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Updated: 21 अक्टूबर, 2022 06:07 PM
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चुनावी मौसम में बलात्कार की सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम (Rapist Gurmeet Ramrahim) के जेल से बाहर आने पर कम ही लोगों को आश्चर्य होता है. और ऐसा कई बार देखा गया है. अदालत में कई अपराधों के लिए दोषी पाये जाने से पहले गुरमीत राहरहीम के यहां नेताओं के दरबार लगती रही है - और चुनावी सीजन में तो जैसे कतार ही खत्म नहीं होती.

हरियाणा की आदमपुर विधानसभा सीट पर 3 नवंबर को उपचुनाव होने जा रहा है. ये चुनाव भी देश के छह राज्यों की सात सीटों पर होने वाले चुनावों के साथ ही हो रहा है. सभी के नतीजे भी साथ ही आएंगे - 6 नवंबर को.

उपचुनाव के नतीजे आने के बाद हरियाणा के नौ जिलों में 9 और 12 नवंबर को पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं - और आलम ये है कि पंचायत चुनाव के प्रत्याशियों के साथ बीजेपी नेता बलात्कार के सजायाफ्ता राम रहीम का 'आशीर्वाद' हासिल करने के लिए परेशान हैं.

गुरमीत राम रहीम को पंचकूला के स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 2017 में 20 साल जेल की सजा सुनायी थी. अदालत ने गुरमीत राम रहीम को सिरसा के डेरा सच्चा सौदा आश्रम में सेविकाओं के साथ बलात्कार का दोषी पाया था.

2019 में एक पत्रकार की हत्या के 16 साल बाद गुरमीत राम रहीम को हत्या का दोषी पाया गया और सजा हुई. 2021 में डेरा के मैनेजर रहे रंजीत सिंह की 2002 में हत्या की साजिश में भी गुरमीत राम रहीम को सजा हो चुकी है.

और ये विडंबना ही है कि बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराध का दोषी जेल से पैरोल पर रिहा होकर सत्संग (Online Satsang) कर रहा है - और आम लोगों की कौन कहे, जब केंद्र और हरियाणा में सत्ताधारी बीजेपी के नेता उस बलात्कारी का 'आशीर्वाद' लेने के लिए श्रद्धा भाव से हाथ जोड़े कृपा पाने के लिए लाइन लगा रखे हैं.

अभी 18 अक्टूबर को ही गुरमीत राम रहीम ने उत्तर प्रदेश के बागपत से एक 'वर्चुअल सत्संग' किया था. कथित सत्संग को लेकर ये जानना सबसे अजीब रहा कि हरियाणा बीजेपी के बड़े बड़े नेताओं (BJP Leaders) ने वहां हाजिरी लगाई. इस ऑनलाइन आयोजन में हरियाणा पंचायत चुनाव के उम्मीदवार भी शामिल हुए और बलात्कारी डेरावाले से 'आशीर्वाद' लिया.

आशीर्वाद शब्द पर यहां जोर देने की खास वजह है - क्योंकि रेपिस्ट गुरमीत राम रहीम के डेरा सच्चा सौदा में लंबे अरसे तक इसका मतलब कुख्यात रहा है. हालांकि, डेरा सच्चा सौदा के उन दिनों में जब गुरमीत राम रहीम का ऐसी आपराधिक कुकृत्यों में लिप्त रहा, एक अन्य शब्द इस्तेमाल होता रहा - 'माफी'.

आशीर्वाद और 'पिताजी की माफी' में बड़ा फर्क है

अगर आपने प्रकाश झा की आश्रम वेब सीरीज देखी होगी तो आसानी से समझ जाएंगे कि 'पिताजी' और 'आशीर्वाद' का असली मतलब क्या होता है?

दरअसल, ये डेरा सच्चा सौदा का एक खास कोड वर्ड है, लेकिन सिर्फ वेब सीरीज में. बेशक वेबसीरीज गुरमीत राम रहीम के डेरा सच्चा सौदा आश्रम की घटनाओं पर आधारित है, लेकिन उसे डिस्क्लेमर के साथ काल्पनिक बताया गया है. स्क्रीन पर सच को दिखाने का ये भी एक तरीका होता है और प्रकाश झा ऐसी ही चीजों के लिए जाने जाते रहे हैं. आश्रम वेब सीरीज में गुरमीत राम रहीम को किरदार फिल्म स्टार बॉबी देओल ने निभाया है.

