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Updated: 17 सितम्बर, 2021 01:15 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के तेजी से बढ़ते कदम थोड़े थम से गये हैं - और ये रामविलास पासवान की पुण्यतिथि के ठीक अगले दिन की बात है. नीतीश कुमार के फैसले की जानकारी भी जेडीयू के किसी प्रवक्ता ने नहीं, बल्कि पार्टी के अध्यक्ष लल्लन सिंह की तरफ से दी गयी है. मामले की गंभीरता को इसी हिसाब से समझा जा सकता है.

25 सितंबर को पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की जयंती पर हरियाणा के जिंद में विपक्षी खेमे के कई नेताओं का जमावड़ा लगने वाला है, लेकिन जेडीयू की तरफ से साफ कर दिया गया है कि उसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जगह जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी प्रतिनिधित्व करेंगे.

हैरानी की बात ये है कि नीतीश कुमार के फैसले की जानकारी पटना में रामविलास पासवान की बरसी पर बीजेपी नेताओं के बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने के बाद सामने आयी है - और ध्यान देने वाली बात ये भी है कि चिराग पासवान (Chirag Paswan) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के ताजा स्टैंड के बाद ये सब हो रहा है.

दबाव में नीतीश का विपक्षी आयोजन से यू-टर्न

जेडीयू अध्यक्ष लल्लन सिंह ने नीतीश कुमार के फैसले की जानकारी देते हुए अपने नेता और देवीलाल के संबंधों का भी जिक्र किया. बताया कि दोनों नेताओं के बीच आत्मीय संबंध रहे हैं और चौधरी देवीलाल के नेतृत्व में भी नीतीश कुमार काम कर चुके हैं. जब देवीलाल केंद्र सरकार में कृषि मंत्री हुआ करते थे, नीतीश कुमार उसी विभाग में राज्य मंत्री थे.

जेडीयू अध्यक्ष लल्लन सिंह के मुताबिक, चौधरी देवीलाल के नाम पर ये कार्यक्रम किसान सम्मेलन के रूप में हो रहा है और नीतीश कुमार को भी निमंत्रण मिला है - और पहले भी वो देवीलाल की याद में होने वाले ऐसे कार्यक्रमों में जाते रहे हैं, लेकिन कोरोना वायरस की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर तैयारी और वायरल फीवर के शिकार हो रहे बच्चों के लिए इंतजामों की निगरानी ठीक से हो सके, इसलिए मुख्यमंत्री बिहार से बाहर नहीं जा सकते.

लल्लन सिंह ने ये भी बताया कि जब तक कोई महत्वपूर्ण काम नहीं होगा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार से बाहर नहीं जाएंगे - हां, दिल्ली तक जा सकते हैं. मतलब, अगर देवीलाल का कार्यक्रम जींद की जगह दिल्ली में होता तो नीतीश कुमार को मंच पर देखने को मिल सकता था?

नीतीश कुमार की ही तरह देवीलाल की याद में हो रहे किसान सम्मेलन का न्योता ममता बनर्जी, शरद पवार, प्रकाश सिंह बादल, लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव, अरविंद केजरीवाल और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा तक को भेजा गया है.

nitish kumar, narendra modiमोदी की नजर टेढ़ी होते ही नीतीश कुमार तो बगलें झांकने लगे!

हफ्ते भर पहले ही INLD नेता अभय चौटाला ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया था कि एचडी देवगौड़ा, प्रकाश सिंह बादल और मुलायम सिंह यादव के साथ साथ नीतीश कुमार ने भी कंफर्म किया है कि वो कार्यक्रम में शामिल होंगे, लेकिन अचानक जेडीयू की तरफ से अब बता दिया गया है कि नीतीश कुमार का प्रतिनिधित्व जेडीयू नेता केसी त्यागी करेंगे.

ये सम्मेलन हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला करा रहे हैं - और जैसे ममता बनर्जी, शरद पवार और लालू प्रसाद यादव बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2024 में चैलेंज करने के लिए मोर्चेबंदी कर रहे हैं, ये भी बिलकुल वैसी ही राजनीतिक कवायद है. सिर्फ एक फर्क है, बाकियों की कोशिश बीजेपी और मोदी के खिलाफ एकजुट होकर चैलेंज करने की है - चौटाला परिवार का प्रयास एक गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेस तीसरा मोर्चा खड़ा करने की तैयारी है.

और सबसे मजेदार बात ये है कि ओमप्रकाश चौटाला ये सब नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही करना चाहते हैं, लेकिन ऐन वक्त पर जेडीयू नेता ने पलटी मार ली है. क्या नीतीश कुमार ने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्टैंड लेते ही बीजेपी नेता चिराग पासवान के सपोर्ट में खड़े हो गये हैं और लोक जनशक्ति पार्टी के बहाने जूनियर पासवान को भी एनडीए का हिस्सा बताये जाने की शुरुआत हो चली है?

मोदी की एक चाल से तिलमिला उठे नीतीश

महीना भर पहले ही नीतीश कुमार गुरुग्राम के एक बंद कमरे में ओम प्रकाश चौटाला से मिले थे - और इस तरीके से गैर कांग्रेस गैर बीजेपी मोर्चे की रणनीति तैयार की जाने लगी. गुरुग्राम का वो कमरा, दरअसल, हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री रहे ओम प्रकाश चौटाला का आवास था जहां नीतीश कुमार को लंच के लिए बुलाया गया था.

