गोरखपुर में योगी भी, राहुल भी - फिर क्यों न हो अस्पताल में बच्चों की मौत पर सियासत
पहले पहुंचे योगी आदित्यनाथ ने राहुल गांधी के साथ साथ अखिलेश यादव और मायावती को भी एक ही साथ लपेटे में ले लिया और गोरखपुर अस्पताल में हुई बच्चों की मौत के लिए पिछली सरकारों को जिम्मेदार बता डाला. साथ ही, आगाह भी किया - गोरखपुर को पिकनिक स्पॉट नहीं बनने देंगे.
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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ दोनों ही के कार्यक्रम गोरखपुर में थे, इसलिए उनके समर्थक पहले से ही माहौल बनाने लगे थे. पहले पहुंचे योगी ने राहुल के साथ साथ अखिलेश यादव और मायावती को भी एक ही साथ लपेटे में ले लिया और बच्चों की मौत के लिए पिछली सरकारों को जिम्मेदार बता डाला. साथ ही, योगी ने सख्त लहजे में कहा कि वो गोरखपुर को पिकनिक स्पॉट नहीं बनने देंगे.
जवाबी हमले के लिए मोर्चा संभाला राहुल के साथ दौरे पर गये गुलाम नबी आजाद ने, कहा - "योगी गोरखपुर से 5 बार सांसद रहे, लेकिन उन्होंने बीआरडी हॉस्पिटल के लिए कुछ नहीं किया."
बच्चों की मौत पर सियासत
कांग्रेस का एक डेलीगेशन राहुल गांधी से पहले भी गोरखपुर गया था, लेकिन वो सिर्फ अस्पताल से लौट आया था. नेताओं इस हरकत की आलोचना भी हुई थी कि वे अस्पताल पहुंचे टीवी कैमरे पर योगी सरकार पर हमला बोला और लौट गये. आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह भी वहां पहुंचे थे और सोशल मीडिया पर फोटो शेयर किया था. समाजवादी पार्टी और बीएसपी की ओर से भी टीमें भेजी गयी थीं. लेकिन किसी ने भी अस्पताल में मरे बच्चों के मां-बाप से मुलाकात नहीं की.
दर्द कई बार खामोश भी कर देता है...
बच्चों की मौत के बाद राज बब्बर ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ लखनऊ में योगी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया था. प्रदर्शन के दौरान राज बब्बर को पुलिस ने हिरासत में भी लिया था. राज बब्बर ने योगी सरकार को हत्यारी सरकार करार दिया था.
दस दिन बाद ही सही, लेकिन राहुल गांधी एयरपोर्ट से सीधे बाघागाड़ा गांव पहुंचे. राहुल गांधी के साथ यूपी कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद और प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर भी थे.
टीम राहुल से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर पहुंचे और जोर देकर कहा - गोरखपुर को पिकनिक स्पॉट नहीं बनने देंगे.
पिकनिक स्पॉट!
योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के अंधियारी बाग मोहल्ले से 'स्वच्छ उत्तर प्रदेश, स्वस्थ उत्तर प्रदेश अभियान' की शुरुआत की. योगी ने मोहल्ले के दलित बस्ती में झाडू भी लगाई. बीआरडी अस्पताल में बच्चों की मौत पर भी कुछ बोलना ही था, इसलिए सारा दोष अखिलेश और मायावती की सरकारों पर मढ़ दिया और राहुल गांधी को टारगेट किया.
योगी ने कहा, "मुझे लगता है कि स्वच्छता के महत्व को लखनऊ में बैठा कोई शहजादा, दिल्ली में बैठा कोई युवराज नहीं समझा पायेगा. वे यहां इसे पिकनिक स्पॉट बनाने के लिए आएंगे, हम इसकी इजाजत नहीं दे सकते."
बच्चों की मौत की जिम्मेदारी भी बता दी और राहुल पर तंज भी कस लिया था, बस स्वच्छता का जिक्र बाकी था. योगी ने कहा कि इंसेफेलाइटिस के खिलाफ आंदोलन खुद उन्होंने शुरू किया और जब इसकी बात आती है तो रोकथाम इलाज से बेहतर है और ये स्वच्छता से शुरू होता है.
डॉक्टरों की लापरवाही नहीं
यूपी सरकार द्वारा गठित जांच टीम ने मेडिकल कॉलेज के स्टॉक का ऑडिट कराने की सलाह दी है. 60 से ज्यादा बच्चों की मौत की जांच कर रही टीम ने अस्पताल के डॉक्टरों के बीच कोऑर्डिनेशन की कमी को घटना के लिए जिम्मेदार माना है.
इससे पहले आई गोरखपुर के डीएम की रिपोर्ट में ऑक्सीजन की कमी की बात सही साबित हुई थी, जबकि केंद्र सरकार की जांच टीम ने तकरीबन वही बातें की जो योगी आदित्यनाथ या फिर उनके मंत्री कहते रहे.
सिर्फ स्वच्छता जरूरी है...
इस बीच आईएमए की फैक्ट फाइंडिंग टीम की भी रिपोर्ट आ गयी है जिसमें प्रिंसिपल डॉ. राजीव मिश्रा और नोडल अफसर डॉ. कफील खान को क्लीन चिट दी गयी है. इन दोनों डॉक्टरों को सरकार ने उनके पद से हटा दिया है. इस टीम ने अस्पताल और वॉर्डों में सफाई व्यवस्था संतोषजनक नहीं पाया है और परिसर में कुत्ते और चूहे भी मिले हैं.
अगर आईएमए टीम की रिपोर्ट के हिसाब से देखें तो योगी आदित्यनाथ भले ही दलित बस्ती में झाडू लगाते नजर आयें लेकिन अस्पताल की सफाई व्यवस्था की ओर सरकार का कोई ध्यान नहीं है. इसके अलावा अस्पताल में मरीजों की मौत को लेकर भी चौंकाने वाले आंकड़े सामने आये हैं.
हर 10वें मरीज की मौत
आंकड़ों के मुताबिक, 2014 से 2016 तक बीआरडी अस्पताल में हर दिन औसतन 16-18 मरीजों की मौत की रिपोर्ट मिली है. मालूम होता है कि अस्पताल पहुंचने वाले हर 10वें मरीज की मौत हो जाती है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी बच्चों की मौत पर सरकार से जानकारी मांगी है. कोर्ट ने कहा, ''ये घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. इसमें सही तथ्य सामने आने चाहिए, जिससे इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों.''
कागजों में दर्ज दर्द सिर्फ बांचे जा सकते हैं...
बहस के दौरान याचिकाकर्ता के वकीलों ने इस बात पर हैरानी जतायी कि 'इतनी बड़ी घटना के बाद अब तक मृत बच्चों का पोस्टमॉर्टम नहीं कराया गया, ना ही कोई केस दर्ज हुआ.'
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने भी इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक जनहित याचिका दाखिल की है जिस पर सरकार से छह हफ्ते में जवाब देने को कहा गया है.
गोरखपुर की घटना पर नूतन ठाकुर कहती हैं, "राज्य सरकार के अब तक के कामों से ऐसा संदेश गया है कि वे कुछ छिपाना चाहते हैं और कुछ लोगों का बचाव किया जा रहा है."
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