सरदार पटेल जयंती पर मोदी की बातें बिहार चुनाव में कितना मायने रखती हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) पर पुलवामा पर विपक्ष की 'भद्दी राजनीति' के लिए कठघरे में खड़ा किया है - मोदी के भाषण में अयोध्या से लेकर कश्मीर तक का जिक्र आखिर बिहार चुनाव में कितना मायने रखता है?
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बिहार चुनाव को लेकर कश्मीर और आतंकवाद से जोड़ने की बीजेपी नेता नित्यानंद राय की कोशिश धड़ाम हो गयी थी. बिहार में पाकिस्तान को लेकर हमेशा मुखर रहने वाले गिरिराज सिंह भी चुप रहे, लेकिन सरहद पार हुए एक हलचल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को भी इस मुद्दे पर फिर से बोलने का मौका दे दिया.
सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलवामा के बहाने आतंकवाद और कट्टरता का भी जिक्र किया है - और उसे लेकर विपक्षी दलों को भी कठघरे में खड़ा किया है. असल में प्रधानमंत्री मोदी ने पुलवामा हमले को लेकर इमरान खान के मंत्री के पाकिस्तान की संसद में इकबालिया बयान के बाद पहली बार रिएक्ट किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलवामा पर विपक्ष की 'भद्दी राजनीति' का जिक्र करते हुए कहा है कि जब हमारे देश के जवान शहीद हुए थे उस वक्त भी कुछ लोग राजनीति में लगे हुए थे. ऐसे लोगों को देश भूल नहीं सकता. मोदी की ये बातें राहुल गांधी के उस बयान से जुड़ी हैं जिसमें वो पूछ रहे थे कि इससे फायदे में कौन है देखना होगा - मोदी के भाषण में अयोध्या से लेकर कश्मीर तक का जिक्र क्या बिहार चुनाव के लिए भी कोई मायने रखता है?
पाकिस्तान, पुलवामा और आतंकवाद
फरवरी, 2019 के कुछ ही दिन बाद देश में आम चुनाव हुए थे और बिहार चुनाव से पहले भारतीय सैनिकों की चीनी फौज से झड़प की घटना हुई. संयोग से चीन सरहद पर बिहार रेजीमेंट तैनात रही और उनके शौर्य का जिक्र भी स्वाभाविक रहा. ऐसे में जबकि बिहार में चुनाव चल रहा है, पाकिस्तान की संसद से पुलवामा की चर्चा और एक मंत्री का ये कबूल करना कि वो इमरान खान का कामयाब मिशन रहा, भारत में चर्चा तो होनी ही है.
बिहार में एक दौर की वोटिंग हो चुकी है और दो चरण के मतदान बाकी हैं. बेरोजगारी पर फोकस तेजस्वी यादव के धुआंधार प्रचार ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कड़ी टक्कर मिल रही है. नीतीश कुमार के बचाव में प्रधानमंत्री मोदी मोर्चा संभाल चुके हैं और उनके खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को अलग अलग तरीके से कम करने की कोशिश कर रहे हैं. दरभंगा से अयोध्या में राम मंदिर का जिक्र और अब गुजरात के केवड़िया से राष्ट्रवाद पर प्रधानमंत्री का फोकस होना, बिहार में मोदी लहर लाने की कोशिश तो मानी ही जा सकती है.
ये भी संयोग ही है कि पाकिस्तान के भीतर मची उठापटक से ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तान सरकार में मंत्री फव्वाद चौधरी संसद में ही बोल पड़े कि पुलवामा में CRPF के काफिले पर हुए हमले में पाकिस्तान का हाथ था, जो पाकिस्तान की कामयाबी है. फव्वाद चौधरी ने पुलवामा हमले का क्रेडिट अपने प्रधानमंत्री इमरान खान को देते हुए उनकी बड़ी उपलब्धि बता डाली.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'जब मैं अर्धसैनिक बलों की परेड देख रहा था, तो मन में एक और तस्वीर थी - ये तस्वीर थी पुलवामा हमले की... देश कभी भूल नहीं सकता कि जब अपने वीर बेटों के जाने से पूरा देश दुखी था, तब कुछ लोग उस दुख में शामिल नहीं थे.'
बिहार चुनाव में नीतीश कुमार भी मोदी लहर के ही भरोसे हैं
प्रधानमंत्री मोदी बोले, 'तब कैसी-कैसी बातें कहीं गईं? कैसे-कैसे बयान दिए गये? ...जब देश पर इतना बड़ा घाव लगा था, तब स्वार्थ और अहंकार से भरी भद्दी राजनीति कितने चरम पर थी.'
असल में राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल जैसे नेता प्रधानमंत्री मोदी के निशाने पर थे. तब राहुल गांधी ने पुलवामा हमले को लेकर ट्विटर पर तीन सवाल पूछे थे - 'जब हम पुलवामा के 40 शहीदों को याद कर रहे हैं, तब हमें पूछना चाहिए... पुलवामा आतंकी हमले से किसे सबसे ज्यादा फायदा हुआ? पुलवामा आतंकी हमले को लेकर हुई जांच से क्या निकला? सुरक्षा में चूक के लिए मोदी सरकार में किसकी जवाबदेही तय हुई?'
