Modi Leh visit: दुश्मन चीन और दोस्त दुनिया के लिए जरूरी संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi Leh Visit) का लेह दौरान एक तीर से कई निशाने वाला है. मोदी ने चीन के साथ साथ पाकिस्तान (China and Pakistan) को भी सख्त मैसेज दिया है और दुनिया भर के देशों (World) को चीन के इरादों से वक्त रहते आगाह करने की हर संभव कोशिश की है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi Leh Visit) का लेह दौरा, दरअसल, चीन ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए सरप्राइज रहा. सरहद पर तैनात जवानों के लिए तो जोश भरने वाला रहा ही. देश के बहुमत के लोगों के मैंडेट के साथ जवानों के बीच पहुंचे प्रधानमंत्री को पाकर तो जवानों का जोश ऐसे कुलांचे मार रहा होगा कि एक इशारा हो तो बीजिंग तक पहुंच कर LAC खींच आयें.
सरहद पर तब भी ऐसा ही माहौल रहा होगा जब 2002 में LoC पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कुपवाड़ा पहुंचे थे - तब भी तकरीबन ऐसा ही तनावपूर्ण माहौल हो गया था. ये बात प्रधानमंत्री मोदी को भी निश्चित तौर पर याद आ रही होगी - हालांकि, तब वो गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे.
मोदी ने वाजपेयी वाले ही अंदाज में लेकिन दो कदम आगे बढ़ कर चीन के साथ साथ पाकिस्तान (China and Pakistan) को भी बता और जता दिया कि संभल जाओ, वरना बाद में मत कहना कि पहले नहीं बताया. साथ ही, दुनिया के मुल्कों (World) के लिए भी ये भारत का ये संदेश है कि वे चीन के इरादे को पहचान लें - और उसके मंसूबों को देखते हुए वक्त रहते संभल जायें.
चीन के साथ साथ पाकिस्तान को भी मैसेज है कि वो किसी के बहकावे में न आये - वरना, बाद में पछतावे के सिवा कुछ भी हासिल नहीं होने वाला.
चीन के साथ साथ पाकिस्तान भी सुन ले!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लेह दौरा अटल बिहारी वाजपेयी की याद दिला रहा है. 22 मई, 2002 को वाजपेयी ने LoC के नजदीक कुपवाड़ा का दौरा किया था - और मोदी ने लेह की वो जगह चुनी जहां से LAC और LoC दोनों पर राजनीतिक और कूटनीतिक पोजीशन लेकर एक साथ सबको कड़ा मैसेज दिया जा सके.
तब वाजपेयी ने कहा था, "भारत को चुनौती दी गयी है और हमे स्वीकार है. मेरे आने का कुछ मतलब है. हमारे पड़ोसी इसे समझें या नहीं, दुनिया इसे संज्ञान में लेती है या नहीं - इतिहासकार भी याद करेंगे कि हमने जीत की नयी इबारत लिखी है."
संयुक्त राष्ट्र के मंच से दुनिया को बुद्ध और युद्ध का दर्शन समझा चुके प्रधानमंत्री मोदी ने अब ये भी साफ कर दिया है कि भारत बुद्ध को मानता जरूर है लेकिन युद्ध को लेकर भी कोई संकोच नहीं है - और इसके लिए इस बार मोदी ने कृष्ण का उदाहरण दिया है जो हर वक्त बांसुरी बजाते रहते हैं लेकिन मौके पर सुदर्शन चक्र के इस्तेमाल से भी परहेज नहीं करते.
