'अच्छे दिन...' पर अखिलेश की जवाबदेही भी है और सवाल पूछने का हक भी
लखनऊ में अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने साथ साथ मीडिया से मुखातिब होकर गठबंधन का साझा कार्यक्रम पेश किया, तो बदायूं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों को तरह तरह से कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की.
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'अच्छे दिन...' पर घिरी बीजेपी को यूपी चुनाव के पहले ही दिन एक अच्छी खबर मिली. बीजेपी ने यूपी के गोरखपुर, कानपुर और बरेली में एमएलसी की तीन सीटों पर जीत हासिल कर ली.
लखनऊ में अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने साथ साथ मीडिया से मुखातिब होकर गठबंधन का साझा कार्यक्रम पेश किया, तो बदायूं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों को तरह तरह से कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की.
हम साथ साथ हैं
अव्वल तो अखिलेश और राहुल को मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में होना था लेकिन वे लखनऊ में प्रकट हुए. बनारस के कार्यक्रम को लेकर समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेताओं का शुरू से ही कहना था कि पहले से व्यस्त कार्यक्रमों के चलते अखिलेश का रोड शो मुश्किल है. फिर भी कांग्रेस नेता बार बार कह रहे थे कि दोनों का रोड शो तय है. बाद में पता चला कि रविदास जयंती पर शहर में भीड़ के चलते प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिये. हालांकि, शहर में चर्चा ये भी रही कि सड़कों की स्थिति सही न होना भी कार्यक्रम रद्द होने की एक वजह हो सकती है. इस बीच खबर रही की एसपीजी की टीम ने रास्तों का जायजा ले लिया था.
चुनाव के दिन साथ साथ...
बनारस के रोड शो का मकसद भी यूपी के लड़कों का साथ सामने आना रहा होगा. बनारस न सही, लखनऊ ही सही. दोनों साथ आये और मोदी के आरोपों का चुन चुन कर जवाब भी दिया - कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तो बोनस में था.
गूगल पॉलिटिक्स
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि नेट पर सबकी कुंडली आजकल मिल जाती है. इस पर अखिलेश बोले, 'आजकल इंटरनेट पर सबकी जन्मपत्री उपलब्ध है, वो देख लें. वो मन की बात करते हैं, काम की बात नहीं करते.'
बदायूं में मोदी ने अखिलेश के 'काम बोलता है' कैंपेन को लपेटा, बोले, 'आपका काम नहीं, कारनामे बोलते हैं.' इसके साथ ही मोदी ने यूपी की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किये - और मायावती के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का भी आरोप लगाया.
जिस तरह अखिलेश 'अच्छे दिन...' का जिक्र कर मोदी को निशाना बनाते हैं, मोदी भी गठबंधन के नाम पर अखिलेश-राहुल को साथ साथ टारगेट करते हैं. मोदी ने पिछली रैली में समाजवादी गठबंधन को दो दलों नहीं बल्कि दो कुनबों का गठबंधन बताया था.
किसकी जवाबदेही?
कुनबों के गठबंधन की बात पर अखिलेश ने कहा, 'दो युवाओं के साथ आने से वो घबरा रहे हैं, अब कुनबों की बात कर रहे हैं. बहुत गुस्सा होना अच्छी बात नहीं है, इससे पता चलता है कि उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक रही है.'
अखिलेश के साथ साथ राहुल गांधी ने भी मोदी को टारगेट किया. राहुल ने कहा, 'मुझे पता है कि पीएम को सिर्फ जन्मपत्री पढ़ना, गूगल पर सर्च करना और लोगों के बाथरूम में झांकना अच्छा लगता है.'
'अच्छे दिन' को लेकर जवाबी हमले में मोदी ने अखिलेश सरकार पर ही सवाल खड़े कर दिये. मोदी ने कहा कि अखिलेश लोगों से पूछ रहे हैं कि अच्छे दिन आए कि नहीं? फिर बोले, जब लोग जवाब ना में देते हैं तो पहली जवाबदेही तो अखिलेश की ही है, क्योंकि पांच साल तक उन्होंने ही यूपी में राज किया. फिर राहुल गांधी की तरह अखिलेश का नाम लेकर मोदी कहते हैं कि अखिलेश को ये नहीं पता कि कहां क्या सवाल पूछना चाहिए.
साझा कार्यक्रम में कर्जमाफी
गठबंधन की ओर से 10 सूत्रीय एजेंडे के साथ एक साझा कार्यक्रम भी पेश किया गया है. इस साझा कार्यक्रम में ज्यादातर तो वही बातें रहीं जो अखिलेश ने घोषणा पत्र के साथ कही थी. एक खास बात देखने को मिली किसानों को लेकर. इसमें किसानों को कर्ज से माफी देने की बात की गई है. ये इसलिए भी अहम है क्योंकि अपनी खाट सभा के दौरान राहुल गांधी ने यूपी के किसानों से मांग पत्र भरवाये थे और सत्ता में आने पर कर्जमाफी का वादा किया था.
'अच्छे दिन...' के नाम पर न तो मोदी और न ही अखिलेश एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोप कर बच कर निकल सकते हैं. बाकी चुनावी बातें और सियासत अपनी जगह है, लेकिन, अगर अखिलेश की पांच साल की जवाबदेही बनती है, तो ढाई साल को लेकर सवाल पूछने का भी उतना ही हक है. है कि नहीं?
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