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Updated: 02 सितम्बर, 2016 08:54 PM
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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और विवाद का चोली दामन का साथ है. पहले कार पर कौवा, फिर गाल पर किस और हाथ में रोलेक्स घड़ी के बाद अब मामला है हाथ में नींबू का. सिद्धारमैया की एक तस्वीर जिसमें वह एक हाथ में नींबू लेकर अपने चुनाव क्षेत्र का दौरा करने के लिए घर से निकले. यह तस्वीर वायरल हो चुकी है. तस्वीर के वायरल होने से पहले कर्नाटक के एक लोकल न्यूज चैनल ने तो इस यात्रा का वीडियो फुटेज भी राज्य की जनता को दिखा दिया.

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इस तस्वीर में सिद्धारमैया अपने एक हाथ में नींबू दबा कर निकले हैं. बताया जा रहा है कि ऐसा उन्होंने अपने जीवन से प्रेत बाधा को दूर करने के लिए किया. उन्हें किसी पंडित या मौलवी ने सहाल दी कि उनके जीवन में दुष्ट आत्माओं का प्रवेश हो चुका है और छुटकारा पाने के लिए जरूरी है कि वह नींबू की मदद से उन आत्माओं को भगाने की कोशिश करें.

देखिए कर्नाटक के बीटीवी का वीडियो

नींबू का यह नाटक देश के समूचे सवा सौ करोड़ लोगों के लिए कोई आश्चर्य की बात नहीं. क्योंकि अंधविश्वास देश में बड़ी चुनौती है. संविधान तक में इससे बचने के प्रावधान हैं. सुप्रीम कोर्ट आए दिन निर्देश देती रहती है कि देश को शिक्षित करने की जरूरत है.

देखिए इंटरनेट पर वायरल हुआ फोटो

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 सिद्धारमैया

कितने अंध-विश्वास से भरे हैं मुख्यमंत्री जी

यह कोई पहला मामला नहीं कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने अपने अंधविश्वास का परिचय दिया है. इससे पहले. घटना 2014 की है. मुख्यमंत्री बने कुछ समय ही बीता था कि एक के बाद एक कारनामों से वह सुर्खियों में छा गए. सबसे पहला मामला तब आया जब उनकी एक तस्वीर वायरल हुई जिसमें मंदिर में पूजा करने गए सिद्धारमैया ने अपना जूता उतारना मुनासिब नहीं समझा. तब माना गया कि वह धर्म-कर्म में विश्वास नहीं रखते. लेकिन, कुछ ही दिन बीता कि एक दिन मुख्यमंत्री की गाड़ी के बोनट पर एक कौवा बैठा पाया गया. सिद्धारमैया ने उस गाड़ी की सवारी करने से मना करते हुए फौरन अपने लिए नई गाड़ी का इंतजाम करा लिया. और अब तो दह हो गई जब जनाब हाथ में नींबू लिए घूम रहे हैं.

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लेकिन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का इस तरह अंधविश्वास का सहारा लेना भले उनकी एक छवि को दर्शा रहा हो, यह ताजुब्ब की वजह इसलिए बन जाता है क्योंकि कर्नाटक की यही सरकार विधानसभा में अंधविश्वास के खिलाफ एक कानून बनाने की जद्दोजहद में लगी है. ऐसे में सिद्धारमैया का यह विवाद प्रदेश की सरकार पर एक गंभीर सवाल खड़ा करती है. कैसी-कैसी सोच के साथ लोग सत्ता पर आसीन हो जाते हैं?

चलिए इंतजार करते हैं पहले मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का भूत भाग जाए. क्योंकि उनका भूत उन्हें परेशान करता रहा तो प्रदेश की जनता का क्या होगा?

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