Modi-All Party Meeting: शरद पवार की सोनिया के बहाने राहुल गांधी को नसीहत
शरद पवार (Sharad Pawar) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की बुलायी ऑल पार्टी मीटिंग में राहुल गांधी के बहाने सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को नसीहत देने की कोशिश की है - सवाल ये है कि किसी सार्वजनिक मंच पर शरद पवार के ऐसा करने की वजह क्या हो सकती है?
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की तरफ से बुलायी गयी ऑल पार्टी मीटिंग में सभी राजनीतिक दलों ने चीन के खिलाफ सरकार और सेना के साथ मजबूती के साथ डटे रहने का भरोसा दिलाया है. हालांकि, आम आदमी पार्टी, आरजेडी और असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं ने सर्व दलीय बैठक से खुद को दूर रखे जाने पर नाराजगी भी जतायी है. ये सवाल तो बनता है कि मामला जब देश का हो तो राजनातिक दलों के साथ मीटिंग में भेदभाव वाला कोई आधार तय क्यों किया गया - और अगर ऐसा हुआ तो सभी के साथ बराबर व्यवहार क्यों नहीं हुआ?
सर्व दलीय बैठक में उद्धव ठाकरे, ममता बनर्जी, के. चंद्रशेखर राव जैसे नेताओं के साथ साथ सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने भी प्रधानमंत्री मोदी की सरकार और सेना के साथ खड़े रहने की बात की, लेकिन कांग्रेस नेता ने सवाल भी खूब पूछे. सवाल क्या पूछे ऐसा लगा जैसे सवालों की बौछार कर रही हों - लेकिन सबसे दिलचस्प रहा शरद पवार (Sharad Pawar) की सोनिया गांधी को दी गयी नसीहत.
सोनिया के मोदी सरकार से सवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक बुलाने में अपनी तरफ से तो तेजी ही दिखायी थी, लेकिन सोनिया गांधी मानती है कि ऑल पार्टी मीटिंग देर से बुलायी गयी. सोनिया गांधी ने कहा कि जब 5 मई को लद्दाख समेत कई जगह चीनी घुसपैठ की जानकारी सामने आई, तो उसके तुरंत बाद ही सरकार को सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए थी.
सोनिया गांधी को लगता है कि अब भी इस विवाद के कई अहम पहलुओं को लेकर अंधेरे में हैं. सोनिया गांधी ने सरकार से सवाल किया कि आखिर किस दिन लद्दाख में चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की? सरकार को कब चीनी घुसपैठ का पता चला? क्या सरकार को 5 मई को चीनी घुसपैठ की जानकारी हुई या और पहले?
सोनिया गांधी को शरद पवार की नसीहत का क्या मकसद हो सकता है?
सोनिया गांधी ने सर्व दलीय बैठक में अपने सवालों के जरिये तरह तरह से मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की. सोनिया गांधी ने एक एक डिटेल का जिक्र कर जानना चाहा कि आखिर ये सब कैसे हुआ और क्यों हुआ?
1. क्या सेना की इंटेलिजेंस ने सरकार को LAC पर चीनी कब्जे और भारतीय क्षेत्र में चीनी सेना की मौजूदगी के बारे में अलर्ट नहीं किया?
2. क्या हमारी खुफिया एजेंसियों ने LAC के आसपास असामान्य गतिविधियों की जानकारी नहीं दी?
3. क्या हमारी खुफिया एजेंसियों ने LAC पर चीनी घुसपैठ की जानकारी नहीं दी?
4. क्या सरकार को नियमित रूप से अपने देश की सीमाओं की सैटेलाइट तस्वीरें नहीं मिलती हैं?
5. क्या सरकार इसे खुफिया तंत्र की विफलता मानती है?
सवालों की बारिश के साथ ही सोनिया गांधी ने मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने की भी कोशिश की. सोनिया गांधी की बातों से लगता है कि कांग्रेस मानती है कि 5 मई से लेकर 6 जून के बीच का बेशकीमती समय सरकार ने गंवा दिया, जब दोनों देशों के कोर कमांडरों की बैठक हुई.
