केरल में सरस्वती पूजा की मनाही धर्म-निरपेक्ष या धर्म-विरोधी?
बंगाल के बाद सरस्वती पूजा पर चल रहे विरोध का ताजा मामला केरल की कोचीन यूनिवर्सिटी से है. कोचीन यूनिवर्सिटी में ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा को धर्म-निरपेक्षता की दलील देकर रोका गया है.
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बंगाल में सरस्वती पूजा पर लगी रोक के बाद केरल का कोचीन चर्चा में है. 10 फरवरी को बसंत पंचमी है. कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में पढ़ने वाले उत्तर भारतीय छात्र कैंपस में सरस्वती पूजा कर ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती का आशीर्वाद हासिल करना चाहते थे. छात्रों ने यूनिवर्सिटी से परमीशन मांगी. यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने मना कर दिया. विश्वविद्यालय परिसर में सरस्वती पूजा क्यों नहीं हो सकती इसपर वीसी की तरफ से जो तर्क आए हैं वो बेहद अजीब ओ गरीब हैं.
इस बार सरस्वती पूजा के विरोध के चलते केरल की कोचीन यूनिवर्सिटी चर्चा में है
यूनिवर्सिटी के ज्वाइंट रजिस्ट्रार ने बताया कि वाइस चांसलर ने उत्तर भारतीय विद्यार्थियों के कोचीन यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीयनिरिंग के कुट्टानाड कैंपस में 'सरस्वती पूजा' आयोजित करने के अनुरोध को खारिज कर दिया है, ऐसा इसलिए क्योंकि यह धर्मनिरपेक्ष कैंपस है, और इसमें किसी धर्मविशेष के समारोहों को अनुमति नहीं दी जा सकती.'
Joint Registrar,Cochin University of Science&Technology: VC has declined request by North Indian students to conduct ‘Saraswati Pooja’ in Cochin University College of Engineering, Kuttanad campus,as it's a secular campus, can't permit functions of any particular religion. #Kerala pic.twitter.com/cYXsNSgIYQ
— ANI (@ANI) February 7, 2019
ध्यान रहे कि ये कोई पहली बार नहीं है जब ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा पर कहीं रोक लगी है. इससे पहले ऐसा ही कुछ हम ममता बनर्जी शासित बंगाल में देख चुके हैं. ममता सरकार पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आरोप लगाया था कि ममता बनर्जी हिन्दू हितों और सरस्वती पूजा के खिलाफ हैं. बंगाल के मेदिनीपुर में आयोजित एक रैली में शाह ने गो-तस्करी, घुसपैठिए, दुर्गा-पूजा और सरस्वती पूजा का मुद्दा उठाया था. बीजेपी अध्यक्ष ने ममता बनर्जी पर तुष्टीकरण का आरोप लगाते हुए पूछा था कि, दुर्गा-पूजा और सरस्वती पूजा बंगाल में नहीं मनेगा तो क्या पाकिस्तान में होगा?
अमित शाह के इस आरोप का ममता बनर्जी ने जबरदस्त पलटवार किया था. मुख्यमंत्री ने अमित शाह को चुनौती देते हुए कहा कि बंगाल में अमित शाह के द्वारा बंगाली-बंगाली में भेद पैदा करने की कोशिश हो रही है.सरस्वती पूजा पर ममता बनर्जी का कहना था कि बंगाल के घर-घर में सरस्वती पूजा, लक्ष्मी पूजा, दुर्गा पूजा होती है. कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पूजा होती है. इसके बाद ममता ने अमित शाह के तल्ख रवैये पर अंगुली उठाते हुए कहा था कि यदि अमित शाह ये साबित कर दें कि बंगाल में पूजा नहीं होती, तो वह राजनीति छोड़ देंगी. नहीं तो वह (श्री शाह) राजनीति छोड़ देंगे? बात आगे बढ़ाने से पहले ये बताना बेहद जरूरी है कि ममता की इस बात पर फ़िलहाल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह खामोश हैं.
