इजराइली विमान अबू धाबी में उतरा, मानो चंद्रमा पर इंसान ने कदम रखा!
इजराइल और यूएई (Israel-UAE peace deal) की ताज़ी ताज़ी दोस्ती हुई है और Tel Aviv से Abu Dhabi तक फ्लाइट (Flight) की शुरुआत हुई है लेकिन फिलिस्तीन (Palestine) को लेकर जैसा रुख आम मुसलमानों (Muslims) का है ये चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उतारने जैसा ही ऐतिहासिक है.
-
Total Shares
अंग्रेजी में कहावत है 'Everything is fair in Love and War दौर बदला. जरूरतें बदलीं. अब इसमें अगर Bussiness जोड़ दिया जाए तो व्यक्तिगत रूप से मुझे इसमें कोई बुराई नहीं दिखती. यूं भी आदमी कबतक पुरानी गलतियों या मिस अंडर-स्टैंडिंग का भार उठाए. जमाने के साथ चलना है तो 'इग्नोर' करना बहुत ज़रूरी है. अब संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) (UAE) को ही देख लीजिए. यूं तो यूएई मुस्लिम मुल्क (islamic Country) है जिसके अपने कानून हैं, शर्तें हैं मगर जब बात ख़ुद के फायदे की आती है तो यूएई ज्यादा इधर उधर नहीं करता और कानून को मॉडिफाई करके 'बीच का रास्ता' निकाल लेता है. सवाल होगा कैसे? तो जवाब है एक फ्लाइट EI AI LY 971. बता दें कि इजराइल (Israel) की एल आल एयरलाइंस का विमान पहली बार अबू धाबी (Abu Dhabi) पहुंचा. अभी बीते दिनों ही अमेरिका (America) की दखलंदाजी के बाद दोनों ही देशों में एक शांति समझौता हुआ है. माना जा रहा है कि तेल अवीव (Tel Aviv) से अबू धाबी तक जहाज का आना दोनों ही देशों के मद्देनजर एक एक बड़ा कदम है. ध्यान रहे कि इजराइल और यूएई की इस नई नई दोस्ती का जिक्र अमेरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने 13 अगस्त 2020 के अपने एक ट्वीट में किया था.
इजराइल से आबू धाबी पहुंची फ्लाइट से मुसलमान आहत हैं
जिक्र फ्लाइट का हुआ है तो बताते चलें कि तेल अवीव से अबू धाबी पहुंचने में जहाज को 3 घंटे का समय लगा है. तेल अवीव से जो विमान आबू धाबी पहुंचा है उसमें इजराइल और अमेरिकी अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल था जिसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दामाद और व्हाइट हाउस के सलाहकार जेरेड कुश्नर थे. दिलचस्प बात ये भी है कि उड़ान को सऊदी अरब के हवाई क्षेत्र से गुजरने की अनुमति दी गई थी. वरना इजरायल के विमानों का यहां के हवाई क्षेत्र से गुजरने पर प्रतिबंध है.
जो प्लेन आबू धाबी पहुंचा है उसके कॉकपिट पर ‘शांति’ शब्द को अंकित किया गया है और ये तीन भाषाओं अरबी, अंग्रेजी और हिब्रू में पेंट हुआ है. इजराइल और अमीरात के बीच रिश्ते सामान्य या ये कहें कि मधुर रहें इसके लिए बीते 13 अगस्त को दोनों ही देशों के बीच कुछ समझौते भी हुए थे. इन समझौतों के बाद यूएई पहला खाड़ी देश और मिस्र और जॉर्डन के बाद इजराइल से समझौता करने वाला तीसरा अरब देश बन गया.
#LIVE: US and Israel teams get ready to board from #TelAviv to #AbuDhabi on a historic flight. #LY971 ????????????????@alain_4u #UAEIsrael https://t.co/r3pi3yLnVI
— حسن سجواني ???????? Hassan Sajwani (@HSajwanization) August 31, 2020
वो देश जो अबतक दुश्मन था जिसे यूएई टेढ़े मुंह देखता था नई दोस्ती के तहत वहां से चलकर फ्लाइट आबू धाबी आई है जिसे लेकर यूएई की हुक़ूक़त भी खासी उत्साहित है. इस बात को हम हसन सज्वानी के ट्वीट से भी समझ सकते हैं. हसन ने इस दोस्ती को अविश्वसनीय बताया है.
Unbelievable ! ???????????????? pic.twitter.com/LX6r07qLqT
— حسن سجواني ???????? Hassan Sajwani (@HSajwanization) August 30, 2020
हसन के इस ट्वीट पर एक से एक दिलचस्प प्रतिक्रियाएं हैं और जैसा लोगों का रिएक्शन है साफ हो जाता है कि Tel Aviv-Abu Dhabi flight चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उतारने जैसी ऐतिहासिक है.
अब @YasserAbelhadi नाम के यूजर को ही देख लीजिये जैसा उनका व्यंग्य है साफ़ है कि वो अपनी सरकार के इस फैसले पर बिल्कुल खुश नहीं हैं.
Why is it a big deal ? It is just a flight. Oh wait i see it's a flight between the capital of an apartheid authority and the UAE i understand now why it's unbelievable
— Yasser Abdelhadi (@YasserAbelhadi) August 30, 2020
अब बात क्योंकि दो देशों और उसके कूटनीतिक रिश्तों की थी तो आरोप प्रत्यारोप भी लगने थे. यूं भी जब कोई चीज ट्विटर पर आती है तो एक हल्की चूक भी बड़े बवाल की वजह बन जाती है.
Define apartheid.Because as far as I know,if the arab citizens of Israel enjoy all the rights the jewish ones have,and they are about 15% of the parliament members,I wouldn't call it an apartheid. Not to mention that the jews are the majority so it doesn't fit to the term anyway.
— נחמן (@nachmankan) August 31, 2020
सोशल मीडिया पर ऐसे भी तमाम यूजर्स हैं जिनका कहना है कि भले ही देर से ही लिया गया वो मगर यूएई ने ये जरूरी फैसला लेकर एक बिलकुल सही काम किया है.
All civilized countries in the region joining into an alliance against the forces of darkness, against the forces of the Mongoloids who think they have a say into the East Med
— Dimitris T (@dimitrish81) August 31, 2020
लोग इजराइल और यूएई की इस दोस्ती से खफा है और जैसे ट्वीट्स, ट्विटर पर आ रहे हैं फिलिस्तीन पर आंसू बहाने वाले आम मुसलमान को लगता है कि इस अहम मसले पर यूएई ने जो रास्ता चुना है वो गलत है.
Exactly, it’s unbelievable. pic.twitter.com/37b7FQEBdT
— Emad A Marei ????????✌???? (@emad_marei) August 31, 2020
बात फिलिस्तीन की चली है तो बताना जरूरी है कि नाराज मुसलमानों का भी ध्यान यूएई की तरफ से रखा गया है. हुकूमत ने एक वीडियो मैसेज जारी करते हुए अपना पक्ष रखने की कोशिश की है.
A beautiful message by HH Sheikh Mohamed bin Zayed for our brothers and sisters from the #Palestinian community living in the UAE, message delivered by HH Sheikh Abdullah bin Zayed, UAE FM. via @3litamim pic.twitter.com/O31vdvSUBw
— حسن سجواني ???????? Hassan Sajwani (@HSajwanization) August 31, 2020
बहरहाल इजराइल के साथ यूएई की दोस्ती कैसी रहती है? दोनों ही देशों पर इस दोस्ती का क्या रंग चढ़ता है? क्या फिलिस्तीन मसले पर यूएई आम मुसलमानों को संतुष्ट कर पाएगा? क्या फिलिस्तीन के लोगों के प्रति इजराइल नर्म रवैया रखेगा? सवालों की भरमार है जिनके जवाब वक़्त की गर्त में छुपे हैं लेकिन जो वर्तमान है वो ये साफ़ बताता है कि जब बात फायदे की आती है तो धर्म अपने आप ही साइड लाइन हो जाता है.
खैर जैसी प्रतिक्रिया ट्विटर पर है इजराइल से दोस्ती करके यूएई ने फिलिस्तीन हिमायती मुसलमानों की दुखती रग दबा दी है.
ये भी पढ़ें -
Sweden Riots: स्वीडन के मुसलमानों ने जो किया वो क़ुरान जलाने से ज्यादा घृणित है!
हाय बेचारी कमला, पति के लिए खाना बनाती है. ये क्या उप-राष्ट्रपति बनेगी!
जापान के प्रधानमंत्री रहे शिंजो आबे ने भारत से ऐतिहासिक रिश्ता कायम किया
आपकी राय