मोदी ने मिशन-2022 से चुनाव-2024 का अभियान शुरू कर दिया है
संसद में 5 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जो कुछ आपने सुना वो बजट नहीं बही-खाता भाषण रहा. असली बजट भाषण तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिनी संसद यानी वाराणसी में दिया है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरगामी सोच कुछ ज्यादा ही दूर तक टिकी नजर आ रही है. अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को 10 साल आगे का रोड मैप दिखाने का प्रयास किया. तमाम तरह के उदाहरणों के जरिये प्रधानमंत्री ने समझाया कि कैसे मोदी सरकार 2.0 आने वाले 10 साल के विजन के साथ काम में जुट चुकी है.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ताजा कार्यकाल यानी दूसरी पारी को अपने अगले 10 साल के विजन में पांच साल का एक पड़ाव बताया है. प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद पहली बार और चुनाव नतीजे आने के बाद दूसरी बार बनारस पहुंचे मोदी बीजेपी कार्यकर्ताओं से वैसे ही संवाद कर रहे थे जैसे अपने नामांकन के वक्त किया था. मोदी ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को तब भी एक टास्क दिया था और फिर से नया टास्क असाइन कर दिया है. पहला तो कामयाब रहा - आगे क्या होता है, इंतजार करना होगा.
बीजेपी नेतृत्व अभी से 2024 के विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुट चुका है. बनारस के बीजेपी कार्यकर्ताओं का सोशल मीडिया पर मिशन 2024 के लिए 350+ के लक्ष्य की भी चर्चा इस बात का सबूत भी है. वैसे ताजा चुनौती तो 12 विधानसभा सीटों के लिए होने जा रहे उपचुनाव हैं जो आगे की तैयारी कैसी है बताने के लिए फिलहाल काफी हैं.
बीजेपी कार्यकर्ताओं को मोटिवेट करते हुए मोदी ने समझाया कि '5 ट्रिलियन डॉलर इकनॉमी' का लक्ष्य आखिर भारत कैसे हासिल कर सकता है. मोदी के पूरे भाषण में मोदी के निशाने पर विपक्ष रहा जिसे उन्होंने 'पेशेवर निराशावादी' करार दिया है.
ये 'बही-खाता' सिर्फ पांच साल के लिए नहीं है
वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रमों की जानकारी तो पहले से ही दे गयी थी, लेकिन एक सूचना खास तौर पर उन्होंने खुद ट्वीट कर बताया. प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर लिखा, 'सुबह 11.30 बजे मैं वाराणसी में बीजेपी के सदस्यता अभियान कार्यक्रम को संबोधित करूंगा. अपने भाषण में मैं बजट और आने वाले बरसों में भारत के विकास पथ के बारे में अपने विचार रखूंगा.'
At around 11:30 this morning, I will address the programme in Varanasi marking the launch of @BJP4India’s Membership Drive.
During my speech, I will elaborate on my thoughts on the Budget and India’s growth trajectory in the coming years.
Do watch.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 6, 2019
एयरपोर्ट पर पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की मूर्ति के अनावरण और वृक्षारोपण कार्यक्रम में शामिल होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी सदस्यता अभियान को लेकर बीजेपी कार्यकर्ताओं से मुखाबित हुए और बात करते करते सत्यनारायण स्वामी की कथा का भी ध्यान कराया.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'हमारे दिमाग में गरीबी एक वर्च्यू बन गया है.' दरअसल, मोदी ने ये समझाने की कोशिश कर रहे थे कि गरीबी कोई गर्व का विषय नहीं है.
प्रधानमंत्री ने कहा, 'हम बचपन में सत्यनारायण की कथा सुनते थे. उसकी शुरुआत एक गरीब ब्राह्मण से होती है. यानी शुरुआत ही गरीबी से होती थी... कल जो बजट प्रस्तुत किया गया उसमें सरकार ने ये नहीं कहा कि इसमें इतना दिया गया. 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य को भारत कैसे प्राप्त कर सकता है. ये हमने दिखाया और बताया कि आने वाले 10 साल के विजन के साथ हम मैदान में उतरे हैं. उसका एक पड़ाव है ये पांच साल.' वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि सरकार की नीतियों का फोकस है - 'गांव, गरीब और किसान'. गरीबी और किसानों के जिक्र के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों के उज्ज्वल भविष्य की राह दिखाने की भी कोशिश की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से बीजेपी की सदस्यता अभियान की शुरुआत की है
मोदी बोले, 'आज देश खाने-पीने के मामले में आत्मनिर्भर है तो इसके पीछे देश के किसानों का सतत परिश्रम है. अब हम किसानों को उत्पादक से आगे एक्सपोर्टर के रूप में देख रहे हैं. हमारे पास निर्यात की क्षमता है. फूड प्रोसेसिंग से लेकर मार्केटिंग तक के लिए निवेश बढ़ाया गया है.'
इस तरह बातों बातों में ही प्रधानमंत्री मोदी ने बनारस के बीजेपी कार्यकर्ताओं को समझा दिया कि वे आसन्न उपचुनाव और मिशन 2022 के लिए ही नहीं बल्कि 2024 से आगे के लिए भी कमर कसे रहें. मोदी यही समझा रहे थे कि बजट के जरिये सरकार ने जो योजना देश के सामने रखी है वो महज 5 साल के लिए नहीं है, बल्कि 10 साल के लिए हैं. मतलब आगे की तो कोई सीमा भी नहीं है. वैसे भी अमित शाह की नजर में बीजेपी का गोल्डन पीरियड तब माना जाएगा जब पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक शासन हो.