आश्रम वेब सीरीज में जिस काम के लिए आशीर्वाद कोड वर्ड का इस्तेमाल किया गया है, डेरा सच्चा सौदा में उसी खास कोड वर्ड को 'माफी' कहा जाता था - और माफी ही उस अपराध को ढकने के लिए किया जाता रहा, जिसके बारे में डेरा सच्चा सौदा के बाहर कम ही लोगों को पता था.

असल में राम रहीम डेरा में रह रही लड़कियों को रात में अपने पास बुलाया करता था और इस काम के लिए भी उसने अपने खास लोगों को तैनात कर रखा था. जब लड़कियां लौटती थीं, तो पहले शिकार हो चुकी लड़कियां पूछतीं, 'पिताजी की माफी' मिल गयी? और पीड़ितों के पास फूट फूट कर रोने के अलावा कोई चारा नहीं था.

विडंबना ये भी रही कि अगर आश्रम की आपबीती लड़कियां अपने घरवालों को सुनाती थीं तो उनको ही बुरा बता दिया जाता रहा, ये बोल कर कि गुरमीत राम रहीम को तो लोग अवतार ही समझते रहे.

पीड़ितों में से ही कुछ लड़कियों ने हिम्मत दिखायी. जो कुछ आश्रम में हो रहा था उसे लेकर एक पत्र तैयार किया गया. तब जाकर कर मामले की जांच संभव हो पायी - और ये जांच भी एक गुमनाम खत से शुरू हो पायी थी.

मुश्किल ये है कि पीड़ितों के पत्र, जांच अधिकारियों के अनथक प्रयासों और लंबे चले ट्रायल में दोषी पाये जाने के बाद सजा पाने वाले एक बलात्कारी के असली चरित्र को लोग अब भी भूल जा रहे हैं - और वोट के लिए कुछ नेता अब भी आशीर्वाद पाने के लिए उसके आगे हाजिरी लगा रहे हैं.

आखिर इससे अजीब बात क्या होगी कि एक बीजेपी नेता जो करनाल की मेयर हैं वो भी गुरमीत राम रहीम का आशीर्वाद लेने वाली कतार में सबसे आगे नजर आती हैं. आखिर कोई महिला ऐसे ढोंगी के सामने ऐसा कैसे कर सकती है? कभी कभी समझना मुश्किल हो जाता है कि क्या राजनीति का एक चेहरा ये भी हो सकता है?

मीडिया रिपोर्ट से मालूम होता है कि करनाल की मेयर रेणु बाला गुप्ता ने गुरमीत राम रहीम को 'पिताजी' कहकर संबोधित किया. रेणु बाला गुप्ता के साथ गुरमीत राम रहीम के ऑनलाइन सत्संग में करनाल के बीजेपी जिला अध्यक्ष योगेंद्र राणा, डिप्टी मेयर नवीन कुमार और सीनियर डिप्टी मेयर राजेश कुमार भी शामिल हुए.

इस घटनाक्रम के बीच मेयर रेणु बाला गुप्ता के मुंह से गुरमीत राम रहीम को लेकर सुना गया है, "पिताजी आपका आशीर्वाद बना रहे... पहले भी आप करनाल आये थे... और स्वच्छता का संदेश जो आपने दिया था, उससे करनाल आगे बढ़ा है... और आगे भी आप आकर करनाल को आगे बढ़ायें - और सबको आशीर्वाद दें."

और उसी ऑनलाइन सत्संग में पहुंचे पंचायत चुनाव के उम्मीदवार से गुरमीत राम रहीम कहता है, 'पूरा-पूरा आशीर्वाद आपके साथ है.'

सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या बीजेपी नेता और मेयर को नहीं मालूम कि डेरा सच्चा सौदा में आशीर्वाद या 'माफी' का क्या मतलब होता है?

लगे हाथ ये भी बता दें कि जैसे वहां लड़कियों के लिए आशीर्वाद का प्रचलन रहा, पुरुषों के लिए 'शुद्धीकरण' की परंपरा रही. शुद्धीकरण का इस्तेमाल वेबसीरीज में हुआ है, जबकि हकीकत में इसे नसबंदी के तौर पर समझा जाता रहा, जो पुरुष सेवकों को नपुंसक बना कर डेरा में रखने की गुरमीत राम रहीम की बनायी हुई व्यवस्था रही.

