PMC Bank के 80% ग्राहकों का पैसा ही इंश्योर्ड, बाकी 20% भगवान भरोसे!
अमित शाह ने ये कहकर कि पीएमसी के 80% ग्राहकों को उनका पैसा मिल जाएगा सेफ साइड ले ली है. मगर सवाल उन 20% का है जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई को बैंक में डाला और आज उसे ही निकालने के लिए तमाम तरह के पापड़ बेल रहे हैं.
-
Total Shares
पीएमसी बैंक घोटाला सुर्ख़ियों में है. जमाकर्ता परेशान हैं और अपने साथ हुई इस अनियमितता के खिलाफ जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं. मामला प्रकाश में आने के बाद देश की सरकार विपक्ष की तीखी आलोचना का शिकार हो रही है. बात क्योंकि देश के आम आदमी की है. इसलिए सरकार से सीधे सवाल हो रहे हैं. जवाब खुद देश के गृहमंत्री अमित शाह ने दिया है. आजतक/ इंडिया टुडे के साथ हुई एक्सक्लूसिव बातचीत में मामले को लेकर अमित शाह ने अपनी चुप्पी तोड़ी है और सरकार क्या कर रही है इसपर अपना पक्ष रखा है. पीएमसी मामले को लेकर शाह ने कहा है कि PMC बैंक में जो कुछ हुआ उसकी जांच चल रही है, और ग्राहकों को पूरा पैसा वापस किया जाएगा. इंटरव्यू के दौरान शाह ने ये भी कहा है कि PMC बैंक में 80 फीसदी तक एक लाख रुपये तक के डिपॉजिटर हैं. जिनके पैसे डिपॉजिटर इंश्योरेंस स्कीम एक्ट के तहत वापस किए जाएंगे.
श के गृहमंत्री का मानना है कि पीएमसी के अंतर्गत जो भी दुश्वारियां हो रही हैं जल्द ही उनका निवारण किया जाएगा
अमित शाह ने जो बातें कहीं हैं उनको सुनकर साफ़ हो गया है कि सरकार ने उन लोगों के सामने हाथ खड़े कर दिए हैं जिनका शुमार उन 20% में है और जिनके एक लाख से ऊपर रुपए PMC में जमा हैं.
क्या है Deposit insurance scheme
डिपॉज़िट इंश्योरेंस कई देशों में बैंक डिपॉजिटर्स की सुरक्षा के लिए लागू किया गया एक उपाय है, जब किसी कारण से बैंक अपने ऋण का भुगतान करने में अक्षमता जाहिर करता है तब नुकसान की भरपाई के लिए बैंक को पूर्ण या आंशिक रूप से ऋण का भुगतान किया जाता है जो वो अपने ग्राहकों को देता है. आपको बताते चलें कि डिपॉज़िट इंश्योरेंस सिस्टम, वित्तीय प्रणाली का एक सुरक्षा घटक है जो वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देता है.
क्या है पीएमसी बैंक का मामला?
पीएमसी बैंक की 137 शाखाएं हैं और यह देश के टॉप-10 को-ऑपरेटिव बैंकों में से एक है. आरोप के मुताबिक पीएमसी बैंक के मैनेजमेंट ने अपने नॉन परफॉर्मिंग एसेट और लोन वितरण के बारे में आरबीआई को गलत जानकारी दी है. जिसके बाद आरबीआई ने बैंक पर कई तरह की पाबंदी लगा दी. इन पाबंदियों के तहत लोग बैंक में अपनी जमा राशि सीमित दायरे में ही निकाल सकते हैं.
बैंक से पैसा न निकाल पाने के कारण मुंबई के संजय गुलाटी नाम के व्यक्ति की मौत हो गई है
पीएमसी के कारण चली गई एक जान
पीएमसी का ये तुगलकी रवैया कैसे लोगों के जी का जंजाल बन गया है? मामले को लेकर लोगों के बीच परेशानी का आलम कितना है? इन तमाम सवालों के जवाब हम मुंबई के ओशिवारा निवासी संजय गुलाटी की मौत से समझ सकते हैं. संजय गुलाटी पीएमसी के अकाउंट होल्डर थे. बताया जा रहा है कि गुलाटी पीएमसी बैंक के खिलाफ किये जा रहे प्रदर्शन से घर लौटे थे और घर आते ही उन्हें हार्ट अटैक आया जिसके बाद उनकी मौत हो गई.
