सिर्फ अच्छे दिन कौन कहे, मोदी ने तो बीजेपी का स्वर्णिम युग ही ला दिया
जहां कहीं भी अमित शाह जा रहे हैं दूसरे दलों के नेता बीजेपी में आने के लिए टूट पड़ रहे हैं. बिहार और गुजरात से लेकर उत्तर प्रदेश तक एक जैसा आलम है.
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2014 के आम चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को इस लायक भी नहीं छोड़ा कि वो लोक सभा में 'नेता, प्रतिपक्ष' पद की दावेदार रह सके. अपने कांग्रेस मुक्त अभियान के तीन साल बाद बीजेपी ने अब उसे राज्य सभा में भी पीछे छोड़ दिया है. राज्य सभा में बीजेपी 58 सांसद हो गये हैं जबकि कांग्रेस के 57 ही रह गये हैं. 8 अगस्त को होने जा रहे राज्य सभा चुनाव में तो गांधी परिवार के बाद कांग्रेस के सबसे ताकतवर नेता की इज्जत भी दाव पर लगी हुई है.
हालत ये हो गयी है जहां कहीं भी अमित शाह जा रहे हैं दूसरे दलों के नेता बीजेपी में आने के लिए टूट पड़ रहे हैं. बिहार और गुजरात से लेकर उत्तर प्रदेश तक एक जैसा आलम है. बावजूद इसके अमित शाह का मानना है कि बीजेपी का स्वर्णिम काल अभी दूर है.
बीजेपी का गोल्डन एरा!
अभी सुषमा स्वराज ने कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप को अगर कोई टक्कर दे सकता है तो वो माद्दा सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में है. सुषमा ने ये बात तब कही जब कांग्रेस नेताओं ने उनके 65 मुल्कों के विदेश दौरे पर सवाल उठाया. अब तो अमेरिकी थिंक टैंक ने भी मोदी का लोहा मान लिया है.
विरोध मुक्त मुल्क...
अमित शाह भले जो भी कहें लेकिन भारतीय मूल के अमेरिकी थिंक टैंक कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस मौजूदा दौर को ही बीजेपी का स्वर्णिम काल मान चुका है. इस थिंक टैंक का कहना है कि बिहार की राजनीति में जिस प्रकार से बीजेपी ने वापसी की है और सत्ता पर अपनी पकड़ बना ली है उससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के स्वर्ण काल की शुरुआत कर दी है.
थिंक टैंक के एक संपादकीय में लिखा है कि देश में ताजा उथल-पुथल इस बात का संकेत है कि नेहरु-गांधी परिवार की कांग्रेस पार्टी द्वारा लंबे समय से नियंत्रित देश में बीजेपी ही अब राजनीति का नया केंद्र है. संपादकीय में आगे कहा गया है कि मोदी ने बीजेपी को तीन दशक में बहुमत हासिल करने वाली पहली पार्टी बना कर उसके स्वर्णकाल की शुरुआत कर दी है. बीजेपी की इस गति ने पार्टी के लिए अभूतपूर्व अवसरों के द्वार खोल दिये हैं.
संपादकीय के अनुसार बिहार के नीतीश कुमार के एनडीए में जुड़ जाने से राज्य सभा में बीजेपी जल्द ही बहुमत में आ जाएगी - और 2018 के अंत तक ऐसा पूरी तरह संभव है.
मोदी का कोई मुकाबला नहीं
कुछ लोग हवाओं का रुख पहले ही भांप लेते हैं. नीतीश कुमार भी उन्हीं लोगों में से एक हैं - उन्हें यूं ही नहीं चाणक्य कहा जाता है. अभी तक नीतीश कुमार कह रहे थे कि 2019 में मोदी का कोई मुकाबला नहीं कर सकता. अब सीताराम येचुरी भी कहने लगे हैं कि नीतीश के चले जाने के बाद विपक्ष में इतनी ताकत नहीं बची कि 2019 में कोई मोदी का मुकाबला कर सके.
थिंक टैंक का संपादकीय कहता है, "बीजेपी 2019 में होने वाले आम चुनाव में तो पहले स्थान पर रहेगी ही, वो तेजी से राज्यों में भी ताकतवर सरकारें बनाएगी."
जब सत्ता पर बीजेपी की पकड़ इतनी मजबूत हो जाएगी तो जाहिर है उसके स्वाभाविक साइड इफेक्ट भी होंगे. थिंक टैंक को भी इसी बात का भय है, "बीजेपी की सरकार की ताकत बढ़ने से स्थिरता तो आई है लेकिन साथ ही साथ इससे भारत के लोकतंत्र को भी खतरा बढ़ा है."
निश्चित रूप से बिहार की सत्ता में हिस्सेदारी के लिए जिस तरह से बीजेपी ने ताना बाना बुना उसे देख कर थिंक टैंक की डर वाजिब है. मीडिया में आई खबरें बताती हैं कि किस तरह केंद्र की सत्ता में होने का फायदा उठाते हुए बीजेपी ने यूपी में विधायकों को अपने पाले में किया. कर्नाटक में मंत्री के ठिकानों पर छापेमारी को लेकर भी कांग्रेस का ऐसा ही आरोप है. ये सब वाकई खतरनाक संकेत हैं. शायद इन्हीं संकेतों को भांप कर बीजेपी के मार्गदर्शक लालकृष्ण आडवाणी ने देश में दोबारा इमरजेंसी लगने की आशंका जता चुके हैं. वैसे भी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद किसी के लिए भी कहना मुश्किल हो रहा है कि आडवाणी की आशंका में कोई दम नहीं है. थिंक टैंक के कहने का मतलब भी वही है.
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