यहां सवाल ये बिलकुल नहीं है कि गुरमीत राम रहीम को पैरोल क्यों मिला?

सवाल ये भी नहीं है कि किसी बलात्कारी को कितनी बार पैरोल मिलता है?

सवाल ये भी नहीं है कि अगर किसी सजायाफ्ता कैदी को जेल से छोड़ा जाता है तो उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जाती है भी या नहीं?

सवाल सिर्फ ये है कि बलात्कार जैसे अपराध के सजायाफ्ता कैदी को चुनावों के आस पास ही क्यों छोड़ा जाता है?

और सवाल ये है कि बलात्कार के दोषी को सत्संग करने की इजाजत क्यों दी जाती है?

और केंद्र और हरियाणा में सरकार चला रही बीजेपी के नेता कैसे शामिल हो जाते हैं? और पिताजी कह कर संबोधित करते हैं... और आशीर्वाद की अपेक्षा रखते हैं!

ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने राम रहीम के सत्संग को लेकर ट्विटर पर लिखा है, 'बीजेपी को चुनाव जीतने के लिए इस शख्स की जरूरत है... वो ऑनलाइन क्या बता रहा है? बलात्कार कैसे करें? हत्या कैसे करें?'

राम रहीम चुनावों के आसपास ही बाहर क्यों आता है?

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर का विधानसभा क्षेत्र भी करनाल ही है, जहां की मेयर रेणु बाला गुप्ता, गुरमीत राम रहीम से आशीर्वाद मांगने को लेकर विवादों में हैं - और मुख्यमंत्री से लेकर जेल मंत्री तक गुरमीत राम रहीम की चुनावों के आस पास हुई रिहाई को महज संयोग बता रहे हैं और किसी तरह के प्रयोग से इनकार कर रहे हैं.

मनोहरलाल खट्टर की नजर में गुरमीत राम रहीम को की पैरोल पर रिहाई जेल मैनुअल के कामकाज में रूटीन का हिस्सा है - और किसी भी सजायाफ्ता को मिलने वाला कानूनी अधिकार. हरियाणा के जेल मंत्री रंजीत सिंह भी बिलकुल यही बात समझा रहे हैं.

किसी भी कैदी को मिले अधिकारों पर किसी को भी आपत्ति क्यों होगी? नियमों के हिसाब से होने वाले काम को लेकर भी कोई सवाल क्यों करेगा - लेकिन जब किसी सजायाफ्ता को चुनावी तारीखों के इर्द गिर्द जेल से रिहाई मिलती हो - और ये बार बार होता हो तो सवाल तो स्वाभाविक तौर पर उठेंगे ही.

गुरमीत राम रहीम का हरियाणा के अलावा पंजाब और हिमाचल प्रदेश के कई इलाकों में अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है. गुरमीत राम रहीम इससे पहले फरवरी, 2022 में जेल से बाहर आया था - और आपको तो याद होगा ही तब पंजाब में विधानसभा के लिए चुनावी माहौल बना हुआ था.

सुनारिया जेल में सजा काट रहे राम रहीम पिछले पांच साल में छह बार जेल से बाहर आ चुका है - और 2022 में ऐसा तीन-तीन बार हुआ है.

1. जब पंजाब में चुनाव था: 20 फरवरी को पंजाब में विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाने थे - और राम रहीम 7 फरवरी से लेकर 27 फरवरी तक 21 दिनों के लिए जेल से बाहर रहा.

2. जब निकाय चुनाव होने थे: हरियाणा के 46 निकायों के लिए 19 जून को चुनाव था - और दो दिन पहले यानी 17 जून को गुरमीत राम रहीम को नियमों और कानूनी अधिकार के तहत 30 दिन के लिए जेल से रिहा किया गया था.

3. अभी तो चुनाव ही चुनाव है: अब जबकि 14 अक्टूबर को राम रहीम को 40 दिन के लिए जेल से छुट्टी मिली है, वो वर्चुअल सत्संग करने लगा है - ध्यान रहे गुरमीत राम रहीम के जेल से बाहर रहते ही आदमपुर उपचुनाव, पंचायत चुनाव और 12 नवंबर को हिमाचल प्रदेश में भी चुनाव होने जा रहे हैं.

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