कश्मीर से जुड़ी धारा 370 पर पाकिस्तान का 'ऐतराज़' क़ाबिल-ए-कुटाई है!
पाकिस्तान कश्मीर में दखलंदाजी का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता है. लोकसभा चुनाव के चलते विभिन्न पार्टियों के बीच धारा 370 को लेकर जो बहस छिड़ी है, उसमें पाकिस्तान ने भी अपनी नाक घुसा दी.
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मौका कोई भी हो, पाकिस्तान कभी भी कश्मीर के मसलों में टांग अड़ाने से नहीं चूकता है. भले ही बात कश्मीर की हो रही हो या फिर आतंकवाद की, पाकिस्तान हमेशा कश्मीर की आजादी की बात कर के कश्मीरियों को गुमराह करता है, लेकिन अपने देश में पनप रहने आतंकवाद की बात नहीं करता. अब लोकसभा चुनाव के बीच एक बार फिर से राजनीतिक पार्टियों के बीच कश्मीर से धारा 370 हटाने पर बहस छिड़ गई है. ये बहस पाकिस्तान के लिए किसी मौके से कम नहीं है, इसीलिए तो देश की राजनीतिक पार्टियों के बीच चल रही बहस में पाकिस्तान ने भी अपनी नाक घुसा दी है.
पाकिस्तान ने कहा है कि वह इस बात को स्वीकार नहीं करेगा कि संविधान से धारा 370 को हटा दिया जाए. उसने कहा कि अगर भारत ऐसा करता है तो ये संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का उल्लंघन होगा. यहां सबसे बड़ा सवाल ये है कि भारत के हिस्से कश्मीर पर पाकिस्तान किस हक से अपनी बयानबाजी कर रहा है? दरअसल, पाकिस्तान के ऐसे बयानों से कश्मीर के अलगाववादियों और पत्थरबाजों को ताकत मिलती है, जो भारतीय सेना के खिलाफ हैं. वैसे भी, भारत की परेशानियां बढ़ाने से अधिक पाकिस्तान को और किस काम में सुकून मिलेगा?
पाकिस्तान कश्मीर में दखलंदाजी का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता है.
क्या बोला है पाकिस्तान?
इस्लामाबाद में शुक्रवार को मीडिया को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कश्मीर से धारा 370 को हटाने पर टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि ये संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का उल्लंघन होगा. साथ ही ये भी कहा कि अगर भारत ऐसा करता है तो इसे पाकिस्तान किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगा, ना ही कश्मीर के लोगों को ये मंजूर होगा.
ऐसा नहीं है कि पहली बार पाकिस्तान ने कश्मीर राग अलापा हो. ये तो उसका रोज का काम है. यहां तक कि जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी सीमा में घुसकर हमला किया और कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया, तब भी पाकिस्तान अपनी जमीन पर पनप रहे आतंकवाद की नहीं, बल्कि कश्मीर की बात कर रहा था. अभिनंदन के पाकिस्तानी सेना के कब्जे में पहुंचने के बाद संसद में इमरान खान ने कहा था कि वह अभिनंद को रिहा कर रहे हैं. लेकिन ये उनके भाषण की आखिरी लाइन थी. अपने करीब 20 मिनट के भाषण में वह कश्मीर राग अलापते रहे और भारत के खिलाफ जहर उगलते रहे. यहां तक कि विपक्ष के नेता शाहबाज शरीफ भी उस दिन इमरान खान के रंग में रंगे हुए दिख रहे थे. दरअसल, कश्मीर की बात कर के वह ना सिर्फ कश्मीर की जनता को बरगला रहा है, बल्कि दुनिया को भी कई मुद्दों को लेकर गुमराह करना चाहता है.
धारा 370 हटाने की बात आई कहां से?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि वह कश्मीर से धारा 370 को हटाने के लिए प्रतिबद्ध तो हैं, लेकिन राज्य सभा में बहुमत नहीं होने की वजह से वह अब तक ऐसा नहीं कर सके हैं. यानी अगर राज्य सभा में भी भाजपा को बहुमत मिल जाए, तो कश्मीर से धारा 370 को हटाया जा सकता है. अमित शाह का ये बयान जैसे ही मीडिया में आया वैसे ही जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने इसकी खूब आलोचना की.
नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जब देश को आजादी मिली तो एक संविधान बनाया गया, जिसमें कुछ प्रवधान किए गए, जिनमें जम्मू-कश्मीर की पहचान को सुरक्षा मिल सके. इसमें धारा 370 और धारा 35ए भी शामिल हैं. यह बेहद दुखद है कि हमारे कुछ नेताओं ने धारा 370 को अपनी राजनीतिक का जरिया बना लिया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के अध्यक्ष और उमर अब्दुल्ला के पिता फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अगर धारा 370 हटा दी जाती है तो दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के बीच का रिश्ता भी खत्म हो जाएगा.
धारा 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों की अपेक्षा कुछ विशेष अधिकार मिले हैं. इस धारा को जवाहरलाल नेहरू के विशेष हस्तक्षेप से लागू किया गया था, इसकी वजह से भी भाजपा और कांग्रेस में इसे लेकर अक्सर तनातनी दिखती है. भारत की राजनीतिक पार्टियों के बीच तरह-तरह के मुद्दों पर असहमति होती है, लेकिन पाकिस्तान की ओर से भारत के अंदर के मामलों में अपनी नाक घुसाना साफ दिखाता है कि वह इस तरह की बयानबाजी से लोकसभा चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है. सवाल ये जरूर उठता है कि इससे पाकिस्तान को क्या फायदा होगा? तो आपको बता दें कि पाकिस्तान वो देश है जो अपने दुख से नहीं, बल्कि भारत के सुख से दुखी है. ऐसे में वह ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता है, जिससे कश्मीर के लोगों की नजर में भारत के नेताओं की गिराया जा सके, ताकि भविष्य में वह फिर से पाकिस्तान को हथियाने की नाकाम कोशिश कर सके.
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