डोकलाम विवाद के 1 साल बाद कहां पहुंचे भारत-चीन रिश्ते
डोकलाम के 1 साल पूरे होने के भारत और चीन दोनों ही देश डोकलाम को पीछे छोड़कर अपने रिश्ते को एक नई दिशा देने के लिए तैयार दिख रहे हैं.
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भारत और चीन के बीच लगभग 3.5 हजार किलोमीटर की एलओसी के बीच कई जगहें ऐसी हैं जहां सीमा रेखा को लेकर दोनों देशों के बीच एक राय नहीं है. इस वजह से अक्सर भारतीय सीमा में चीनी सैनिकों के घुसपैठ की खबरें आती रहती हैं. चीन इन क्षेत्रों को अपना हिस्सा मानता है और घुसपैठ की बात से इंकार करता है. 16 जून 2017 को इस खबर से कि चीन भारत-भूटान और चीन की सीमा से लगे डोकलाम एरिया में सड़क बना रहा, भारतीय सुरक्षा हलके में जबरदस्त हलचल मच गई. भारतीय सेना ने चीनी सेना के इस निर्माण कार्य को रोक दिया और दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के आमने सामने खड़ी हो गई. 73 दिन तक चले इसे तनाव पूर्ण हालात के दौरान चीन की मीडिया ने कई बार भारत को युद्ध और गंभीर अंजाम भुगतने की चेतावनी दी. लेकिन 28 अगस्त को दोनों देशों ने आपसी समझ से इस मसले को सुलझा लिया.
डोकलाम को लेकर चीन अपना अड़ियल रवैया बरक़रार रखे हुए है
अब सवाल ये उठता है कि पिछले एक साल में भारत चीन के रिश्ते किस दिशा में आगे बढ़े हैं. भारत चीन के बीच सीमा विवाद होने के बावजूद पिछले 50 सालों में दोनों देशों के बीच एक भी गोली नही चली है और ये दोनों देशों की समझदारी का प्रतीक है. डोकलाम मुद्दे के सुलझने के एक हफ्ते बाद ही चीन में हुए ब्रिक्स समिट में प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति की मुलाकात हुई. इस समिट की खास बात ये रही कि पहली बार ब्रिक्स घोषणा में पाकिस्तान के लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को आतंकी संगठन माना गया. घोषणा पत्र में किसी भी तरह के आतंकवाद की कड़ी निंदा की गई. ये भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत थी.
दिसंबर 2017 में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाकात नई दिल्ली में हुई जिसमें दोनों देशों के बीच सभी विवादों को शांतिपूर्वक बातचीत से सुलझाने पर जोर दिया गया. फरवरी 2018 में भारत के विदेश सचिव की चीन यात्रा के दौरान वुहान में प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति के बीच अनौपचारिक शिखर वार्ता की रूपरेखा तय की गई.
आज भारत और चीन दोनों का ही शुमार विश्व की बड़ी और शक्तिशाली ताकतों में है
मोदी-जिंगपिंग के बीच अप्रैल 2018 में चीन के वुहान में हुई इस अनौपचारिक शिखर वार्ता में दोनो देशों के बीच इस बात को लेकर सहमति बनी कि दुनिया की अर्थव्यवस्था की तरक्की और विश्व शांति के लिए दोनों देशों को मिलकर काम करना चाहिए. मोदी ने चीनी राष्ट्रपति को अगली अनौपचारिक वार्ता के लिए भारत आने का निमंत्रण दिया जिसे शी जिनपिंग ने स्वीकार भी कर लिया. इस बीच दोनों देश के बीच डीजीएमओ से लेकर रक्षा मंत्रालय तक डायरेक्ट हॉटलाइन स्थापित करते हुए किसी भी तनावपूर्ण हालात को जल्दी और प्रभावी तरीके से निपटाने की मैकेनिज्म विकसित करने का प्रयास जारी है.
इस बीच अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर के कारण भारत-चीन अपने व्यापार को बढ़ाने की संभावनाओं को भी तलाश रहे हैं. भारत नें 40 से ज्यादा ऐसे सामानों की सूची तैयार की है जिनका वो चीन को निर्यात करके अपने व्यापार घाटे को कम कर सकेगा. ये सच है कि भारत और चीन के बीच ऐसे कई मुद्दे हैं, जिनके निकट भविष्य में सुलझने की संभावना कम है.
साथ ही कई ऐसे मसले भी हैं जिन्हें बेहतर तालमेल से सुलझाया जा सकता है. दोनो ही विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्था और सैन्य ताकतें हैं. जिनके बीच तनाव एशिया और पूरे विश्व की शांति और विकास के लिए उचित नही होगा. डोकलाम के 1 साल पूरे होने के बाद दोनों देश ही डोकलाम को पीछे छोड़कर अपने रिश्ते को एक नई दिशा देने के लिए तैयार दिख रहे हैं.
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