विपक्ष भले न माने, EVM पर चुनाव आयोग की बात रूस बड़े गौर से सुनता है
चुनाव आयोग ताजा उपचुनावों में VVPAT मशीन का इस्तेमाल तो कर ही रहा है, EVM पर सफाई और उसके छेड़छाड़ मुक्त होने के दावे के क्रम में अब सूची भी आ गयी है जिसमें बार बार पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब हैं.
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जिस EVM को लेकर भारत में हंगामा खड़ा हो रखा है, उसे रूस अपने यहां राष्ट्रपति चुनाव में उतारने की तैयारी कर रहा है. रूस में अगले साल राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं और वो चाहता है कि EVM की मदद से इस प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके.
चुनाव आयोग ताजा उपचुनावों में VVPAT मशीन का इस्तेमाल तो कर ही रहा है, EVM पर सफाई और उसके छेड़छाड़ मुक्त होने के दावे के क्रम में अब सूची भी आ गयी है जिसमें बार बार पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब हैं.
बार बार पूछे जाने वाले सवाल और जवाब
चुनाव आयोग EVM पर सवाल खड़े करने वालों को उससे छेड़छाड़ साबित करने का मौका देने की तैयारी तो कर ही रहा है, उससे पहले उन सारे सवालों का जवाब देने की कोशिश की है जो किसी के भी मन में सहज तौर पर उठ सकते हैं.
आयोग के अक्सर पूछे जाने वाले सवालों की इस सूची में पहला सवाल है - EVM को हैक किया जा सकता है या नहीं?
इस सवाल का जवाब आयोग ने सिर्फ एक शब्द में दिया है - नहीं.
बार बार पूछे जा रहे सवालओं का एक ही जवाब - 'नहीं'
इसमें एक और बड़ा ही अहम सवाल है - अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे विकसित देशों ने EVM को क्यों नहीं अपनाया और कुछ ने इस्तेमाल बंद क्यों कर दिया?
जवाब में आयोग का कहना है कि उन देशों में EVM के साथ दिक्कत इसलिए आयी क्योंकि वहां उन्हें कंप्यूटर नियंत्रित बनाया गया था और उन्होंने उन्हें नेटवर्क से जोड़ रखा था जिसकी वजह से हैकिंग की आशंका बढ़ गयी थी. उन मुल्कों में EVM के बारे में मालूम हुआ कि उनमें जरूरी सिक्योरिटी फीचर मौजूद नहीं थे इसलिए उनकी अदालतों ने इस्तेमाल पर रोक लगा दी.
इससे पहले सरकार के प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो की ओर से बताया गया कि कुछ चुनिंदा इंजीनियरों को ही EVM के सोर्स कोड की जानकारी होती है. सोर्स कोड को गोपनीय रखने के लिए पुख्ता इंतजाम किये जाते हैं. इंजीनियरों को जानकारी नहीं होती कि किस मशीन को किस निर्वाचन क्षेत्र में रखा जाना है, क्योंकि इसका निर्धारण बहुत बाद में होता है.
रूस को EVM पसंद है
अमेरिका, नीदरलैंड, आयरलैंड और जर्मनी जैसे मुल्क भले ही अपने यहां चुनावों में EVM को ना कह चुके हों, लेकिन रूस तो 2018 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए तफसील से तैयारी कर रहा है.
हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान रूस के चुनाव आयोग के उप चैयरमैन ने उत्तराखंड का दौरा किया और EVM के जरिये मतदान का जायजा लिया. बाद में उप चैयरमैन ने सरकार के सीनियर अधिकारियों से संपर्क कर इसकी बारीकियों को समझने की कोशिश की. उत्तराखंड से पहले भी उन्होंने कुछ राज्यों में चुनाव प्रक्रिया का अध्ययन किया था.
एक तरफ रूस EVM को अपनाने की कोशिश कर रहा है, दूसरी तरह बीएसपी EVM में छेड़छाड़ के सबूत जुटा रही है. मायावती ने इसकी जिम्मेदारी अपने सबसे भरोसेमंद नेता सतीश चंद्र मिश्रा को सौंपी है - और उनकी पार्टी इसकी लड़ाई कोर्ट और सड़क पर लड़ने की तैयारी कर रही है.
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