Coronavirus crisis में ट्रंप के टारगेट पर रहे शी जिनपिंग को मोदी का सपोर्ट हमेशा याद रखना होगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने जी 20 के सदस्य देशों की बैठक (G 20 Virtual Summit on Coronavirus) की पहल के साथ कोरोना वायरस को लेकर दुनिया में अलग-थलग पड़ रहे चीन (India Favours China on Covid 19) को बहुत बड़ी राहत दी है.
-
Total Shares
कोरोना वायरस से जंग में भारत शिद्दत से जुटा है. देश के अंदर भी और बाहर भी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने ही दक्षिण एशियाई देशों के संगठन SAARC के सामने कोरोना के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का सुझाव दिया था - और उस पर अमल भी हुआ. फिर प्रधानमंत्री मोदी ने ही G-20 देशों के सामने कोरोना से जंग में एकजुट प्रयासों का प्रस्ताव (G 20 Virtual Summit on Corona Virus) रखा और सऊदी अरब ने इस पहल को हाथों हाथ लिया - और अब तो दुनिया की अर्धव्यवस्था में मदद के लिए सभी मुल्कों ने 5 ट्रिलियन डॉलर की मदद पर राजी भी हो गये हैं.
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सऊदी अरब की अध्यक्षता में चली G-20 देशों की बैठक में जो सबसे बड़ी बात हुई वो प्रधानमंत्री मोदी की पहल रही - फिर सभी देश इस बात पर राजी हो गये कि कोरोना के स्रोत पर बहस की बजाय इससे एकजुट होकर मुकाबले की कोशिश की जाये.
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप जब भी बात करते कोरोना को 'चाइनीज वायरस' वायरस कह कर पुकारते. ट्रंप और उनकी टीम लगातार आरोप भी लगाती रही है कि चीन ने कोरोना को लेकर जानकारी छिपायी क्योंकि अगर वक्त से सही जानकारी मिल जाती तो बड़े नुकसान से बचा जा सकता था.
ऐसे दौर में चीन को भारत का साथ (India Favours China on Covid 19) काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. वो भी तब जबकि भारत के खिलाफ चीन हमेशा ही पाकिस्तान के समर्थन में खड़ा रहा है.
भारत ने तो दुनिया को अपने संदेश दे दिया है - देखना है चीन मुसीबत की घड़ी भारत की इस मदद को कब तक याद रख पाता है?
कोरोना पर दो-दो हाथ करते अमेरिका और चीन
चीन और इटली के बाद कोरोना से सबसे अधिक संक्रमण के मामलों में अमेरिका तीसरे नंबर पर है. अमेरिका शुरू से ही कोरोना वायरस को लेकर चीन पर हमलावर बना हुआ है. कोरोना को चाइनीज वायरस बताते हुए ट्रंप ने कहा भी था, 'इस बीमारी को चीन से ही रोका जा सकता था जहां से ये शुरू हुई थी.'
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो का कहना रहा कि कई जगह ये बताया जा रहा है कि कोरोना वायरस अमेरिकी सेना की वजह से पैदा हुआ - उसी के चलते अमेरिका में लॉकडाउन किया गया है. ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी लोगों से ऐसी सूचनाओं पर भरोसा न करने की भी अपील की थी. डोनॉल्ड ट्रंप तो विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी खफा हो गये, आरोप लगाया कि कोरोना संकट पर चीन का बहुत ज्यादा पक्ष लिया जा रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका को चीन के साथ खड़ा कर दिया है
जी 20 वीडियो कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री मोदी ने पहले ही साफ कर दिया कि ऐसी बातों का कोरोना संकट के समय कोई मतलब नहीं रह गया है. बेहतर हो जोर इस बात पर दिया जाये कि कैसे एकजुट प्रयास किये जा सकते हैं. चीनी विदेश मंत्री वॉन्ग यी ने अमेरिकी स्टैंड को लेकर कड़ा विरोध जताया था और साफ साफ कह दिया था कि वायरस को चीन का नाम दिया जाना स्वीकार नहीं किया जाएगा क्योंकि ये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए अच्छा नहीं है. वॉन्ग यी ने उम्मीद भी जतायी थी कि भारत ऐसी संकुचित सोच का विरोध जरूर करेगा. विदेश मंत्री एस. जयशंकर से हाल की बातचीत में कोरोना को लेकर अपनी तरफ से मदद की पहल तो की ही थी, ये अपेक्षा भी जतायी थी कि भारत वायरस को लेबल दिये जाने पर मजबूती से अपना रुख रखेगा.
