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Updated: 23 अक्टूबर, 2017 01:50 PM
रमेश ठाकुर
रमेश ठाकुर
  @ramesh.thakur.7399
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तपती भट्टी में हाथ घूसेड़कर अखाड़े ने तमाम धूर्त, इच्छाधारी, पाखंड़ी, ढ़ोंगी, स्वयंभू संतों को एक्सपोज कर दिया. अखाड़े ने किसी की परवाह किए बिना इन्हे नंगा कर दिया. हिंदुओं की बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने पूरे हिंदुस्तान के फर्जी बाबाओं यानी इच्छाधारी संतों की एक लिस्ट जारी की. चैकाने वाली बात यह है इन सभी बाबाओं के मजबूत राजनैतिक कनेक्शन रहे हैं. राजनेताओं के आशीवार्द से ही इनका किला खड़ा हुआ था.

निश्चित तौर पर इस कदम को बड़ी हिम्मत के साथ-साथ स्वागत योग्य फैसला कहा जाएगा. लेकिन यह लिस्ट जारी करते-करते अखाड़े ने बुहत देर कर दी. फर्जी संतों ने इससे पहले ही कईयों की जिंदगी नर्क कर दिया, कईयों के घर उजाड़ दिए. सबसे ज्यादा नुकसान उन लोगों का हुआ है जो धार्मिक आस्थाओं के प्रति अटूट विश्वास रखते थे. क्योंकि भारत की पहचान सदा से ही साधु-संतों से जुड़ी रही है. लेकिन पिछले एक-दो दशक से कुछ फर्जी बाबाओं ने अपनी काम वासनाओं के चलते सबकुछ खंडित कर दिया है.

भारतीय हिंदू संतों की प्रमुख संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् ने कुल चैदह ढ़ोंगी संतों की एक सूचि मीडिया में जारी की है. सूचि में जेल की हवा खा रहे बाबा रामपाल, गुरमीत राम रहीम, आसाराम, नारायण साईं व असीमानंद के अलावा निर्मल बाबा, राधे मां व अन्य ऐसे इच्छाधारी बाबा शामिल हैं, जो पिछले कुछ सालों में अपनी करनी के चलते विवादों में रहे हैं.

राम रहीम, नेता, निर्मल बाबा, राधे मांढ़ोंगियों की लिस्टगोल-गप्पा खिलाकर लोगों की हर समस्या का समाधान करने वाले निर्मल बाबा जैसे ढ़ोंगी भी इस लिस्ट में शामिल हैं. भक्त इन जैसे लोगों के झांसे में कैसे आ जाते हैं, इस पर भी अखाड़े की ओर से कई चैंकाने वाले तथ्य बताए गए है. उनका मानना है कि राधे मां और निर्मल बाबा जादू-टोटके से लोगों को अपनी ओर खींचते है. बाबाओं की कारस्तानियों ने सबको सकते में डाल रखा है.

महिलाओं की अस्मिता से खिलवाड़ करना इन बाबाओं की दिनचर्याओं में शामिल था. लाज-शर्म की वजह से कुछ महिलाएं इन ढ़ोंगियों के खिलाफ अपना मुंह नहीं खोलती थी. इसी बात का फायदा ये बाबा उठाते थे. खैर, इनके खिलाफ अब पूरा अखाड़ा परिषद मुखर हो गया है. रविवार को इलाहाबाद में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की कार्यकारिणी की बैठक हुई. बैठक में फर्जी बाबाओं की सूचि तैयार कर उसे सार्वजनिक कर दिया गया. साथ ही अखाड़े की ओर से इन बाबाओं का देशव्यापी बहिष्कार करने की अपील भी की गई. इन बाबाओं के अलावा इस लिस्ट में सचिदानंद गिरी उर्फ सचिन दत्ता, ओम बाबा उर्फ विवेकानंद झा, इच्छाधारी भीमानंद उर्फ शिवमूर्ति द्विवेदी, स्वामी असीमानंद, ऊं नमः शिवाय बाबा,  कुश मुनि, बृहस्पति गिरि, वृहस्पति गिरी और मलकान गिरि का भी नाम शामिल है.

