New

होम -> सियासत

 |  7-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 06 जून, 2020 01:14 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

सोशल मीडिया (Social Media) काल में किसी घटना को लेकर कितनी थ्योरी डेवलप हो जाती है और बातें कहां से कहां तक पहुंच जाती हैं, इसका ताजा उदाहरण है केरल (Kerala) में हुई गर्भवती हथिनी की मौत (Pregnant Elephant death) का मामला. एक मासूूूम प्राणी की माैत सेे शुरू हुुई कहानी राजनीति तक पहुंची, फिर साप्रदायिक उन्माद तक पहुंंची. फिर धीरे धीरे राजनीति सेे होते हुुुए अब विचित्र रूप लेती जा रही है.

आपको ये सुनकर थोड़ा अजीब लग रहा होगा न कि हथिनी की हत्या में ये मजहबी एंगल कहां से आ गया? लेकिन ये मैं नहीं कह रहा. दरअसल, जहां लोग केरल में हथिनी की हत्या के दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की बात कर रहे हैं, वहीं अब संदिग्धों या दोषियों के मजहब की भी पहचान होने लगी है. ऐसा किसके द्वारा और क्यों किया जा रहा है, इसका नीचे विस्तार से वर्णन किया जा रहा है. बीते 2 जून को केरल की एक घटना देश-विदेश में सुर्खियों में थी. हुआ यूं था कि उस दिन केरल के मलप्पुरम जिले में तैनात एक वन अधिकारी ने एक हथिनी की मौत के बारे में बताते हुए फेसबुक पोस्ट लिखा कि 27 मई को एक गर्भवती हथिनी ने जलसमाधि ले ली, यानी उसकी मौत हो गई. पटाखों से भरे अनानास को खाने और पटाखों के हथिनी के पेट में फटने से मौत की खबर आग की तरह देशभर में फैल गई.

केरल की हथिनी के साथ ‘न्याय’ का मुद्दा जहां पहुंचना था, पहुंच गया!केरल में हथिनी की मौत का मामला अब सियासी गलियारों में भी खूब हलचल मचाता नजर आ रहा है

इस घटना की तस्वीरें भी सामने आईं कि किस तरह वन अधिकारी मृत हथिनी को पानी से निकालने की कोशिश कर रहे हैं और पोस्टमॉर्टम में अजन्मे हाथी को निकालने की तस्वीरें. ये तस्वीरें इतनी भयावह थीं कि किसी को भी गुस्सा आ जाए. निरीह और बेगुनाह जानवरों पर मनुष्य की इस दरिंदगी की खबर ने सोशल मीडिया पर आग लगा दी. आम लोगों के साथ ही सिलेब्रिटी और राजनीतिक गलियों से भी गुस्से के सुर निलकने लगे. यहां तक कि दिल्ली से वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी ट्वीट कर नाराजगी जताई और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही.

2 और 3 जून को पूरे दिन केरल की गर्भवती हथिनी की इस तरह मौत पर सोशल मीडिया पर चीत्कार देखने को मिला. केरल की सीपीएम सरकार की बागडोर संभाले मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के माथे पर चिंता की रेखाएं तैरने लगीं और वह तिलमिला उठे. दरअसल, सोशल मीडिया पर लोग बोलने लगे कि बेगुनाह जानवरों पर इस तरह के अत्याचार केरल जैसे राज्यों में हो रहे हैं, जहां साक्षरता दर 93 फीसदी है. मतलब ये कि शिक्षित लोगों का ये हाल है तो बाकियों का क्या होगा.

इस तरह की करारी बातों के चोट से केरल के सीएम पिनराई विजयन तिलमिला गए और उन्होंने केंद्र पर केरल की छवि को नुकसान पहुंचाने की बातें कर फायर करने की कोशिश की, लेकिन यह बैकफायर कर गया और विजयन की ही काफी किरकिरी हुई. इस बीच मोदी सरकार की पूर्व मंत्री और पशु प्रेम के लिए जगजाहिर मेनका गांधी ने भी इस घटना की निंदा करते हुए राहुल गांधी को भी उनकी चुप्पी के लिए लपेटे मे ले लिया.

दिन बीता, अगले दिन यानी 4 जून को एक कई खबर सामने आई कि हथिनी को किसी ने जानबूझकर पटाखों से भरा अनानास नहीं खिलाया, बल्कि वह कॉफी की फसल बर्बाद करने वाले जंगली सुअरों के लिए सड़क किनारे रखे गए थे, जिसे गलती से हथिनी ने खा लिया. इस खबर के बाद सोशल मीडिया पर फिर से बहस शुरू हो गई कि हथिनी की हत्या के मुद्दे को अलग ही एंगल देकर इसे जलेबी जैसा गोल-गोल कर दिया गया है.