हरियाणा मे हुए टीचर भर्ती घोटाले में सजा पा चुके ओमप्रकाश चौटाला जब तिहाड़ जेल से बाहर आये तो जेडीयू नेता केसी त्यागी शिष्टाचार वश मिलने पहुंचे. करीब दो घंटे तक चौटाला के साथ बिताने के और लंच करने के दौरान ही केसी त्यागी ने फोन मिलाया और नीतीश कुमार की चौटाला से बात करायी. बातचीत के दौरान चौटाला ने नीतीश कुमार को लंच पर बुला लिया और वो राजी हो गये.

तय वक्त के अनुसार नीतीश कुमार पहुंचे और ओम प्रकाश चौटाला ने अपने हाथों से परोस कर साथ में लंच किया. बताते हैं कि पुराने दोस्त के साथ लंच करने पहुंचे नीतीश कुमार उनके लिए शॉल लेकर भी गये थे. एक सजायाफ्ता नेता से मुलाकात को लेकर सवाल उठे उससे पहले ही नीतीश कुमार ने पुराने रिश्तों की दुहाई देते हुए फौरन ही सफाई पेश कर दी थी. ये नीतीश कुमार ही थे जो तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए थे और जब लालू परिवार की तरफ से साफ इनकार कर दिया गया तो खुद ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया. मुख्यमंत्री का इस्तीफा पूरे कैबिनेट का इस्तीफा हो जाता है, इसलिए तेजस्वी यादव का डिप्टी सीएम का पद अपनेआप खत्म हो गया.

तिहाड़ जेल से बाहर आने के बाद ओमप्रकाश चौटाला भी राजनीतिक तौर पर वैसे ही सक्रिय हो गये हैं जैसे रांची जेल से जमानत पर रिहा होकर दिल्ली पहुंचे लालू प्रसाद यादव - दोनों का मिशन एक ही जैसा है, लेकिन लालू प्रसाद यादव कांग्रेस के साथ मिल कर काम कर रहे हैं. कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के प्रति वो पहले से ही सम्मान भाव रखते हैं और उनके विदेशी मूल के मुद्दे पर विवाद को लेकर सपोर्ट का खंभा बन कर खड़े हो गये थे.

रामविलास पासवान की बरसी पर उनको याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिराग पासवान को एक चिट्ठी लिखी थी, जिसे आभार सहित चिराग पासवान ने ट्वीट भी किया था. बताया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिराग पासवान से फोन पर बात भी की थी और तमाम हालचाल पूछे थे. घर परिवार की खैरियत पूछी थी.

एक तरफ नीतीश कुमार ने महज ट्वीट से रस्म निभायी और जेडीयू ने साफ साफ दूरी बना ली थी, दिल्ली से ये ग्रीन सिग्ननल मिलते ही पटना में बिहार बीजेपी के नेता चिराग पासवान की तरफ दौड़ पड़े. बिहार के दोनों डिप्टी सीएम, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और राम कृपाल यादव ही नहीं, कभी नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाने वाले सुशील कुमार मोदी भी चिराग पासवान के घर पहुंचे थे.

ध्यान देने वाली बात ये है कि बीजेपी नेताओं ने चिराग पासवान के साथ खड़े होने को खूब प्रचारित भी किया. कई नेताओं ने तो मीडिया के दफ्तरों में फोन करके खबर के साथ अपनी तस्वीर भी लगा देने की गुजारिश और सिफारिश भी की. बिहार बीजेपी अध्यक्ष ने तो कहा भी कि समझौता पार्टी के साथ होता है और लोक जनशक्ति पार्टी एनडीए में है - मतलब, ये कि जब लोक जनशक्ति पार्टी एनडीए में है तो चिराग पासवान भी एनडीए में ही हुए क्योंकि संसदीय बोर्ड का नेता हो जाने के बावजूद पशुपति कुमार पारस ने चिराग पासवान को निकाला तो है नहीं.

मुमकिन है चिराग पासवान को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के साथ साथ बीजेपी नेताओं के ताजा तेवर देखने को नहीं मिलते तो नीतीश कुमार भी देवीलाल के प्रोग्राम में मंच पर नजर आते - और ये भी मुककिन था कि ओमप्रकाश चौटाला की तरफ से भी नीतीश कुमार को न सिर्फ पीएम मैटीरियल बताया जाता, बल्कि 2024 के लिए मोर्चे की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार भी बता दिया जाता.

ये सब इसलिए भी कोरी कल्पना नहीं लगती क्योंकि ओमप्रकाश चौटाला अपनी तरफ से ऐसे सारे इशारे कर चुके हैं - और खास बात ये है कि नीतीश कुमार की तरफ से भी मंजूरी मिली हुई थी. अगर ऐसा नहीं होता तो भला अभय चौटाला नीतीश कुमार के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर हामी भरने की बात सार्वजनिक तौर पर कैसे कह सकते थे?

जातीय जनगणना की मांग को लेकर बिहार के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के बाद ये नीतीश कुमार की तरफ से ठीक वैसी ही दूसरी राजनीतिक एक्टिविटी होने वाली थी, जिसे बीजेपी नेतृत्व ने एक चाल से खामोश कर दिया है.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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