कश्मीर में जनमत संग्रह की बात कर रहे पाकिस्तान ने कभी UN के प्रस्ताव पढ़े हैं...?
पाकिस्तान (Pakistan) कश्मीर में जनमत संग्रह (Referendum) कराने की बात के जरिये लगातार भ्रम फैलाता है. पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने यासीन मलिक (Yasin Malik) के बहाने एक बार फिर से कश्मीर को भड़काने की कोशिश की है. लेकिन, संयुक्त राष्ट्र (UN) के जिन प्रस्तावों की बात पाकिस्तान करता है. क्या उसने कभी इन प्रस्तावों को पढ़ा भी है?
-
Total Shares
लंबे समय तक खुद को अलगाववादी नेता बताने वाला यासीन मलिक अब आतंकवादी घोषित किया जा चुका है. यासीन मलिक को टेरर फंडिंग मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. और, मलिक ने कोर्ट में अपने ऊपर लगाए गए सारे गुनाह कबूल किए हैं. वैसे, यासीन मलिक को सजा मिलने के बाद अब 'कश्मीरी पंडितों का कसाई' कहे जाने वाले बिट्टा कराटे को भी जल्द सजा दिए जाने की मांग की जा रही है. खैर, यासीन मलिक को सजा होने पर उसके पाकिस्तानी आकाओं का 'हुंआ-हुंआ' शुरू हो गया है. पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता बाबर इफ्तेखार ने भी ट्वीट के जरिये यासीन मलिक को सजा दिए जाने का विरोध किया है.
पाकिस्तानी सेना ने ट्वीट कर लिखा है कि 'यासीन मलिक पर लगाए गए मनगढंत आरोपों के जरिये उम्रकैद की सजा की पाकिस्तान कड़ी निंदा करता है. इस तरह की दमनकारी रणनीतियां अवैध भारतीय कब्जे के खिलाफ कश्मीर के लोगों के विरोध को कमजोर नही करेंगी. हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अनुसार कश्मीरियों के स्वतंत्र फैसले (जनमत संग्रह) के साथ खड़े हैं.' आसान शब्दों में कहा जाए, तो यासीन मलिक के जरिये पाकिस्तान ने एक बार फिर से कश्मीर में जनमत संग्रह का राग अलापा है.
Pakistan strongly condemns life sentence awarded to Yasin Malik on fabricated charges. Such oppressive tactics cannot dampen the spirit of people of Kashmir in their just struggle against illegal Indian occupation. We stand with them in quest for self-determination as per UNSCRs
— DG ISPR (@OfficialDGISPR) May 25, 2022
वैसे, समस्या ये है कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का हवाला देकर पाकिस्तान हमेशा से ही लोगों को गुमराह करता आया है. कश्मीर में जनमत संग्रह के लिए संयुक्त राष्ट्र ने जो प्रस्ताव रखे हैं, पाकिस्तान कभी उसकी चर्चा नहीं करता है. क्योंकि, ऐसे करते ही उसका झूठ लोगों के सामने आ जाएगा. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि कश्मीर में जनमत संग्रह की बात कर रहे पाकिस्तान ने कभी संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पढ़े हैं...? आइए जानते हैं कि कश्मीर को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने कौन से प्रस्ताव दिए थे?
अपने बड़े प्यादे और आतंकवादी यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा मिलने पर पाकिस्तानी सेना का छाती पीटना बनता है.
संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कश्मीर समस्या का समाधान करने के लिए तीन क्रमिक प्रस्ताव दिए थे. जो शर्तों के साथ लागू किए जाने हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो पहले प्रस्ताव के पूरी तरह से लागू होने के बाद ही दूसरा प्रस्ताव लागू किया जा सकेगा. और, उसमें भी साथ में दी गई शर्तों को पूरा किया जाना जरूरी है.
- सबसे पहला प्रस्ताव ये है कि पाकिस्तान को अपने कब्जे वाले कश्मीर से पूरी सेना हटानी होगी. आसान शब्दों में कहा जाए, तो पाकिस्तानी सेना को एक भी सैनिक पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में नहीं होना चाहिए. इस स्थिति का मुआयना संयुक्त राष्ट्र की ओर से बनाया गया एक दल करेगा. पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर से सेना हटाए जाने को जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का दल इसे प्रमाणित कर देगा. तब ही दूसरे प्रस्ताव की ओर कदम बढ़ाया जा सकेगा.
- दूसरे प्रस्ताव के तहत भारत को भी कश्मीर से अपनी सेना हटानी होगी. लेकिन, यहां संयुक्त राष्ट्र की शर्त के अनुसार, भारत को पाकिस्तान की आक्रामकता से बचने के लिए एक निश्चित संख्या में सैन्य तैनाती की छूट मिलेगी. ताकि, 1947 की तरह ही पाकिस्तान फिर से पाकिस्तानी सेना या कबायली हमलों के जरिये घाटी का माहौल न बिगाड़े.
- तीसरे प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान की ओर से सेना हटाए जाने के कदम उठाने के बाद संयुक्त राष्ट्र का दल दोनों ही ओर स्थिति का मुआयना करेगा. सब कुछ सही पाए जाने पर ही कश्मीर में जनमत संग्रह की प्रक्रिया को शुरू किया जा सकता है. लेकिन, अगर इनमें से एक भी शर्त का उल्लंघन किया जाता है. तो, जनमत संग्रह नहीं कराया जाएगा.
मेरी राय
पाकिस्तान के तमाम नेता आज तक पहली शर्त को पूरा करने के लिए ही तैयार नही हुए हैं. लेकिन, कश्मीर में जनमत संग्रह कराने के नाम पर लोगों को आतंकवाद के लिए भड़काने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते हैं. जबकि, 1948 में ही जनमत संग्रह पर सहमति के लिए संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर पर कब्जा करने वाले पाकिस्तानी नागरिक या कबायली लोगों के वापस जाने की शर्त रखी थी. जो आज तक पाकिस्तान ने पूरी नहीं की है. इसके ठीक उलट पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर का एक हिस्सा चीन को बतौर तोहफे में दे दिया है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो कश्मीर में जनमत संग्रह की मांग करने वाला पाकिस्तान हर बार ये बताना भूल जाता है कि जनमत संग्रह न होने का सबसे बड़ा कारण ही वही है.
आपकी राय