जरा बचके - ये पेशेवर निराशावादी हैं
जिस अंदाज में प्रधानमंत्री मोदी बीजेपी कार्यकर्ताओं को नामांकन के वक्त बूथ जीतने के उपाय समझाये थे, '5 ट्रिलियन डॉलर इकनॉमी' को लेकर भी वो वैसा ही जोश भरने की कोशिश कर रहे थे. चुनाव से पहले मोदी ने कार्यकर्ताओं से दो बातें कही थी. एक, 'मुझे हर बूथ जीतना है' और दो, 'माताओं बहनों के वोट पुरुषों से ज्यादा होनी की इच्छा अब तक अधूरी है'. मोदी को दोनों ही बातों का मान कार्यकर्ताओं ने रख लिया. बजट के दौरान भी महिला वोटर की भागीदारी और लोक सभा पहुंची 78 महिला सांसदों की चर्चा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी जोर देकर किया.
प्रधानमंत्री का सबसे ज्यादा जोर '5 ट्रिलियन डॉलर इकनॉमी' पर दिखा जिसको लेकर कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाने के लिए उन्होंने विपक्ष को निशाना बनाया है. प्रधानमंत्री चाहते थे कि पहले बीजेपी कार्यकर्ता बात को समझ जायें और समझने के बाद उसी जोश के साथ लोगों को जाकर समझायें. नामांकन के वक्त प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव प्रचार का सस्ते बजट वाला तरीका समझाया था. मोदी ने कार्यकर्ताओं को समझाया था कि कैसे वे मेलजोल बढ़ाने के लिए आस पड़ोस के लोगों से मिलें, 'भाभीजी के हाथ की चाय' की प्रशंसा करें और फिर उनसे बीजेपी के लिए वोट भी मांग लें.
प्रधानमंत्री ने कहा कि निराशावादी लोगों से देश को सतर्क रहने की जरूरत है. ये चर्चा हो सकती है कि मोदी जो बता रहे हैं वो ठीक है या नहीं और चर्चा के दौरान नये सुझाव भी दिये जा सकते हैं.
मोदी ने ये भी समझाया कि किस बात की चर्चा नहीं होनी चाहिये, '5 ट्रिलियन का लक्ष्य नहीं होना चाहिए. इतना बड़ा लक्ष्य नहीं रखना चाहिए. इससे बचना चाहिए. देश के विद्वानों की राय हमारे लिए अहम है.' मोदी ने कहा कि ऐसी चर्चाओं को बढ़ावा देने वालों से बचना चाहिये.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'कुछ लोग कहते हैं कि ये क्यों किया जा रहा है... वो क्यों किया जा रहा है. ऐसे लोग प्रोफेशनल पेसिमिस्ट होते हैं... पेशेवर निराशावादी होते हैं.'
प्रधानमंत्री मोदी ने बीजेपी कार्यकर्ताओं के बहाने देश के लोगों को भी ऐसे लोगों से बचने की सलाह दी. बताया कि अगर ऐसे लोगों के पास आप कोई समस्या लेकर जाएंगे तो ये समाधान की जगह आपको संकट में डाल देंगे.
मोदी ने प्रोफेशनल पेसिमिस्ट की खास पहचान भी बतायी, 'समाधान को संकट में कैसे बदलना है, यह निराशावादी की पहचान होती है.' डॉक्टरों की मिसाल देते हुए मोदी ने समझाया कि वे कैसे मरीज का उत्साह बढ़ाते हैं. मोदी बोले, 'क्योंकि अगर पेशेंट उत्साह से भर जाएगा तो बीमारी को परास्त कर सकता है.'
काफी हंसी-मजाक वाले अंदाज में मोदी ने आम बजट की आलोचना करने वालों को टारगेट किया और बताने का प्रयास किया कि ऐसी बातों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये भी समझाया कि देश के लिए इतना बड़ा लक्ष्य उनकी सरकार ने क्यों रखा है. इसके लिए मोदी ने एक अंग्रेजी कहावत का भी जिक्र किया.
भाषण सुनिये - 'पांच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का मतलब होता है 5 लाख करोड़ डॉलर... रुपये में समझने के लिए 65-70 गुना और भी किया जा सकता है... आज हमारी अर्थव्यवस्था का जो आकार है उसका लगभग दोगुना.'
आगे कहते हैं, 'मैं खुद अर्थशास्त्री नहीं हूं. मुझे इसका अ भी नहीं आता. लेकिन जिस लक्ष्य की मैं आपसे बात कर रहा हूं उससे आपका उत्साह बढ़ेगा. यही मुसीबतों से मुक्ति का मार्ग है... अंग्रेजी में कहावत होती है... साइज ऑफ द केक मैटर्स. यानी जितना बड़ा केक होगा, उतना ज्यादा लोगों को मिलेगा. इसी लिए हमने भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर बनाने का लक्ष्य रखा है... अर्थव्यवस्था जितनी बड़ी होगी, उतनी ही लोगों की आमदनी बढ़ेगी और जीवनशैली में परिवर्तन होगा.'
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ब्रीफ केस की जगह लाल रंग की खूबसूरत थैली लेकर संसद पहुंची थीं जिसे बही-खाता बताया गया. ऐसा लग रहा है कि 5 जुलाई को संसद में निर्मला सीतारमण ने जो कुछ कहा वो तो बही-खाता भाषण रहा - असली बजट भाषण तो मोदी ने मिनी संसद में दिया है. प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने की वजह से जब नरेंद्र मोदी बनारस दौरे पर होते हैं तो उसे मिनी संसद ही कहा जाता है.
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