मोदी ने भी वाजपेयी की ही तरह सरहद पर 24 घंटे मुस्तैद जवानों की पुरजोर हौसलाअफजाई की - "हमारे यहां कहा जाता है, वीर भोग्य वसुंधरा - यानी, वीर अपने शस्त्र की ताकत से ही मातृभूमि की रक्षा करते हैं. ये धरती वीर भोग्या है... इसकी रक्षा-सुरक्षा को हमारा सामर्थ्य और संकल्प हिमालय जैसा ऊंचा है... ये सामर्थ्य और संकल्प में आज आपकी आंखों पर, चेहरे पर देख सकता हूं... आप उसी धरती के वीर हैं, जिसने हजारों वर्षों से अनेकों आक्रांताओं के हमलों और अत्याचारों का मुंहतोड़ जवाब दिया है - हम वो लोग हैं जो बांसुरीधारी कृष्ण की पूजा करते हैं, वहीं सुदर्शन चक्रधारी कृष्ण को भी अपना आदर्श मानते हैं."
लेह पहुंच कर सैन्य अफसरों से सरहद की सामरिक स्थिति का जायजा लेते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
28 जून को 'मन की बात' में मोदी ने कहा था कि भारत की जमीन पर आंख उठाकर देखने वालों को करारा जवाब मिला है. उससे पहले भी प्रधानमंत्री कह चुके हैं - हमारे जवान मारते मारते मरे हैं. और अब यही जताने की कोशिश रही कि चीन ये न समझे की भारत अपने 20 जवानों की शहादत भूल चुका है.
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे के साथ नीमू बेस कैंप में में प्रधानमंत्री ने सेना, एयरफोर्स और ITBP के जवानों से मुलाकात की, उनका हालचाल लिया और उत्साह वर्धन भी किया.
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की एक कविता की दो पंक्तियां भी सुनायी - "जिनके सिंहनाद से सहमी धरती रही अभी तक डोल, कलम, आज उनकी जय बोल..." फिर जवानों ने भी 'वंदे मातरम्' और 'भारत माता की जय' के नारे लगाते हुए अपनी भावनाओं का इजहार किया.
#WATCH: Prime Minister Narendra Modi among soldiers after addressing them in Nimmoo, Ladakh. pic.twitter.com/0rC7QraWTU
— ANI (@ANI) July 3, 2020
प्रधानमंत्री मोदी के हर शब्द में तीन बातों पर खासतौर पर जोर दिखा - एक, जवानों का उत्साह बढ़ाने की कोशिश. दो, चीन के साथ ही साथ पाकिस्तान को भी कड़ी चेतावनी - और तीन, दुनिया को भारतीय दर्शन के साथ साथ चीन और पाकिस्तान जैसे मुल्कों की असलियत से वाकिफ कराने की कोशिश.
प्रधानमंत्री मोदी बोले, "विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है - और अब विकासवाद का दौर है. तेजी से बदलते समय में विकासवाद ही प्रासंगिक है... विकासवाद के लिए असवर हैं ये ही विकास का आधार हैं."
चीन को ये सब कैसे हजम हो सकता है, मीडिया के जरिये रिएक्शन तो देना ही था, लेकिन सिर्फ नपे तुले शब्दों में. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बस इतना ही कहा 'किसी को भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे तनाव और बढ़े.'
दोस्त मुल्कों को भी मैसेज
पहले से तय तो ये था कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लद्दाख का दौरान करने वाले हैं, लेकिन उनके कार्यक्रम में तब्दीली के बाद खबर आयी कि सिर्फ CDS बिपिन रावत और आर्मी चीफ ही सरहद पर तैनात सैनिकों से मिलने जाएंगे - लेकिन अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जवानों के बीच पहुंच गये और हर किसी को चौंका दिया. प्रधानमंत्री मोदी जवानों से पहले भी ऐसी मुलाकातें करते रहे हैं कभी दिवाली के मौके पर तो कभी किसी और अवसर पर लेकिन ताजा दौरा तो बिलकुल ही अलग है.