भारत में चीन के राजदूत सुन वीडॉन्ग ने दोनों विदेश मंत्रियों की बातचीत के बाद एक ट्विटर पर मदद की पेशकश को साझा किया था.
Wang Yi said it’s not acceptable and detrimental to international cooperation to label the virus and stigmatise China, hope India oppose such narrow mindset. Dr. Jaishankar agreed not to label the virus and the international community should send strong signal of solidarity.
— Sun Weidong (@China_Amb_India) March 24, 2020
प्रधानमंत्री मोदी की सीधी दखल के बाद चीन निश्चित तौर पर काफी राहत महसूस कर रहा होगा - बस देखना है कि भारत की ये बड़ी पहल उसे याद कब तक रहती है?
G20 में मोदी की सबसे मजबूत पहल
जी 20 का वर्चुअल सम्मेलन बुलाये जाने को लेकर पहल भी प्रधानमंत्री मोदी ने ही की थी - और कोरोना के खिलाफ दुनिया के तमाम देशों को एकजुट होकर लड़ने का प्रस्ताव भी दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि कोरोना को लेकर किस मुद्दे पर बाद होनी चाहिये और किस पर हरगिज नहीं - बात चीन के पक्ष में जा रही थी, लेकिन जोखिम हर किसी पर था लिहाजा बगैर किसी हुज्जत के सब के सब मान भी गये.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा - 'कोरोना का जन्मस्थान क्या है, इस पर बात नहीं होनी चाहिये.'
बोले - हमें ये बात नहीं करनी चाहिये कि कोरोना वायरस का संक्रमण कहां से शुरू हुआ - कैसे हुआ?
फिर क्या बात होनी चाहिये, जाहिर है ये सवाल सबके मन में होगा ही, इसलिए बगैर वक्त गंवाये मोदी ने बता भी दिया - जी 20 के सदस्य देशों को मिल कर इस संक्रमण को दूर करने के उपायों पर बात होनी चाहिये.
प्रधानमंत्री मोदी की बातें कितनी दमदार रहीं, सबूत भी इस बात का मौके पर ही मिल गया. वायरस कहां से पैदा हुआ, इसे लेकर कोई चर्चा नहीं हुई. चर्चा इस बात पर हुई कि मौजूदा आपदा से कैसे निपटना है. वायरस के फैलने के लिए किसी पर आरोप मढ़ने की फिर कोई कोशिश नहीं हुई - तय हुआ कि स्वास्थ्य और महामारी फैलने से जुड़े आंकड़े सदस्य देश एक दूसरे से शेयर करेंगे. तय ये हुआ कि आंकड़ों का इस्तेमाल हेल्थ सिस्टम में सुधार, जरूरी चीजों के उत्पादन और मेडिकल सप्लायी बढ़ाने के उपाय खोजने और उस पर अमल करने में होगी.
मुसीबत में मदद के हाथ बढ़ाने वाला ही सबसे खास दोस्त होता है. चीन अपने करीबी दायरे में अब तक पाकिस्तान को ही इस कैटेगरी में रखता आया है. ऐसे कई मौके आये हैं जब चीन पाकिस्तान को खास से भी खास दोस्त बताता रहा है - और इमरान खान की तरफ से भी स्वाभाविक तौर पर ऐसा ही एक्सचेंज ऑफर देखने को मिला है. सवाल है कि क्या आगे भी ये सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?
