नीतीश के बॉडी-लैंग्वेज से पैदा हुआ सवाल - चाणक्य कैसे चक्रव्यूह में फंस गया?
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के सामने राजनीतिक परिस्थितियां (Bihar Election 2020) अचानक ही बदल गयी हैं. तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) और चिराग पासवान पहले के मुकाबले ज्यादा आक्रामक हो चुके हैं - और बीजेपी साथ होकर भी साथ नहीं लगती!
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नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की चुनावी पनघट की डगर दिनोंदिन कुछ ज्यादा ही कठिन होती जा रही है. अब तक नीतीश कुमार सारे काम अपने मनमाफिक कराते आ रहे थे. बीजेपी के साथ सीटों का बंटवारा हो या फिर जेडीयू उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लगाने की बात हो - मुश्किलें तो कदम कदम पर आती रहीं लेकिन काम रुकते रुकते भी आग बढ़ ही जा रहे थे.
चिराग पासवान के आक्रामक रुख के चलते बीजेपी पर दबाव बनाने में भी कामयाब रहे. मौके की नजाकत को देखते हुए बीजेपी को चिराग पासवान पर स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी है. बिहार एनडीए में चिराग को लेकर तो सुशील मोदी और संजय जायसवाल जैसे बीजेपी नेताओं ने पहले ही स्थिति स्पष्ट कर दी थी, बाद में अमित शाह ने ये भी बता दिया कि विधानसभा चुनाव के बाद दिल्ली एनडीए पर भी फैसला ले लिया जाएगा.
लेकिन वोटिंग का दिन नजदीक आने के साथ ही नीतीश कुमार चौतरफा घिरे हुए नजर आने लगे हैं. नीतीश कुमार की पोजीशन 2015 जैसी तो अब कतई नहीं लग रही है. नीतीश कुमार की मुश्किल ये है कि उनके राजनीतिक विरोधी तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) और चिराग पासवान तो लगातार चुनौतियां पेश कर ही रहे हैं, कहने को सहयोगी बीजेपी भी उनको घेर कर परेशान करने का कोई भी मौका नहीं चूक रही है - अचानक ऐसा क्यों लगने लगा है कि बिहार (Bihar Election 2020) की राजनीति का चाणक्य चुनावी चक्रव्यूह में फंसता जा रहा है!
अचानक घिर क्यों गये नीतीश कुमार
हालत ये हो रही है कि एक बड़े ही संजीदे राजनेता का चिड़चिड़ा स्वभाव लोगों के सामने आ जा रहा है. जेडीयू उम्मीदवार चंद्रिका राय की चुनावी सभा में तो हद ही हो गयी. लालू प्रसाद के समधी और ऐश्वर्या राय कि पिता चंद्रिका राय परसा सीट से इस बार जेडीयू के उम्मीदवार हैं और नीतीश कुमार उनके लिए ही वोट मांगने पहुंचे थे. पहले तो ऐश्वर्या के भी चुनाव लड़ने की संभावना जतायी जा रही थी. वो भी तेज प्रताप यादव या तेजस्वी यादव के खिलाफ ही. वैसे मंच पर आकर नीतीश कुमार का पैर छूकर आशीर्वाद लेने के बाद ऐश्वर्या लोगों से कुछ पल के लिए मुखातिब हुईं भी. बोलीं तो बहुत ही कम लेकिन मैसेज बड़ा छोड़ गयीं - 'कुछ दिनों में मैं आपके बीच आऊंगी.'
जैसे ही नीतीश कुमार का भाषण शुरू हुआ भीड़ ने नारेबाजी शुरू कर दी - लालू यादव जिंदाबाद. भीड़ का भी कोई दोष था तो नहीं. कल तक वे सारे लोग नारे तो यही लगाते रहे. अब चंद्रिका राय ने पाला बदल लिया तो वो नारा भला कैसे भूल इतनी जल्दी भूल जायें.
नीतीश कुमार ने भाषण रोक दिया और बोले, 'चुप रहिये... आप जिस पार्टी से आये हैं, उसका बुरा हाल होने वाला है.' फिर नीतीश कुमार ने नारे लगाने वालों को सभा से बाहर कर देने का फरमान जारी किया. ये सुनते ही जेडीयू कार्यकर्ता नारे लगाने वालों पर टूट पड़े और 'लालू मुर्दाबाद' शुरू हो गया. दोनों तरफ की नारेबाजी में दोनों पक्ष एक दूसरे से भिड़ने को तैयार नजर आने लगे.
हालात की गंभीरता को देखते हुए नीतीश कुमार को बोलना पड़ा, वोट नहीं देना है तो मत दीजिये, लेकिन शांत रहिये.
बेरोजगारी के मुद्दे और तेजस्वी यादव के 10 लाख नौकरी देने के वादे पर तो नीतीश कुमार नाराजगी भरे अंदाज में खारिज कर ही रहे थे, अब तो थकान को लेकर भी आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है.
