Modi के कथित बयान से उठा तूफान PMO की सफाई के बाद भी थम क्यों नहीं रहा?
अव्वल तो गलवान घाटी (Galwan valley) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के बयान पर उठे सवालों से प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO Clarification) को दूर रहना चाहिये था. अमित शाह के सामने आने के बाद बीजेपी नेताओं को ही डिफेंड करना चाहिये था - सवाल है कि PMO की सफाई के बाद क्या होने वाला है?
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लद्दाख की गलवान घाटी की घटना पर विपक्ष की तरफ से पूछे जा रहे सवालों का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवाब (Narendra Modi All party meeting statememt) सर्व दलीय बैठक में दे दिया था. प्रधानमंत्री मोदी ने जो कुछ कहा वो चीन की फौज के साथ हुई भारतीय सैनिकों की झड़प के बाद भारत सरकार का बयान रहा. तमाम विपक्षी दलों के समर्थन और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के सवालों की बौछार के बीच, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'कोई भी भारतीय क्षेत्र में नहीं घुसा - और न ही किसी भारतीय चौकी पर कब्जा किया गया.'
जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी का बयान मीडिया में आया कुछ एक्सपर्ट ने भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल की स्थिति को लेकर सवाल उठाये. सर्व दलीय बैठक के अगले दिन फिर से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने टिप्पणी शुरू कर दी.
पहले तो प्रधानमंत्री के बयान पर उठते सवालों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने काउंटर करने की कोशिश की, लेकिन जब लगा कि मामला शांत नहीं होने वाला तो PMO यानी प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO Clarification) को सफाई देनी पड़ी - क्या अब सवाल थम जाएंगे या राजनीति यूं ही चलती रहेगी?
मोदी का बयान, उस पर उठे सवाल
सर्व दलीय बैठक में स्वाभाविक तौर पर दो फाड़ होते ही हैं - सत्ता पक्ष और विपक्षी राजनीतिक दल. 19 जून, 2020 की सर्व दलीय बैठक में भी दो फाड़ साफ साफ दिखायी दिये, लेकिन अलग रूप में. एक तरफ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी और तमाम विपक्षी दल और दूसरी तरफ, अकेले कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी.
बैठक में सोनिया गांधी ने ढेरों सवाल पूछे और खुफिया नाकामी तक के बारे में सरकार का रूख जानने की कोशिश की. लब्बोलुआब यही रहा कि सीमा पर जो कुछ हो रहा था उसके बारे में सरकार को कोई जानकारी थी भी या नहीं? ममता बनर्जी से लेकर के चंद्रशेखर राव तक ने मोदी सरकार का सपोर्ट किया - और कांग्रेस के खिलाफ अगर कोई स्वर सुनाई दिये तो वे शरद पवार के रहे - और फिर प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-चीन सीमा पर वस्तुस्थिति को लेकर बयान भी दिया.
तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं की मौजूदगी में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था - न कोई हमारे क्षेत्र में घुसा है और ना किसी पोस्ट पर कब्जा किया है... भारत शांति और दोस्ती चाहता है लेकिन वो अपनी संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर PMO को सफाई देने की जरूरत क्यों आ पड़ी?
जब न्यूज एजेंसी PTI ने प्रधानमंत्री का बयान ट्विटर पर शेयर किया तो ब्रह्म चेलानी और अजय शुक्ला जैसे रक्षा विशेषज्ञों ने सवाल उठाये. सवाल भी कुछ इस अंदाज में कि क्या प्रधानमंत्री ये कहना चाहते हैं कि आज जहां चीनी फौज है वो पूरी जगह उनका इलाका है?
सामरिक मामलों के एक्सपर्ट ब्रह्म चेलानी ने ट्विटर पर लिखा - क्या मोदी का ये बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि भारत ने गलवान घाटी में चीन के जबरन यथास्थिति में बदलाव को स्वीकार कर लिया है? रिटायर्ड कर्नल और पत्रकार अजय शुक्ला के ट्वीट में भी उसी मुद्दे की तरफ इशारा रहा जिस पर ब्रह्म चेलानी सवाल पूछ रहे थे. सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने भी ब्रह्म चेलानी के ट्वीट के जवाब में वैसी ही टिप्पणी की है.
