इमरान को भूगोल नहीं, इतिहास पढ़ने की जरूरत है
इमरान खान ने जापान और जर्मनी का उदाहरण देकर अपनी खिल्ली तो उड़वा ली, लेकिन जिस तरह से वो पाकिस्तान की स्थिति की तुलना जर्मनी से कर रहे थे उन्हें सोचना चाहिए कि जब तक पाकिस्तान हिटलर वाली मानसिकता नहीं हटाता वो जर्मनी कभी नहीं बन सकता.
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पाकिस्तानी पीएम इमरान खान जिन्हें अपने अंतरराष्ट्रीय रिश्तों पर बहुत भरोसा है और हमेशा पाकिस्तान को एक नया रूप देने की बात करते हैं. पर इमरान खान की कथनी और करनी में भी बहुत अंतर है. हाल ही में मुशर्रफ के 'काबिल' मंत्रियों को अपने कैबिनेट का हिस्सा बना चुके इमरान खान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसी गलती कर दी कि हिंदुस्तानियों को तो छोड़िए खुद पाकिस्तानी भी उन्हें ट्रोल करने लग गए हैं.
इमरान खान इन दिनों अपने ईरान दौरे पर हैं और दोनों देशों के व्यापारी संबंधों को बढ़ाने की बात करते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वो जापान और जर्मनी का उदाहरण दे गए. दरअसल, इमरान खान के हिसाब से जर्मनी और जापान दोनों ही पड़ोसी देश हैं और उनका व्यापार इसलिए अच्छा है क्योंकि एक दूसरे के देश में कत्लेआम मचाने के बाद भी दोनों ने समझौता कर लिया. वैसे तो जर्मनी यूरोप में है और जापान एशिया का एक आइलैंड नेशन है, लेकिन इमरान खान को लगा कि शायद दोनों साथ हो सकते हैं.
Japan is an island country in East Asia located in the Pacific. Germany is in central Europe. They had the same location during the 2nd World War in which they were allies. But PM Imran thinks otherwise and says so before international audience. pic.twitter.com/aR45Y7T2bP
— Syed Talat Hussain (@TalatHussain12) April 22, 2019
खैर, इमरान खान की ये गलती सोशल मीडिया ने पकड़ ली और तुरंत ही उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया. इसके पहले एक बार इमरान खान अफ्रीका को एक देश कह चुके हैं जब्कि वो महाद्वीप है. तब इमरान खान ने कहा था कि अफ्रीका एक विकसित होता हुआ देश है.
इमरान खान का भूगोल तो अजीब है, लेकिन अक्सर उन्हें इतिहास की बात करते और जर्मनी और हिटलर का उदाहरण देते हुए सुना जा सकता है. ये पहली बार नहीं है जब इमरान खान ने दोनों विश्व युद्ध की बात की हो. भारतीय एयर स्ट्राइक के बाद भी जो वीडियो आया था उसमें इमरान खान ने कहा था कि जंग शुरू होती है और कहां जाती है इसके बारे में नहीं पता. इस दौरान उन्होंने विश्व युद्ध और जर्मनी का भी जिक्र किया था.
अब या तो इमरान खान हिटलर से ज्यादा प्रेरित हैं या फिर उन्होंने विश्व युद्ध की ज्यादा जानकारी है. खैर, जो भी हो, लेकिन इमरान खान गलत हैं उन्हें ये तो अब तक पता चल गया होगा. भूगोल ही नहीं इमरान खान को एक बार इतिहास के बारे में भी सोचना चाहिए. जिस तरह वो ईरान और पाकिस्तान के बीच में व्यापारिक रिश्तों की बात कर रहे हैं और वहीं अपने इतिहास को पूरी तरह से नकार रहे हैं.
इमरान खान का पाकिस्तान जर्मनी तब तक नहीं बन सकता जब तक हिटलर वाली मानसिकता वहां से नहीं चली जाती.
इमरान खान एक तरफ तो कहते हैं कि देशों को अपने आपसी रिश्तों को सुधार कर व्यापार की ओर बढ़ना चाहिए, लेकिन दूसरी ओर उन्हें ये नहीं समझ आता कि अपने पड़ोसी देशों के बीच पाकिस्तानी सरकार ने अभी तक क्या किया है. जापान (शायद वो फ्रांस कहना चाह रहे होंगे क्योंकि फ्रांस और जर्मनी ने अपने रिश्तों में सुधार किया और बॉर्डर पर इंडस्ट्री बनाई.) और जर्मनी का उदाहरण देते हुए उन्हें ये सोचना चाहिए कि भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों की मजबूती भी हो सकती है, लेकिन इमरान खान का नया पाकिस्तान भी ये नहीं कर पा रहा है. भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार मजबूत हो सकता है क्योंकि सबसे पहले तो यहां भाषा की दिक्कत ज्यादा नहीं होगी जैसे अन्य देशों के साथ व्यापार में हो सकती है और चाहें ईरान हों या भारत की बात हो पाकिस्तान कभी जर्मनी और फ्रांस नहीं बन पाएगा.
आखिर क्यों पाकिस्तान के रिश्ते कभी भारत और ईरान से ठीक नहीं हो पाए?
इसके पीछे एक आइडियोलॉजी है. जर्मनी की बात करने वाले इमरान खान ये नहीं समझ पा रहे हैं कि जर्मनी की कभी कोई कट्टर सोच नहीं रही है. जहां हम बात करते हैं जर्मनी के खूनी इतिहास की तो वो सिर्फ और सिर्फ हिटलर के इर्द-गिर्द घूमता हुआ दिखता है. नेता के जाने के बाद जर्मनी वापस से शांत हो गया, लेकिन पाकिस्तान ने शुरू से आखिर तक सिर्फ वही किया जो होता आया है और वो इमरान खान के आने के बाद भी नहीं बदला.
ईरान और भारत की ही बात करें तो इमरान खान के पाकिस्तान में भी दोनों ही देशों में हमले हुए हैं. ईरान शिया बहुल देश है और पाकिस्तान सुन्नी बहुल और भारत में हिंदू हैं. पाकिस्तान में शियाओं और हिंदुओं पर किस तरह से हमले होते रहे हैं वो देखा जा सकता है. इमरान खान भारत और ईरान दोनों के लिए ही यूरोप का उदाहरण देते आए हैं पर क्या वो इस बीच अपने देश की कट्टरता भूल गए हैं?
इमरान खान को दिमाग से हिटलर वाली मानसिकता निकालनी होगी, जिसमें हिंदुओं, शियाओं के प्रति नफरत भरी हो. वर्ना खुद ही सोचिए कि जिस तरह के जर्मनी और जापान (फ्रांस) की बात वो कर रहे हैं वैसे तो इतने युद्ध लड़ने के बाद फिर हिंदुस्तान-पाकिस्तान को भी शांत हो जाना चाहिए, ईरान और पाकिस्तान को भी मित्र होना चाहिए, लेकिन क्या ऐसा हो पाया? या अभी भी रिश्तों में कैसे सुधार की जरूरत है जब लगातार पाकिस्तान की तरफ से हिंदुस्तान और ईरान पर हमले भी हो रहे हैं. एक तरफ पुलवामा आतंकी हमला हुआ तो दूसरी तरफ ईरान में उसी तरह का हमला वहां के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स पर हुआ. उस समय भी पाकिस्तान का नाम ही उछला था.
इमरान खान व्यापार को तो बढ़ावा देने की बात कर रहे हैं, लेकिन वो पाकिस्तानी मानसिकता को कैसे बदल पाएंगे जिसके कारण इतनी समस्या बढ़ रही है?
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