संजय के गुलाटी के बारे में जो जानकारी मिली है उसके अनुसार अभी कुछ दिनों पहले तक जेट एयरवेज में बतौर इंजीनियर कार्यरत गुलाटी फिलहाल बेरोजगार थे.
गुलाटी की मौत के लिए परिवार ने बैंक को जिम्मेदार ठहराया है. परिवार का कहना है कि संजय गुलाटी के पास पीएमसी बैंक में चार खाते हैं, जिसमें 90 लाख रुपये जमा है. उनका बेटा स्पेशल चाइल्ड है. इस कारण संजय को नियमित रूप से पैसे की जरूरत रहती थी. वह पिछले कई दिनों से परेशान थे, क्योंकि बैंक से पैसा नहीं निकाल पा रहे थे और उन्होंने अपनी ये परेशानी अपने घर वालों से भी साझा की थी.
20 % लोग गुनाहगार क्यों
पीएमसी बैंक में जिस तरह आरबीआई ने रुपए निकालने की लिमिट तय की है. साथ ही जैसे सरकार इस दिशा में कुछ करने में असमर्थ है. साफ़ हो जाता है कि सरकार चाहती नहीं कि देश का आम आदमी एक लाख रुपए से ज्यादा की बचत करे. कहा ये भी जा सकता है कि जैसा माहौल इस वक़्त देश में तैयार हुआ है सरकार चाहती ही नहीं कि देश का आम आदमी एक लाख रुपए से ऊपर की सेविंग करे.
बात बिलकुल साफ़ है महंगाई के इस दौर में किसी भी आम नागरिक के लिए पाई-पाई जोड़ना और सेविंग के नाम पर उसे बैंक में डालना आसान नहीं है. सवाल ये है कि आखिर संजय गुलाटी जैसे वो 20% लोग जिन्होंने सेविंग की और उसे पीएमसी में डाला उनका दोष क्या था? ऐसा बिलकुल भी नहीं था कि ये लोग इन पैसों से मनी लॉन्ड्रिंग या हवाला जैसा कुछ कर रहे हैं. ये उनकी मेहनत की कमाई है जिसे निकालने का पूरा अधिकार इन लोगों के पास है.
सहकारी बैंकों की हालत नारदा शारदा और आम्रपाली जैसी
जैसी अनियमितता फिलहाल पीएमसी में देखने को मिली है. उसके बाद खुद ब खुद साफ़ हो जाता है कि यदि देश के अन्य सहकारी बैंकों की छानबीन की जाए तो आधों की यही स्थिति होगी. कह सकते हैं कि जिस तरह RBI की नाक के नीचे पनपी नॉन बैंकिंग कंपनियों ने निवेश के नाम पर देश की भोली भली जनता को मूर्ख बनाया कुछ ऐसा ही हाल इन बैंकों का भी है. ये भी जनता के साथ ठीक वैसा ही सुलूक कर रहे हैं जो नारदा शारदा और आम्रपाली जैसी कम्पनियां देश की जनता के साथ पहले ही कर चुकी हैं.
बहरहाल, भले ही अमित शाह ने ये कहकर कि पीएमसी के 80% ग्राहकों को उनका पैसा मिल जाएगा सेफ साइड ले ली हो मगर सवाल उन 20% का है जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई को बैंक में डाला और आज उसे ही निकालने के लिए तमाम तरह के पापड़ बेल रहे हैं. केंद्र सरकार को याद रखना चाहिए कि महाराष्ट्र में चुनाव हैं और अब जबकि विपक्ष पीएमसी घोटाले को एक बड़ा मुद्दा बना चुका है तो कहीं न कहीं ये 20% लोग सरकार को अवश्य ही बड़ी मुसीबत में डालेंगे.
ये भी पढ़ें -
PMC जैसे घोटालों का असल गुनहगार कौन, बैंक या RBI ?
बैंक में जमा है पैसा, मगर बैंक डूब जाए तो फिर उस पैसे का क्या ?
सरकार सारे बैंकों का निजीकरण कैसे कर सकती है
आपकी राय