एक सवाल ये भी रहा कि 6 जून की इस बैठक के बाद भी चीन से राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर सीधे बात क्यों नहीं की गई?
एक तरीके से कांग्रेस का ये सीधा आरोप है कि सरकार हर मौके का फायदा उठाने में नाकाम रही - और नतीजा ये हुआ कि हमारे 20 बहादुर जवानों की दर्दनाक शहादत हो गई और कई घायल भी हो गये.
शरद पवार की नसीहत किसके लिए?
प्रधानमंत्री मोदी की सर्व दलीय बैठक में चीन के मुद्दे पर समर्थन तो हर राजनीतिक दल के नेता ने जताया लेकिन सोनिया गांधी और शरद पवार अलग अलग छोर पर नजर आये. एनसीपी नेता शरद पवार ने सरहद पर सैनिकों को निहत्थे भेजे जाने के सवाल पर नसीहत भी देते नजर आये.
शरद पवार ने कांग्रेस नेतृत्व को संवेदनशील मुद्दों का ध्यान रखने की नसीहत दी. दरअसल, शरद पवार राहुल गांधी के उस सवाल की ओर ध्यान दिलाने की कोशिश की जो राहुल गांधी ने मोदी सरकार से पूछा था.
राहुल गांधी ने सरकार से पूछा था कि लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सेना से मुकाबले के लिए भारतीय सैनिकों को बगैर हथियार के क्यों भेजा गया? राहुल गांधी के इस सवाल का जवाब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत और चीन के बीच 1996 और 2005 में हुए समझौतों का आधार समझाने की कोशिश की थी. विदेश मंत्री ये भी साफ किया कि सैनिकों के पास हथियार थे लेकिन अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के चलते इस्तेमाल की मनाही रही.
शरद पवार, असल में, राहुल गांधी के बयान का ही जिक्र कर रहे थे - और बोले, 'चीन सीमा पर सैनिक हथियार लेकर गये या नहीं, ये अंतरराष्ट्रीय समझौतों के आधार पर तय होता है - हम सभी को संवेदनशील मुद्दों का ध्यान रखना चाहिये.'
सवाल ये है कि शरद पवार सिर्फ राहुल गांधी को नसीहत देने की कोशिश कर रहे थे या फिर ये नसीहत सोनिया गांधी के लिए भी थी?
अब सोचने और समझने वाली बात ये है कि आखिर शरद पवार को सर्वदलीय बैठक में खास तौर पर राहुल गांधी के बयान का जिक्र करने की जरूरत क्या थी? ऐसी बातों का मकसद सिवा किसी को टारगेट करने के और कुछ तो हो नहीं सकता?
महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव कांग्रेस और एनसीपी साथ मिल कर लड़े थे - और बात आगे बढ़ी तो सरकार बनाने के लिए गठबंधन भी बनाया. फिलहाल महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार में शिवसेना के साथ कांग्रेस और एनसीपी दोनो साझीदार हैं.
कुछ दिन पहले कोरोना वायरस को लेकर राहुल गांधी की एक प्रेस कांफ्रेंस में महाराष्ट्र में बढ़ते मामलों को लेकर सवाल पूछा गया था और राहुल गांधी का कहना रहा कि सरकार के फैसलों में कांग्रेस का कोई दखल नहीं होता. बाद में जब बवाल बढ़ा तो आदित्य ठाकरे को फोन कर राहुल गांधी ने सफाई भी दे डाली. बाद में महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ नेताओं ने ही ऐसी ही बात कही थी.
तो क्या शरद पवार को सर्व दलीय बैठक में कांग्रेस नेतृत्व को नसीहत देने के पीछे महाराष्ट्र में चल रही कोई खटपट भी हो सकती है - क्या शरद पवार ये मुद्दा उठाकर बीजेपी के साथ किसी तरह की नजदीकियों की तरफ इशारा कर रहे हैं?
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