Does Modi's statement signal India is willing to live with China's forcible change of the status quo in the Galwan Valley and at Lake Pangong? By occupying unoccupied areas, China has put a halt to India's patrolling of those areas and built positions overlooking Indian defenses.
— Brahma Chellaney (@Chellaney) June 19, 2020
Did I see prime minister @narendramodi redrawing the Sino-Indian border on TV today? Modi said nobody entered Indian territory. Has he conceded to China the Galwan River valley and Fingers 4-8 in Pangong Tso -- both on our side of the LAC -- and where Chinese troops now sit. 1/4.
— Ajai Shukla (@ajaishukla) June 19, 2020
Modi said no 1 entered our borders. Let him answer(1)Does Galwan valley belong 2India?(2) If it does, has China occupied it ?Is that not entering our border?(3) R any steps being taken 2recover it, or r we going 2accept this illegal occupation by China ? India is entitled 2know
— Markandey Katju (@mkatju) June 19, 2020
सर्व दलीय बैठक खत्म होने के बाद कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री का बयान विदेश मंत्रालय की बातों से ही मेल नहीं खाता और सवाल खड़े करता है. मनीष तिवारी के सवाल के बाद अगले दिन सुबह करीब सवा आठ बजे कांग्रेस के सीनियर नेता पी. चिदंबरम ने पूछा कि अगर प्रधानमंत्री ने लद्दाख की सही स्थिति के बारे में बताया है तो फिर 20 जवानों को बलिदान क्यों देना पड़ा - और पिछले कुछ हफ्तों से चीन के साथ सैन्य स्तर पर किस बारे में बातचीत हो रही थी?
PM said there is no foreigner (meaning Chinese) in Indian territory. If this is true, what was the fuss about May 5-6? Why was there a fight between troops on June 16-17? Why did India lose 20 lives?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) June 20, 2020
चिदंबरम के ट्वीट के करीब आधे घंटे बात राहुल गांधी का ट्वीट आया और उसमें दो सवाल पूछे गये - एक, हमारे सैनिक क्यों शहीद हुए? दो, वे कहां शहीद हुए?
PM has surrendered Indian territory to Chinese aggression.
If the land was Chinese:1. Why were our soldiers killed?2. Where were they killed? pic.twitter.com/vZFVqtu3fD
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 20, 2020
राहुल गांधी के सवालों को काउंटर करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद ट्विटर पर आये और सलाह दी कि देश हित में कांग्रेस नेता ओछी राजनीति से बाज आयें. अमित शाह ने ANI की तरफ से जारी एक वीडियो भी शेयर किया जिसमें एक सैनिक के पिता का संदेश है.
A brave armyman’s father speaks and he has a very clear message for Mr. Rahul Gandhi.
At a time when the entire nation is united, Mr. Rahul Gandhi should also rise above petty politics and stand in solidarity with national interest. https://t.co/BwT4O0JOvl
— Amit Shah (@AmitShah) June 20, 2020
जब अमित शाह के ट्वीट के बाद भी लगा कि मामला थम नहीं रहा है तो प्रधानमंत्री कार्यालय को आगे आना पड़ा - और PMO की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर सफाई पेश की गयी.
मोदी के बयान पर PMO की सफाई
प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि गलवान घाटी की घटना पर सर्वदलीय बैठक में दिये गये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को कुछ हलकों में तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है. बयान में लिखा है, प्रधानमंत्री मोदी ने साफ तौर पर कहा है कि भारत-चीन लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल में किसी भी तरह के बदलाव करने की एकतरफा कोशिश का भारत कड़ा विरोध करता है.
Government of India statement on yesterday’s All-Party meeting. pic.twitter.com/VeRHRptPdR
— ANI (@ANI) June 20, 2020
1. निर्माण कार्य की कोशिश हुई: PMO के बयान में कहा गया है कि 15 जून को गलवान घाटी में हिंसा इसलिए हुई क्योंकि चीन के सैनिक LAC के पास कुछ निर्माण कार्य कर रहे थे और वे रोकने से इनकार कर दिये थे. 15 जून को गलवान में हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिकों शहीद हो गये. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सैनिकों की बहादुरी और राष्ट्रभक्ति को सैल्यूट करते हैं जिन्होंने सीमा पर चीनी की फौज के निर्माण कार्य का डट कर विरोध किया.
2. कोई घुसपैठ नहीं के मायने: PMO का बयान कहा है कि जब प्रधानमंत्री ने कहा है कि LAC के इस तरफ यानी भारतीय सीमा में कोई चीनी सैनिक नहीं है, तो कहने का तात्पर्य है कि उस स्थिति में हमारे सैनिकों की बहादुरी के कारण ये मुमकिन हुआ है. 16 बिहार रेजिमेंट के जवानों ने उस दिन चीनी फौज के निर्माण कार्य करने और एलएसी के उल्लंघन की कोशिश को नाकाम किया है.
3. कब्जा वही जो सभी जानते हैं: PMO कहाना है कि सर्वदलीय बैठक में ये भी बताया गया कि बीते 60 साल में परिस्थितियों के अनुरूप 43 हजार वर्ग किलोमीटर का इलाका भारत के हाथ से फिसला है - और पूरा देश इससे अच्छी तरह से वाकिफ है.
प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान में कहा गया है कि जब देश के बहादुर जवान सीमाओं की रक्षा में मोर्चे पर डटे हुए हैं, ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस मुद्दे पर बेवजह विवाद पैदा किया जा रहा है जो जवानों का मनोबल गिराने वाला है.
सवाल ये है कि प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर सफाई देने के लिए पीएमओ को आगे आने की जरूरत क्यों आ पड़ी?
चुनावी रैलियों की बातें भले ही जुमला करार दी जायें, लेकिन उनके अलावा प्रधानमंत्री की बात भारत सरकार का बयान होती है. ये ठीक है कि प्रधानमंत्री ने भारत-चीन विवाद पर जो बयान दिया वो जगह संसद नहीं रही, लेकिन सर्व दलीय बैठक भी देश की जनता का प्रतिनिधित्व करते राजनीतिक दलों का बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म होता है. ऐसे में प्रधानमंत्री कार्यालय को प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर सफाई देने की जरूरत नहीं लगती है.
प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर प्रधानमंत्री कार्यालय की सफाई भारत सरकार के बयान की अहमियत को कम करने वाला है. अब क्या गारंटी है कि प्रधानमंत्री कार्यालय की सफाई आ जाने के बाद जो सवाल उठाये जा रहे थे वे खत्म हो जाएंगे. वैसे भी प्रधानमंत्री कार्यालय ने सवालों का जवाब तो दिया नहीं है, सिर्फ बयान पर सफाई दी है.
होना तो ये चाहिये था कि जैसे अमित शाह आगे आकर राहुल गांधी को काउंटर कर रहे थे, उसे ही आगे बढ़ाना चाहिये था. अगर अमित शाह उठते सवालों को काउंटर करने में कमजोर पड़ रहे थे तो बीजेपी के साथियों को भी मोर्चे पर बुला लेना चाहिये था - मोदी के बयान पर सवाल राजनीतिक तौर पर उठाये जा रहे थे, लिहाजा उसका काउंटर भी राजनीतिक तरीके से होना चाहिये था.
अमित शाह ने इसकी शुरुआत की थी, लेकिन फिर बीजेपी के और नेताओं को सामने आकर राजनीतिक तरीके से ही इसे न्यूट्रलाइज करना चाहिये था - क्योंकि ये काम PMO के वश का तो बिलकुल नहीं है!
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