चक्रव्यूह में चाणक्य का फंस जाना
नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के अनुभव पर भी सवाल उठाया है और जब काम करने का मौका मिला तब कुछ नहीं करने का आरोप भी लगा रहे हैं. नीतीश कुमार को ये तो नहीं ही भूलना चाहिये कि तेजस्वी यादव भी तो उनकी ही सरकार का हिस्सा थे. वे अलग से करते भी तो क्या कर पाते. पद का ही नाम डिप्टी सीएम था, लेकिन वो भी तो नीतीश कैबिनेट के एक मंत्री ही थे. जब भ्रष्टाचार के आरोप में एफआईआर दर्ज होने के बावजूद इस्तीफा नहीं दे रहे थे तो नीतीश कुमार ने इस्तीफा देकर उनका पद भी खत्म कर दिया. बीजेपी की मदद से नीतीश कुमार तो फिर से मुख्यमंत्री बन गये लेकिन तेजस्वी यादव भूतपूर्व हो गये.
नीतीश की तरफ से अनुभव का सवाल उठाने पर तेजस्वी यादव का कहना है कि अगर उनके पास अनुभव नहीं है तो उनके विरोधी इतने परेशान क्यों हैं. 31 साल के एक नौजवान के लिए 20-20 हेलीकॉप्टर और पूरे देश की टीन को क्यों उतार दिया गया है.
तेजस्वी यादव कहने लगे हैं कि नीतीश कुमार अब थक चुके हैं, तो जवाब में सफाई देने के साथ ही नीतीश कुमार सवाल करते हैं - लॉकडाउन में तेजस्वी यादव दिल्ली में किसके घर रुके थे, बतायें जरा.
कमजोर कड़ी साबित हो रहा ट्रैक रिकॉर्ड
खुलेआम विरोधी होने के कारण तेजस्वी यादव के खिलाफ तो नीतीश कुमार खुल कर बोल रहे हैं, लेकिन चिराग पासवान के नाम पर परहेज करते देखने को मिला है. ये जरूर समझ में आया है कि चिराग पासवान पर बीजेपी के जरिये वो लगाम कसने में कायम रहे हैं. नीतीश के दबाव में ही बीजेपी ने चिराग पासवान का आगाह कर दिया कि वो चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोटो भी इस्तेमाल नहीं कर सकते और अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी एफआईआर कराएगी.
ये नीतीश कुमार के दबाव का ही असर रहा कि चिराग पासवान को भी पीछे हटना पड़ा और बोल दिये कि वो मोदी की तस्वीर कतई नहीं इस्तेमाल करने जा रहे हैं क्योंकि उसकी ज्यादा जरूरत खुद नीतीश कुमार को ही है. चिराग पासवान ने एक ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी से भी कह दिया कि आप नीतीश कुमार की खुशी के लिए उनको जितना चाहें भला बुरा बोल सकते हैं उनको कोई दिक्कत नहीं होगी. चिराग पासवान का दावा है कि वो मोदी के हनुमान हैं.
अपने पिता रामविलास पासवान के श्राद्ध के बाद चिराग पासवान मैदान में वापस आ चुके हैं और आते ही जोरदार शॉट जड़ा है. श्राद्ध के मौके पर चिराग पासवान के घर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों पहुंचे थे. उस अवसर की जो दो तस्वीरें खूब देखी जा रही हैं उनमें से एक में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच में चिराग पासवान बैठे हुए हैं और एक में नीतीश कुमार के पैर छूते चिराग पासवान देखे जा सकते हैं.
चिराग पासवान ने शक जताया है कि कहीं प्रधानमंत्री मोदी की वजह से चुनाव जीत कर नीतीश कुमार फिर से लालू प्रसाद के पाले में न लौट जायें. दरअसल, 2015 में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद साथ चुनाव लड़े थे, लेकिन करीब डेढ़ साल तक साथ में सरकार चलाने के बाद नीतीश कुमार ने पाला बदल कर एनडीए में वापसी कर ली और अब भी उसी चुनावी गठबंधन का हिस्सा हैं.
पिछली बार आदरणीय @laluprasadrjd जी के आशीर्वाद से आदरणीय @NitishKumar जी मुख्यमंत्री बने और फिर उनको धोखा देकर प्रधानमंत्री जी के आशीर्वाद से रातों रात मुख्यमंत्री बन गए।इस बार कहीं आदरणीय @narendramodi जी का आशीर्वाद लेकर फिर आदरणीय @laluprasadrjd जी के शरण में ना चले जाएँ साहब।
— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) October 22, 2020
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार का मुकाबला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह से हुआ करता रहा. आज जो तेजस्वी यादव और चिराग पासवान उन पर सीधा हमला बोल रहे हैं, पांच साल पहले दोनों के पिता भी साथ या विरोध में रहते हुए भी वैसे नहीं पेश आ रहे थे जिस तरह तेजस्वी यादव और चिराग पासवान हमलावर हो रखे हैं. तब तो हाल ये रहा कि डीएनए विवाद के बाद नीतीश कुमार चुनावी माहौल में एजेंडा सेट करते रहे - और मोदी-शाह को भी रिएक्ट करना पड़ता रहा. अब हाल ये हो रखी है कि चिराग पासवान और तेजस्वी यादव एजेंडा सेट करते नजर आ रहे हैं और नीतीश कुमार को उस पर रिएक्ट करना पड़ रहा है.
मुख्य-मौक़ा मंत्री जी और उप मुख्य-धोखा मंत्री जी, जनता ने बहुत दिया आपको मौक़ा और आप ने दिया जनता को धोखा pic.twitter.com/jvFeuepwve
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) October 22, 2020
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