बंगाल की अपनी रैली में अमित शाह ने ममता बनर्जी पर कई गंभीर आरोप लगाए थे
ज्ञात हो कि 2014 में भाजपा की सरकार बनने के बाद लगातर कई जगहों पर सरस्वती पूजा के विरोध की रणनीति अपनाई जा रही है और उस पर राजनीति हो रही है. एक साधारण सी पूजा के विरोध की ये राजनीति कहां आ गई है सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक याचिका से समझा जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट में असतो मा सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय और कुछ अन्य प्रार्थनाओं पर आपत्ति जताने वाली याचिका दाखिल की गयी गई. जल्द ही सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ इस इस पर विचार करेगी कि केंद्रीय विद्यालयों में बच्चों को संस्कृत में प्रार्थना करना उचित है या नहीं? वहीं इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने कहा है कि, चूंकि असतो मा सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय जैसी प्रार्थना उपनिषद से ली गई है इसलिए उस पर आपत्ति की जा सकती है और इस पर संविधान पीठ विचार कर सकती है. क्या इसका यह अर्थ है कि उपनिषद आपत्तिजनक स्रोत हैं और उनसे बच्चों को जोड़ना या पढ़ाना उपयुक्त नहीं है?
बात हिन्दू धर्म में मां सरस्वती के महत्त्व और स्कूल कॉलेजों में उनकी पूजा पर मच रहे बवाल से शुरू हुई है ऐसे में हमारे लिए मध्य प्रदेश के धार जिले के भोजशाला मंदिर के बारे में बताना बहुत जरूरी हो जाता है. अलाउद्दीन खिलजी के विशवासपात्रों में शामिल मलिक काफूर ने अपने बादशाह को खुश करने के लिए धार पर चढ़ाई की और भोजशाला मंदिर को तोड़कर वहां एक मस्जिद का निर्माण कर दिया. ज्ञात हो कि भोजशाला मंदिर मां सरस्वती को समर्पित एक प्रमुख मंदिर है.
धार का भोजशाला मंदिर जहां हर साल बसंत पंचमी के दिन माहौल काफी गर्म रहता है
इस घटना को बीते लम्बा वक़्त हो चुका है. मगर आज से कई सौ साल पहले हुई इस घटना का रोष आज भी लोगों में है और बवाल जारी है. गौरतलब है कि पिछले डेढ़-दो दशक से यहां बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है. चूंकि वर्तमान में ये स्थान एक मस्जिद है इसलिए यहां बसंत पंचमी के दिन तनाव अपने चरम पर रहता है. इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि यदि बसंत पंचमी शुक्रवार को पड़ी तो बवाल की संभावनाएं और ज्यादा प्रबल हो जाती हैं.
संघ भाजपा और प्रमुख हिंदूवादी संगठनों की राजनीति का प्रमुख केंद्र होने के चलते बसंत पंचमी में धार के चप्पे- चप्पे पर पुलिस का पहरा रहता है और शायद यही कारण है कि इसे मध्य प्रदेश का अयोध्या भी कहते हैं. कोई अप्रिय घटना जन्म न ले इसलिए प्रशासन यहां साला भर मुस्तैद रहता है और तनावपूर्ण स्थिति को नियंत्रित करता रहता है.
बहरहाल, बात की शुरुआत हमने कोचीन यूनिवर्सिटी में सरस्वती पूजा पर लगी रोक से शुरू की थी. जो यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने तर्क दिए हैं हमें इस बात का पूरा यकीन है कि अब बवाल पुनः बढ़ेगा. और एक बार फिर सरस्वती पूजा को लेकर चल रही राजनीति अपने ऊफान पर आएगी और आरोप प्रत्यारोप और बेतुके बयानों का दौर शुरू होगा. चूंकि केरल में कम्युनिस्ट शासन है. ये कहना हमारे लिए अतिश्योक्ति नहीं है कि इस मुद्दे को भुनाने के लिए भाजपा अपनी जी जान एक कर देगी.
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