यहां से शुरू होती है वो बात जो हथिनी को न्याय दिलाने से इतर मुद्दे को अलग ही लेवल पर ले जाने की कोशिश दिखती है. अब केरल के सीएम पिनराई विजयन एक्टिव होते हैं और जांच कमिटी की गठन की बात करते हैं जो पुलिस और वन अधिकारी संयुक्त रूप से क्रियान्वित करेंगे. इसके बाद पिनराई विजयन का बयान आता है कि हथिनी की मौत मामले की जांच हो रही है और 3 संदिग्धों की पहचान हुई है.

साथ ही उन्होंने ये भी आश्वासन दिया कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. अब जब संदिग्धों की पहचान हुई है तो बात ये होने लगी कि ये लोग किस धर्म के हैं. चूंकि मलप्पुरम मुस्लिम बहुल जिला है, ऐसे में हथिनी की हत्या को मजहबी रंग देने की कोशिश शुरू हो गई कि जिस राज्य में लोग गाय काटने से नहीं कतराते हैं, वहां न जाने क्या-क्या हो जाए. अब यह मुद्दा भटकने लगा था, क्योंकि पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने ट्वीट करके इस बात की हवा दे दी थी कि यह घटना ऐसे इलाके में घटी जो मुस्लिम बहुल है.

इसके बाद तो सोशल मीडिया पर लेफ्ट बनाम राइट शुरू हो गया. जहां राइट विंग वाले इसे मुस्लिमों का अत्याचार बताने लगे, वहीं केरल के वामपंथी विचारधारा वाले इसे एंटी मुस्लिम बताने लगे. इन सबके बीच में मलयालम एक्ट्रेस पार्वती ने कड़े शब्दों में कहा- ‘हथिनी के हत्यारे को न्याय दिलाने की जगह एंटी मुस्लिम कैंपेन चलने लगे हैं, समस्या पर ध्यान देने की बजाय नफरत फैलाने की कोशिशें हो रही हैं.

हमें इस मुद्दे पर सही तरीके से सोचना होगा.’ इस बीच केरल में ‘We are with Malappuram’ कैंपेन भी जोर पर है. आलोचना के घेरे में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी आए, क्योंकि वह केरल की वायनाड सीट से लोकसभा सांसद चुने गए हैं, लोगों ने कहा कि जब छोटे-छोटे मुद्दे पर राहुल और उनकी बहन प्रियंका गांधी यूपी में हंगामा करने लगते हैं, तो वे लोग इस मुद्दे पर केरल की सीपीएम सरकार के खिलाफ क्यों नहीं बोल रहे हैं?

केरल के मुख्यमंत्री विजयन और कई सोशल मीडिया हैंडल्स पर ये अपडेट आया कि हथिनी की मौत मलप्पुरम में नहीं, पलक्कड़ में हुई. जानबूझकर कुछ पत्रकारों ने मलप्पुरम को इस मामले में घसीटा ताकि इसे सांप्रदायिक तूल दिया जा सके. NDTV की पत्रकार शैलजा वर्मा इसका निशाना बनीं, जिन्होंने इस घटना को मलप्पुरम का होना बताया था. हालांकि बाद में उन्होंने खेद व्यक्ति करते हुए खबर को अपडेट भी कर दिया. 

केरल में पहले से मौजूद लेफ्ट-राइट के झगड़े का असर हथिनी की मौत के बाद दोषियों को सजा दिलाने से जुड़े कैंपेन पर भी पड़ा और यह मामला खूब उछला. यहां तक कि अल जजीरा में भी यह खबर छपी. एक दिन और बीता और आज यानी 5 जून को 3 संदिग्धों से कड़ी पूछताछ के बाद एक दोषी के गिरफ्तार किए जाने की खबर आई है और 2 से पूछताछ जारी है. गिरफ्तार किए गए केरल वाली का नाम एम. विल्सन है. आने वाले दिनों में यह मुद्दा कितना छाया रहेगा, यह तो भविष्य की बात है, लेकिन भूतकाल में जो हुआ, वह फिर से बताता है कि वाकई 2 पैरों वाला जानवर यानी मनुष्य दुनिया का सबसे घातक प्राणी होता है. क्योंकि 4 पैरों वाली हथिनी तो 20 दिन तक पानी में रहते हुए मनुष्य की इस दरिंदगी को भूलने की कोशिश करती रही और अपनी जान गंवा बैठी, लेकिन किसी को कुछ नुकसान नहीं पहुंचाया.

ये भी पढ़ें -

गर्भवती हथिनी की दर्दनाक मौत का सबक- केरल में सब पढ़े-लिखे नहीं

गर्भवती हथिनी की 'हत्या' का मामला दुर्घटना की ओर बढ़ चला!

एक गर्भवती हथिनी की निर्मम मृत्यु से हमने क्या सीखा?

#केरल, #हाथी, #गर्भवती, Pregnant Elephant Death, Elephant Malappuram Palakkad, Kerala Forest Department

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय