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Updated: 05 सितम्बर, 2020 09:20 PM
मशाहिद अब्बास
मशाहिद अब्बास
 
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मोदी सरकार (Modi Government) की दूसरी पारी कड़े फैसले लेने में ज़रा सा भी संकोच नहीं कर रही है. वर्षों से लटके धारा 370 (Article 370), राम-मंदिर विवाद (Ram Mandir Dispute), तीन तलाक (Triple Talaq), नई शिक्षा नीति जैसे मुद्दों को बेहद आसानी के साथ खत्म करने वाली सरकार का अगला कदम क्या होगा इसपर अलग अलग राय है. कोरोना वायरस (Coronavirus) का संकट न पैदा होता तो शायद अब तक मोदी सरकार (Modi Government) एक और बड़ा धमाका कर देती. मोदी सरकार का अगला लक्ष्य जनसंख्या नियंत्रण (population Control) से जुड़ा हुआ हो सकता है. इसकी पहल भाजपा (BJP) के ही राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को चिठ्ठी लिखकर कर दी है. भारत में जनसंख्या विस्फोट एक गंभीर मुद्दा है जिसपर लगातार चर्चाएं होती रहती हैं लेकिन कोई भी सरकार इसपर कठोर निर्णय लेने से बचती ही आई है. अब मोदी सरकार से पूरी उम्मीद लगाई जा रही है कि वह जनसंख्या नियंत्रण बिल बहुत जल्द ले आएगी.

भारत दुनिया का पहला देश था जिसने 'परिवार नियोजन' कार्यक्रम को अपनाया था. वर्ष 1949 में परिवार नियोजन कार्यक्रम का गठन हुआ और वर्ष 1952 में पहले परिवार नियोजन कार्यक्रम की शुरूआत हो गई थी. इसके बावजूद दुनिया की सबसे बड़ी दूसरी आबादी भारत में निवास करती है. वह दिन दूर नहीं जब हम जनसंख्या के मामले में चीन से भी आगे निकलकर दुनिया की सर्वाधिक आबादी वाला देश बन जाएंगें.

आजादी के समय वर्ष 1947 में भारत की कुल आबादी लगभग साढ़े 34 करोड़ के आसपास थी. लेकिन 72 वर्ष के बाद अब लगभग 132 करोड़ के आसपास की आबादी है. यानी जनसंख्या विस्फोट बड़े स्तर पर हुआ है और इसकी अलग अलग वजहे हैं. वर्ष 2019 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले के प्राचीर दीवार से प्रधानमंत्री मोदी ने जनसंख्या विस्फोट का मुद्दा उठाया था और अपील भी की थी देशवासियों से कि परिवार को छोटा रखें.

Prime Minister, Narendra Modi, BJP, Population Rise, Populationआबादी भारत की एक बड़ी चुनौती है माना जा रहा है कि जल्द ही पीएम मोदी इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाने वाले हैं

छोटा परिवार रखना भी देशभक्ति है. तभी से माना जा रहा था कि मोदी सरकार के एजेंडें में जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा भी शामिल है. आज भारत में बेरोजगारी चरम पर है बीमारियां और भुखमरी भी चरम पर है इसकी एक वजह जनसंख्या भी है. आंकड़ों की बात करें तो रिपोर्टस बताती हैं कि 1 जनवरी 2020 को ही कुल 69 हज़ार बच्चों ने जन्म लिया. जबकि चीन के आंकड़े देखे जाएं तो इस दिन महज 46 हजार बच्चों का जन्म हुआ.

चीन और भारत में सबसे बड़ा अंतर तो ये है कि दोनों जनसंख्या के मामले में तो आसपास ही हैं लेकिन चीन के पास भारत से तीन गुनी ज़्यादा ज़मीन है और उसकी अर्थव्यवस्था भी भारत से 5 गुना ज्यादा बड़ी है.ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत ही बढ़ती आबादी से परेशान है बल्कि चीन भी इस संकट से जूझ रहा था लेकिन सही समय पर चीन ने फैसला लेते हुए 1 बच्चों वाली नीति पर चलने का फैसला ले लिया था हालांकि इसमें सुधार करते हुए वर्ष 2016 से चीन ने दो बच्चों का कानून बना दिया था.

इस फैसले से चीन को काफी मदद मिली और अब वह जनसंख्या को कंट्रोल करने में कुछ हद तक कामयाब भी हो गया है. चीन के अलावा वियतनाम, हांगकांग, ईरान जैसे देशों ने भी आबादी पर नियंत्रण पाने के लिए अपने कानून में बदलाव किया था लेकिन भारत ऐसा ठोस कदम कभी नहीं उठा सका. इंदिरा गांधी ने हिम्मत दिखाते हुए नसबंदी का साहस जुटाया था चारों ओर से ऐसा घिर गईं की उनका ये अभियान इमेरजेंसी के साथ डूब गया.

जनसंख्या विस्फोट पर लगाम लगाना बेहद ज़रूरी है तभी हर एक नागरिक को सुरक्षा मुहैया कराया जा सकता है. अपराध पर अंकुश लगाया जा सकता है. संस्कृति को धूमिल होने से बचाया जा सकता है. मोदी सरकार इस दिशा में काम करने का पूरा मूड बना चुकी है लेकिन इसमें समाज को भी जागरूक होना होगा. मोदी सरकार इस गंभीर मुद्दे पर अगर कोई फैसला लेती है तो समाज के सभी तबके और वर्गों को सरकार का साथ बिना किसी संकोच के देना होगा ये सभी के हित का मुद्दा है.

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मशाहिद अब्बास मशाहिद अब्बास

लेखक पत्रकार हैं, और सामयिक विषयों पर टिप्पणी करते हैं.

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