भारत के लिए अमेरिका और चीन में फर्क बहुत बड़ा है. अमेरिका, फिलहाल भारत के दोस्त की कैटेगरी में शुमार है लेकिन चीन एक ऐसा पड़ोसी है जो खुद तो भारत के खिलाफ रहता ही है, जब तटस्थ रहने से काम चल जाये तब भी वो पाकिस्तान के साथ ही खड़ा रहता है. पाकिस्तानी आतंकवादी मसूद अजहर के खिलाफ भारत की मुहिम में चीन कई साल तक अड़ंगा डाले रहा. भारत को संयुक्त राष्ट्र की अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादियों की सूची में मसूद अजहर का नाम शामिल कराने के लिए पूरी दुनिया में मुहिम चलानी पड़ी. आखिरकार चीन को दुनिया के कई देशों के भारत के साथ खड़े होने के चलते पीछे हटना ही पड़ा था. चीन ने श्रीलंका और नेपाल के साथ भी नजदीकियां बढ़ा कर भारत के खिलाफ माहौल तैयार करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है. जब भी कोई अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर जाता है, पहुंचने से पहले ही चीन अपना विरोध दर्ज कराने आ जाता है.
ये अलग बात है कि डोकलाम विवाद को दरकिनार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ गुजरात में चरखा भी कातते हैं और वुहान पहुंच कर झूला भी झूलते हैं - और ये भी कहते हैं कि चार दशक से तनाव के बावजूद दोनों मुल्कों के बीच किसी भी तरफ से एक गोली भी नहीं चली.
चीन को भारत का ऐसे नाजुक मौके पर साथ मिला है जब उसके खास से भी खास दोस्त के सपोर्ट का कोई मतलब नहीं है. अगर इमरान खान चीन के पक्ष में कुछ बोल भी दें तो दुनिया में कौन उनकी बात सुनने वाला है - अभी इमरान खान को पूरी ताकत FATF में अपनी छवि सुधारने में झोंक रखी है. बस जैसे तैसे राहत की तारीख बढ़ पा रही है.
एकबारकी तो ऐसा लगा जैसे चीन का साथ देकर भारत ने अमेरिका की नाराजगी का जोखिम तक मोल लिया है - लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ी सधी हुई कूटनीतिक चाल चली है. जी 20 मुल्कों के बीच न तो अमेरिका का विरोध किया है और न ही चीन का प्रत्यक्ष तौर पर साथ दिया है - बल्कि, विवादों की लकीर को उपायों की बड़ी लकीर से छोटी कर दी है. मुद्दे की अहमियत भारतीय दर्शन के तरीके से समझा दी है. भला और क्या कहा जाये - अभी 24 घंटे भी नहीं बीते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और चीनी समकक्ष जिनपिंग की बात भी हो गयी - और ट्रंप लिख रहे हैं, 'चीन ने अब तक वायरस को लेकर काफ़ी बेहतर समझ विकसित कर ली है. हम साथ मिलकर काम कर रहे हैं...'
Just finished a very good conversation with President Xi of China. Discussed in great detail the CoronaVirus that is ravaging large parts of our Planet. China has been through much & has developed a strong understanding of the Virus. We are working closely together. Much respect!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) March 27, 2020
भविष्य में चीन भारत को लेकर जो भी रूख अख्तियार करे, प्रधानमंत्री मोदी ने पूरी दुनिया के सामने भारत का रूख साफ कर दिया है. जी 20 के मंच पर भी प्रधानमंत्री मोदी ने वही बात दोहरायी है जो संयुक्त राष्ट्र के मंच से कहा था - भारत बुद्ध का देश है, युद्ध का नहीं. भारत कोरोना के खिलाफ भी वैसे ही दुनिया के साथ कंधे से कंधा मिलाये खड़ा है जैसे आतंकवाद के खिलाफ. मान कर चलना होगा, चीन और अमेरिका ही नहीं बल्कि पाकिस्तान की हुकूमत तक भी ये बात ज्यों की त्यों पहुंच रही होगी.
इन्हें भी पढ़ें :
Coronavirus ने जानिए कैसे बदल दी दुनिया, 8 चुनिंदा खबरें...
Corona virus outbreak: इटली-स्पेन में किसिंग बन गई जानलेवा
Corona virus outbreak के खिलाफ जंग में जीत पक्की है - लेकिन 21 दिन में मुश्किल
आपकी राय