आखिर क्यों कश्मीर राग छोड़ना नहीं चाहता पाकिस्तान ?
आतंकवाद और अलगाववाद से ग्रसित पाकिस्तान ने हमेशा से अपनी कश्मीर नीति को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया है. वो कभी नहीं चाहता कि कश्मीर में शांति रहे.
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1947 में भारत का विभाजन होता है और भारत से अलग होकर पाकिस्तान एक अलग राष्ट्र बनता है. तब से लेकर पाकिस्तान का कश्मीर को लेकर एक ही रवैया रहा है. वो हमेशा से चाहता रहा है कि कश्मीर जलता रहे. पाकिस्तान में किसी की भी सरकार रही हो, उनका कश्मीर और भारत के प्रति एक ही एजेंडा रहा है कि पाकिस्तान के लोगो में कश्मीर और भारत के खिलाफ नफरत की लौ हमेशा जलाए रखना, और इसका कारण सिर्फ यह है कि कश्मीर ही वो बाइंडिंग फैक्टर है जो वहां के लोगों को बांधे रखने में सफल हो पाता है.
आतंकवाद और अलगाववाद से ग्रसित पाकिस्तान ने हमेशा से अपनी कश्मीर नीति को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया है. वो कभी नहीं चाहता कि कश्मीर जो भारत का अभिन्न अंग है वहां पर शांति रहे. इसके पीछे पाकिस्तान का उद्देश्य बिलकुल साफ है की अपने देश को टुकड़े होने से बचाया जा सके. पाकिस्तान सरकार ने अपने नागरिको में कश्मीर के प्रति इस कदर नफरत भरी है की सिर्फ कश्मीर मुद्दा ही उनको एक सूत्र में बांधने में कामयाब हो पाता है.
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पाकिस्तान ने हमेशा से अपनी कश्मीर नीति को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया है |
पाकिस्तान मुस्लिम बाहुल्य देश है परन्तु यहां के लोगों में भी सजातीय विभाजन बहुत अधिक है. पाकिस्तान कई प्रशासकीय इकाईयों में बंटा हुआ है. अगर हम गौर करें तो बलूचिस्तान, सिन्ध, पंजाब, फाटा, गिलगित-बाल्टिस्तान, खैबर-पख्तूनख्वा आदि है तो पाकिस्तान के ही अंग लेकिन किसी न किसी कारण से ये यूनिट्स या तो आतंकवाद का दंश झेल रहे है, या फिर इस्लामाबाद में बैठी सरकार पर उपेक्षा का इल्ज़ाम लगाते रहे हैं. हाल के वर्षो में हम देखें तो पाकिस्तान के कई क्षेत्र जैसे बलूचिस्तान, वज़ीरिस्तान, पश्तून, सिन्ध और पाक अधिकृत कश्मीर का गिलगित-बाल्टिस्तान आदि में पाकिस्तान सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन अपने चरम पर पहुंच गया है. वहां के लोग अपनी ही सरकार के विरूद्ध जुल्म करने का आरोप लगा रहे हैं, उनके मानवाधिकारों का हनन हो रहा है. साथ ही लोगों की आवाज़ को दबाने के लिए सेना और पुलिस बल का प्रयोग किया जा रहा. आपस में बंटे हुए इन यूनिट्स को सिर्फ एक ही मुद्दा जोड़ रहा है और वो है कश्मीर का मुद्दा. इसी का फायदा पाकिस्तानी सरकार उठा रही है.
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पाकिस्तान में आर्मी का हावी होना, नॉन स्टेट एक्टर्स जैसे हाफिज़ सईद, मसूद अज़हर जैसे घोषित आतंकवादी को खुली छूट देना उनकी कश्मीर नीति की ही स्ट्रेटेजी है. ये नॉन स्टेट एक्टर भारत और कश्मीर में लगातार अपनी आंतकी गतिविधियों से जम्मू और कश्मीर में हिंसा का वातावरण बनाए रखना चाहता है. पाकिस्तान की सरकार न सिर्फ इनको बल्कि कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को भी हर तरह का मदद उपलब्ध कराती है ताकि कश्मीर में शांति कभी ना रहे.
हमेशा से कई अंतर्राष्ट्रीय मंचो में भी पाकिस्तान ने इस मुद्दे को उछालने का असफल प्रयास किया है. सिर्फ अपना हित साधने के लिए, क्योंकि वो जानता है की जब तक कश्मीर मुद्दा रहेगा तब तक पाकिस्तान भी बचा रहेगा. यही एक कॉमन फैक्टर है जो पाकिस्तानियो को बांधे हुए है.
अब भारत द्वारा बलूचिस्तान, गिलगित, पी.ओ.के कार्ड खेलना पाकिस्तान के लिए भारी पड़ सकता है. पाकिस्तान के अंदर और बाहर विरोध के स्वर उठने लगे हैं. अगर अब भी पाकिस्तान, भारत और कश्मीर के प्रति अपने नजरिए में परिवर्तन नहीं लाता है तो इसका खामियाजा उसे उठाना पड़ सकता है.
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