फर्जी बाबाओं के नाम बताते हुए परिषद के अध्यक्ष महंत धर्मेन्द्र गिरि ने कहा कि इन बाबाओं की वजह से सनातन धर्म को बहुत नुकसान हुआ है. इन इच्छाधारी बाबाओं ने साधु-संतों की आस्थाओं व विश्वास पर सीधी चोट मारी है. इनकी इन हरकतों से सच्चे संत भी आहत हैं. इसे देखते हुए अखाड़े ने फैसला किया है कि जारी की गई सूची को केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारों, चारों पीठों के शंकराचार्य, 13 अखाड़ों के पीठाधीश्वरों को भेजेंगे और उनके बहिष्कार की मांग करेंगे. अखाड़ा परिषद कोशिश करेगा कि इन बाबाओं को कुंभ, अर्द्धकुंभ, और दूसरे धार्मिक समागमों में प्रवेश ना मिले. ऐसा करने से इन इच्छाधारी बाबाओं के हौसले पस्त होंगे. जो लोग अब भी कुछ इंसानों को अपना सबकुछ मानते हैं, उनके लिए यह एक संदेश हो सकता है कि धूर्त बाबाओं व धर्मगुरूओं की कथनी और करनी को अपने विवेक की कसौटी पर परखें. अखाड़े की ओर से इसकी पहल की जा चुकी है, आगे का रास्ता अब हम सबको मिलकर तय करना होगा. अखाड़ा परिषद का यह काम साहसी इसलिए भी है कि अपने जमात के संतों को वह खुद फर्जी बता रहे हैं. हालांकि लिस्ट जारी होने के बाद कुछ बाबा तिलमिला गए हैं. बिग बास फेम बाबा तो गाली-गलौच पर उतर आए हैं. उन्होंने खुलेआम कह दिया है कि जिन्होंने यह सूची बनाई है वह खुद फर्जी हैं.

हिंदुस्तान में भक्ति की मान्यता बहुत पुरानी है. लेकिन पीछले कुछ दशकों से भक्ति के आड़ में अंधभक्ति खूब फली-फूली है. इंसान जरा भी दुखी होता है तो सीधे ढ़ोंगी बाबाओं के शरण में चला जाता है. हमारी उसी कमजोरी का ये बाबा फायदा उठाते हैं. फर्जी बाबाओं की फौज खड़ी करने वाले कोई और नहीं बल्कि हम खुद हैं. इसके सिर्फ-और-सिर्फ हम आप ही जिम्मेदार हैं. यह ठीक है, श्रद्धा में बुद्धि नहीं चलती, तर्क नहीं चलता. लेकिन यह भी तो पूछा जाए कि साधु या बाबा अपनी शक्ति से सेब या कोई मिठाई कैसे ला सकता है? यह कोई योग नहीं है बल्कि जादू है, हाथ की सफाई है. हां, सिद्ध योगी या बाबा इस तरह के आचरण का दिखावा करते ही नहीं हैं.

खैर, अब ऐसे बाबाओ की पोल खुल चुकी है. आगे से हमें सर्तक रहने की जरूरत है. फर्जी बाबाओं की भीड़ में अच्छे संतों की संख्या कम नहीं है. लेकिन उन्हें हम पहचान इसलिए नहीं पाते, क्योंकि वह ज्यादा ढ़ोंग और दिखावा नहीं करते. फर्जी बाबाओं के कनेक्शन सभी सियासी पार्टियों से होते हैं, इनके सहयोग से ही से ही वे अपना साम्रराज्य स्थापित कर पाते हैं. राम रहीम को हरियाणा के नेताओं ने मालामाल कर रखा था. वह इसलिए क्योंकि इसके बदले उन्हें भक्तों से वोट मिलता था, अखाड़ा परिषद् ने ढ़ोंगियों से बचने की जो पहल की है उस पर गौर करने की जरूरत है.

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