाद के एक पुलिस प्रमुख को एक नेता ने एक आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने से रोका था और कहा कि वह कार्रवाई आगे बढ़ाते हैं तो उनके लिए मुश्किल हो जाएगी.
भाजपा सांसद डॉक्टर सत्यपाल सिंह की ये बात एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी को नागवार गुजरी और वो विरोध स्वरुप अपने स्थान पर खड़े हो गए. ओवैसी ने कहा कि भाजपा सदस्य जिस निजी वार्तालाप का उल्लेख कर रहे हैं और जिनकी बात कर रहे हैं वो यहां मौजूद नहीं हैं. क्या भाजपा सदस्य इसके सबूत सदन के पटल पर रख सकते हैं?
एनआईए (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने असदुद्दीन ओवैसी की जमकर क्लास ली
इस पर एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी अपने स्थान पर खड़े हो गए और कहा कि भाजपा सदस्य जिस निजी वार्तालाप का उल्लेख कर रहे हैं और जिनकी बात कर रहे हैं वो यहां मौजूद नहीं हैं. क्या भाजपा सदस्य इसके सबूत सदन के पटल पर रख सकते हैं? ओवैसी का इतना कहना भर था. गृह मंत्री अमित शाह को उनका उस तरह व्यवधान डालना अच्छा नहीं लगा और उन्होंने ओवैसी की जमकर खबर ली. अमित शाह ने तल्ख तेवरों में ओवैसी से कहा कि 'सुनने की भी आदत डालिए, ओवैसी साहब. इस तरह से नहीं चलेगा.
#WATCH: Union Home Minister Amit Shah says in Lok Sabha,"sunne ki bhi aadat daliye Owaisi Sahab, iss tarah se nahi chalega." Shah said this after AIMIM MP Asaduddin Owaisi objected to a part of BJP MP Satya Pal Singh's speech during discussion on NIA Amendment Bill. pic.twitter.com/QsbwsqYcKp
— ANI (@ANI) July 15, 2019
वहीं भारी सभा में इस तरह अपनी किरकिरी देखकर ओवैसी ने कहा कि आप गृह मंत्री हैं तो डराइए मत, जिस पर शाह ने कहा कि वह डरा नहीं रहे हैं, लेकिन अगर डर जेहन में है तो क्या किया जा सकता है?
गौरतलब है कि विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने इस बात पर भी बल दिया कि नरेन्द्र मोदी सरकार की, एनआईए कानून का दुरुपयोग करने की न तो कोई इच्छा है. और न ही कोई मंशा है. इस कानून का शुद्ध रूप से आतंकवाद को खत्म करने के लिये उपयोग किया जायेगा.
मौके पर कुछ सदस्यों द्वारा ‘पोटा’ (आतंकवादी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) का जिक्र भी किया गया. जिसपर गृह मंत्री ने तर्क पेश किया कि पोटा कानून को वोटबैंक बचाने के लिए भंग किया गया था. शाह ने ये भी कहा कि पोटा की मदद से देश को आतंकवाद से बचाया जाता था, इससे आतंकवादियों के अंदर भय था, देश की सीमाओं की रक्षा होती थी.
पोटा को भंग किये जाने के लिए शाह ने पूर्ववर्ती यूपीए की सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जैसे ही 2004 में यूपीए की सरकार बनी उसने तुष्टिकरण की राजनीति के अंतर्गत इसे पूरी तरह से भंग कर दिया. संसद में अपनी बात रखते हुए शाह का कहना था कि, पोटा को भंग करना उचित नहीं था, यह हमारा आज भी मानना है.
Home Minister Amit Shah in Lok Sabha, today: Repealing POTA (Prevention of Terrorism Act) wasn't a right step, number of terrorists incidents increased so much between 2004-2008 that the then UPA govt had to bring in NIA. It was after Mumbai attack that it was decided to form NIA pic.twitter.com/EGtpH7v4Uw
— ANI (@ANI) July 15, 2019
शाह ने कहा कि पोटा को भंग किये जाने के बाद आतंकवाद इतना बढ़ा कि स्थिति काबू में नहीं रही और संप्रग सरकार को ही एनआईए को लाने का फैसला करना पड़ा. गृह मंत्री ने इस सन्दर्भ में मुम्बई में हुए सीरियल ब्लास्ट और 26:11 आतंकी हमले का भी उदाहरण दिया. गृह मंत्री ने कहा, ‘‘आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने वाली किसी एजेंसी को और ताकत देने की बात हो और सदन एक मत न हो, तो इससे आतंकवाद फैलाने वालों का मनोबल बढ़ता है.
क्या है पोटा ?
आतंकवाद निरोधक क़ानून पोटा को टाडा क़ानून की जगह पर लाया गया था जिसे 1995 में ख़त्म कर दिया गया था. सबसे पहले पोटा को एक अध्यादेश के रूप में लाया गया था.पोटा के तहत ऐसी कोई भी कार्रवाई जिसमें हथियारों या विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ हो अथवा जिसमें किसी की मौत हो जाए या कोई घायल हो जाए आतंकवादी कार्रवाई मानी जाएगी. इनके अलावा ऐसी हर गतिविधि जिससे किसी सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचा हो या सरकारी सेवाओं में बाधा आई हो या फिर उससे देश की एकता और अखंडता को ख़तरा हो, वह भी इसी श्रेणी में आती है.
ध्यान रहे कि पोटा के तहत गिरफ़्तारी महज़ शक के आधार पर की जा सकती है. पोटा कानून के अंदर पुलिस को यह भी अधिकार है कि वह बिना वॉरंट के किसी की भी तलाशी ले सकती है और टेलीफ़ोन तथा अन्य संचार सुविधाओं पर भी नज़र रखी जा सकती है.अभियुक्त के ख़िलाफ़ गवाही देने वालों की पहचान छिपाई जा सकती है. आतंकवादियों से संबंध होने के संदेह में अभियुक्त का पासपोर्ट और यात्रा संबंधी अन्य काग़ज़ात रद्द किए जा सकते हैं.
अभियुक्त को तीन महीने तक अदालत में आरोप-पत्र दाख़िल किए बिना ही हिरासत में रखा जा सकता है और उसकी संपत्ति ज़ब्त की जा सकती है. संविधान विशेषज्ञ राजीव धवन का कहना है कि ग़ैर-क़ानूनी जमावड़े पर पाबंदी और टेलीफ़ोन टैपिंग के प्रावधानों के कारण यह क़ानून टाडा से भी ज़्यादा कड़ा माना जा सकता है.
बहरहाल भले ही यूपीए ने अपने जमाने में पोटा को भंग कर दिया हो मगर अब जबकि एनआईए (संशोधन) विधेयक लोकसभा में पास हो गया है तो माना जा रहा है कि प्रभावी ढंग से इसका इस्तेमाल करते हुए सरकार उन ताकतों पर लगाम लगाएगी जो आतंकवाद का रास्ता अपनाते हुए देश की शांति के अलावा उसकी अखंडता और एकता को प्रभावित कर रहे हैं.
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