Today as we remember our 40 CRPF martyrs in the #PulwamaAttack , let us ask:
1. Who benefitted the most from the attack?
2. What is the outcome of the inquiry into the attack?
3. Who in the BJP Govt has yet been held accountable for the security lapses that allowed the attack? pic.twitter.com/KZLbdOkLK5
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 14, 2020
दिल्ली चुनाव आते आते और नतीजे आने के बाद तो अरविंद केजरीवाल के सुर बदल ही गये थे, जब दिल्ली में कोरोना संकट बेकाबू होने लगा तो केजरीवाल सरकार ने एक तरीके से केंद्र के सामने सरेंडर ही कर दिया था. लेकिन पुलवामा हमले के वक्त अरविंद केजरीवाल ने ट्विटर पर लिखा था, 'पाकिस्तान और इमरान खान खुलकर मोदी जी का समर्थन कर रहे हैं... अब ये साफ है कि मोदी जी ने कोई गुप्त समझौता किया है.'
Pakistan and Imran Khan are openly supporting Modi ji. It is clear now that Modi ji has some secret pact wid them.
Everyone is asking - did Pakistan kill 40 of our brave soldiers in Pulwama on 14 Feb just before elections to help Modi ji? https://t.co/hIh5PGqr9E
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) April 11, 2019
कश्मीर - बीजेपी नेताओं की हत्या
पुलवामा, दरअसल, जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान की शह से आतंकवाद आतंकवाद को बढ़ावा देने का नमूना और सबूत है - और फ्रांस को लेकर इस्लामिक कट्टरवाद का जो रूप देखने को मिल रहा है, वो भी बड़ी चिंता का विषय है.
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में आतंकवाद के इस नये स्वरूप पर भी चिंता देखने को मिली. प्रधानमंत्री मोदी का कहना रहा, 'प्रगति के प्रयासों के बीच, कई ऐसी चुनौतियां भी हैं जिसका सामना आज भारत, और पूरा विश्व कर रहा है... बीते कुछ समय से दुनिया के अनेक देशों में जो हालात बने हैं, जिस तरह कुछ लोग आतंकवाद के समर्थन में खुलकर सामने आ गए हैं - वो आज वैश्विक चिंता का विषय है.'
बिहार चुनाव के बीच केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने आशंका जतायी थी, 'अगर इस चुनाव में आरजेडी के नेतृत्व वाला महागठबंधन जीता तो बिहार कश्मीर के आतंकवादियों की शरणस्थली बन जाएगा.'
हालांकि, बिहार बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके नित्यानंद राय ने ये भी समझाया, 'कश्मीर से जिन आतंकवादियों का हमलोग सफाया कर रहे हैं, वे बिहार की धरती पर आकर शरण ले लेंगे, लेकिन हम ऐसा होने नहीं देंगे.'
प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान के साथ साथ चीन को भी आगाह किया कि वो किसी गफलत में न रहे, साथ ही कश्मीर के विकास की बाधाओं से निकल कर उसके नय रास्ते पर बढ़ने की भी चर्चा की, लेकिन बड़ा सच तो यही है कि धारा 370 हटाये जाने और अलगाववादी नेताओं सहित मुख्यधारा के नेताओं को लंबे वक्त तक प्रशासन के नजरबंद रखने के बावजूद कश्मीर में आतंकवाद खत्म नहीं हो रहा है.
हाल फिलहाल तो कश्मीर में आतंकवाद का सबसे ज्यादा शिकार बीजेपी के नेता ही होते नजर आ रहे हैं. कश्मीर घाटी में पिछले 6 महीने के दौरान बीजेपी के 14 नेताओं की आतंकवादियों ने हत्या कर डाली है और आतकंवादियों के डर से कई नेता और सरपंच बीजेपी छोड़ चुके हैं.
बीजेपी नेता मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का उप राज्यपाल बनाये जाने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि शांति के साथ साथ सूबे में लोक तंत्र की भी बहाली होगी और चुनाव भी कराये जाएंगे - लेकिन चुनाव तो तभी होंगे जब उसके लायक माहौल बनेगा.
पुलवामा को लेकर एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी के निशाने पर आये राहुल गांधी बिहार चुनाव में महागठबंधन के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं. तेजस्वी से लेकर राहुल गांधी और कन्हैया कुमार तक बिहार में सत्ता परिवर्तन का दावा कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी का इशारा समझें तो वो बिहार के लोगों को बताना चाहते हैं कि देश को लेकर जिनके विचार ऐसे हों क्या वे इस लायक हैं कि उन्हें सत्ता सौंपी जा सके? महागठबंधन की एक पार्टनर सीपीआई के स्टार प्रचारक के खिलाफ पहले से ही देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है. रही बात महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की तो प्रधानमंत्री तेजस्वी यादव को भी जंगलराज का युवराज बता चुके हैं.
बेशक बीजेपी ने चुनाव मैनिफेस्टो में 19 लाख रोजगार का वादा किया हो, लेकिन तेजस्वी यादव के पहली दस्तखत से 10 सरकारी नौकरी के इंतजाम का वादा लोगों के दिमाग से उतर नहीं रहा है. नीतीश कुमार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर में पुलवामा विमर्श कितना कारगर साबित होगा देखना होगा.
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