प्रधानमंत्री के दौरै को लेकर जो जगह चुनी गयी वो भी सामरिक और कूटनीतिक तौर पर काफी अहम लगती है. प्रधानमंत्री मोदी ने जिस नीमू बेस कैंप का दौरा किया वो वो जगह चीन के साथ साथ पाकिस्तान से लगी सरहद से भी ज्यादा दूर नहीं है - पूरब दिशा में LAC है तो पश्चिम की तरफ LoC. एक साथ चीन और पाकिस्तान दोनों को तरीके से आगाह करने के लिए ये बेहतरीन प्वाइंट है - मकसद भी साफ साफ समझ आ जाना चाहिये दुश्मनों के लिए भारत के राजनैतिक नेतृत्व का स्टैंड क्या है और दोस्त मुल्कों के लिए कूटनीतिक संदेश क्या है!
अगर किसी देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति को संदेश समझने में दिक्कत आ रही हो तो प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें भी आसान भाषा में समझाने की पूरी कोशिश की - "बीती शताब्दी में विस्तारवाद ने ही मानव जाति का विनाश किया। किसी पर विस्तारवाद की जिद सवार हो तो हमेशा वह विश्व शांति के सामने खतरा है."
प्रधानमंत्री मोदी के लेह दौरे के कुछ संदेश बड़े ही क्लियर रहे -
1. कोई ये न समझे या किसी तरह की गलतफहमी का शिकार न हो कि भारत अपनी घरेलू राजनीति में ही उलझा हुआ है. विपक्ष सरकार की राजनीतिक आलोचना कर अपना हक जता रहा है तो सत्ता पक्ष अपने फर्ज के प्रति फोकस और हर तरीके से अलर्ट है.
2. भारत अगर धैर्य और संयम बरत रहा है या बार बार बातचीत के जरिये समस्याओं का हल खोजने के प्रयास कर रहा है, तो लगे हाथ ही चीन या पाकिस्तान किसी से मुकाबले के लिए भी हर वक्त शिद्दत से तैयार है.
3. अगर पाकिस्तानी हुक्मरानों को लग रहा हो कि भारत और चीन के बीच जारी तनाव का फायदा उठाया जा सकता है, तो ऐसा हरगिज न सोचे - वो पुराना मुहावरा हमेशा याद रखे 'धोबी का कुत्ता न घर का होता है न घाट का'.
प्रधानमंत्री मोदी के साथ मौजूद CDS बिपिन रावत 2017 में जब आर्मी चीफ थे तभी साफ कर चुके थे कि भारत ढाई मोर्चे पर युद्ध लड़ने के लिए पूरी तरह सक्षम है और समय आने पर ये बात साबित भी हो जाएगी. बिपिन रावत के ढाई मोर्चे का मतलब रहा - चीन, पाकिस्तान और आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियां.
4. प्रधानमंत्री मोदी दुनिया को ये भी समझाने की कोशिश की कि अगर वे चीन के विस्तारवादी रवैये से परेशान हैं तो उनको भारत के साथ होकर आगे आना होगा - तभी चीन को रोका जा सकता है.
5. दुनिया के देश ये साफ साफ समझ लें कि अगर भारत ने चीन को रोक दिया तो पूरी दुनिया से लिए चीजें आसान रहेंगी - वरना, 'कोरोना वायरस' बार बार नाम बदल कर आता रहेगा और दुनिया को तबाह करता रहेगा.
चीन के साथ सीमा पर तनाव की स्थिति में सामरिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी की टिप्पणियां हाल फिलहाल काफी महत्वपूर्ण मानी गयी हैं. प्रधानमंत्री मोदी के लेह दौरे को लेकर ब्रहा चेलानी ने ट्विटर पर लिखा है, 'प्रधानमंत्री मोदी ने लद्दाख के मोर्चे पर जाकर बहुत अच्छा किया. ये दौरा बता रहा है कि भारत ने चीन को ये संदेश दिया है कि वो उसे को पीछे खदेड़ने के लिए दृढ़ संकल्प है.'
Modi has done well to visit the Ladakh front. The visit, by signaling India's resolve to drive back China's incursions, makes amends for his damaging June 19 speech and his government's weeks-long downplaying of the border situation until fatal clashes on June 15 lifted the lid.
— Brahma Chellaney (@Chellaney) July 3, 2020
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