मोदी जी के जिम्मे बहुत काम है, भारत तो मुश्किलों में है ही!
भारत (India) के लिए वर्तमान स्थिति बहुत ही भयानक है. मुसीबतों से घिरा देश प्रधानमंत्री (Prime Minister) की ओर हसरत भरी निगाह से देख रहा है. भारत को इन सभी चुनौतियों से जल्द से जल्द निपटना होगा यह समय भारत के लिए बहुत ही भयावह समय है.
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भारत सरकार (Government Of India) इस वक्त चुनौतियों से घिरी है. एक तरफ कोरोना वायरस (Coronavirus) की स्थिति लगातार डर पैदा कर रही है, हर एक दिन 5 हजार से अधिक केस सामने आने लगे हैं. कोरोना वायरस पर कोई भी राहत की खबर नहीं मिल रही है. दूसरी ओर अर्थव्यवस्था (Economy) और गर्त में जाती हुयी दिख रही है. दो माह से अधिक का समय होने को है, तब से सबकुछ बंद पड़ा हुआ है. सरकार के खजाने में पैसे आने के सभी स्रोत ठप पड़े हैं. सरकार कुछ कुछ चीज़ों को खोल रही है ताकि अर्थव्यवस्था को थोड़ी गति मिल सके. उम्मीद जताई जा रही है कि लाकडाउन को 31 मई से कुछ दिन और बढ़ाया जाएगा लेकिन इसमें बहुत हद तक कारोबार को खोल दिया जाएगा ताकि देश की अर्थव्यवस्था गति प्राप्त कर ले. भारत इस वक्त मुश्किलों में घिरा हुआ है. एक तरफ चीन (China) है जो कोरोना वायरस का जनक है साथ ही भारत सहित कई देशों में खराब किट भेजने के आरोप में आलोचना सह रहा है. वहीं चीन भारत की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के मकसद में भी नाकाम है इसलिए वह भारत को ललकारने की कोशिश में जुट गया है. चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग ने अपनी सेना को अलर्ट होने के लिए भी कह दिया है. लेकिन सवाल यह है कि क्या दुनिया का कोई भी देश इस समय यु्द्ध की हालत में है?
कई अहम मोर्चों पर पीएम मोदी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं
जब कोरोना वायरस जैसी महामारी से देश पहले से ही लड़ रहा हो जो किसी बड़े युद्ध से कम नहीं है तो चीन आखिर ऐसा क्यों कर रहा है? एक वजह यह भी हो सकती है कि चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन की मिलीभगत को अमेरिकी राष्ट्रपति अपने कई बयानों में दर्शा चुके हैं और अब विश्व स्वास्थ्य संगठन की कुर्सी पर भारत के डॉक्टर हर्षवर्धन पहुंच चुके हैं. तो क्या चीन भारत पर दबाव इसलिए भी बढ़ा रहा है ताकि कोरोना वायरस को लेकर जांच की मांग को ठुकराया जा सके.
इसमें कोई शक नहीं कि अमेरिका लगातार चीन को कोरोना वायरस फैलाने का दोषी मानता है, जिससे चीन बौखलाया हुआ है. वह किसी तरह अपने मुददों से दुनिया भर का रुख मोड़ना चाहता है ताकि इस युद्ध के आहट के बीच कोई भी कोरोना वायरस से जुड़ा सवाल न उठा सके.
भारत अकेले चीन ही नहीं बल्कि इस समय नेपाल के मसले पर भी चिंता में डूबा हुआ है. भारत के रिश्ते नेपाल से अच्छे रहे हैं लेकिन चीन नेपाल में निवेश करके भारत और नेपाल की दूरी को भी बढ़ाना चाहता है. जिसमें कुछ हद तक वह कामयाब भी नज़र आ रहा है. भारत और नेपाल के बीच नियंत्रण रेखा को लेकर तनाव बढ़ा हुआ है.
नेपाल के रक्षा मंत्री ने तो ये तक कह दिया है कि वह सैन्य एक्शन भी कर सकते हैं, लेकिन नेपाल ऐसा हरगिज़ नहीं करेगा. उसे भारत की ताकत का अंदाजा है. लेकिन चीन उसके साथ ज़रूर खड़ा है जिसकी वजह से नेपाल भारत पर लगातार तीखे हमले कर रहा है. इससे पहले नेपाल ने भारत को नेपाल में कोरोना वायरस फैलाने का दोषी माना था. भारत और नेपाल के बीच यह तनाव भारत के लिए नई मुसीबत बन पैदा हो गई है.
भारत के लिए इन सब चुनौतियों के साथ ही कई चुनौतियां देश के अंदर ही मौजूद हैं. उत्तराखंड के जंगलों में आग ऩई मुसीबत बन गई है. तो श्रमिकों का पलायन अलग चिंता है. भारत फिर से कारोबार एवं शहरों को खोलने की तैयारी में है लेकिन तमाम मजदूर पलायन कर चुके हैं या कर रहे हैं. ऐसे में क्या वह अभी शहर या काम पर लौटने की स्थिति में होंगे? यह एक नई चिंता है.
भारत को तमाम चुनौतियों से लड़ना है और इससे पार भी पाना है. यह वक्त बहुत ही मुश्किल भरा है और इसमें सबसे ज़्यादा अगर किसी को कार्य करना है तो वह भारत सरकार को करना है. उसे ही इन सारी परिस्थितियों से पार पाना होगा. देश की सुरक्षा, कोरोना वायरस के आतंक से बचना और डूबती अर्थव्यवस्था की कश्ती पर एक बार फिर सबकी निगाहें देश के प्रधानमंत्री पर टिकी हुयी हैं. देश को उम्मीद है कि सबकुछ ठीक हो जाएगा और फिर से भारत खुशहाल जीवन की पटरी पर दौड़ने लगेगा.
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