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Updated: 23 जून, 2017 11:08 PM
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बीजेपी के सामने, राष्ट्रपति पद के लिए एक ऐसे प्रत्याशी ढूढ़ने का शर्त रखी थी, जो पिछड़ी जाति का होने साथ-साथ उच्च शिक्षा प्राप्त हो, राजकाज का अनुभव हो और अंग्रेजी बोलने में निपुण हो.

कई दिनों की माथापची के बाद, भारतीय जनता पार्टी ने RSS के मांग के ध्यान में  रखते हुए  राममनाथ कोविंद को एनडीए के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत किया. लेकिन गुरुवार को हुई विपक्षी दलों की मीटिंग में  पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को एनडीए के उम्मीदवार के खिलाफ मैदान में उतारा दिया. जो इन्हीं मानदंडों पर कोविंद से कहीं ज्यादा फिट बैठती हैं.

कांग्रेस से मीरा कुमारी का पुराना नाता है.  कांग्रेस से मीरा कुमार का पुराना नाता है.

मीरा कुमार का जन्म बिहार के आरा जिलें में हुआ था. उनके पिता जगजीवन राम, भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री होने के साथ एक जाने माने दलित नेता भी थे. उनकी मां इन्द्राणी देवी समाज सेवीका और स्वतंत्रता सेनानी थी.

मीरा कुमार ने ग्रेजुएशन में लॉ के साथ इंग्लिश लिटरेचर में मास्टर किया. इसके बाद उन्होंने  1970 बैच की सिविल सर्विसेज़ परीक्षा में टॉप-10 में  जगह बनाई और उनकी नियुक्ती, विदेश सेवा में  हुई. बहुत कम लोगों को इस बात कि जानकारी हो कि उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में दलित कोटे का विकल्प न चुनकर, एक सामान्य प्रतियोगी की हैसियत से यह परीक्षा पास की. उन्होंने अपनी विदेश सेवा के कार्यकाल के दौरान  स्पेन, यूके सहित मॉरीशस जैसे देशों  में अपनी सेवाएं दी हैं.  

उन्हें लोक सभा के अध्यक्ष चुने गए, भारत की वो पहली महिला थी, जिन्हें यह गौरव हासिल हुआ.  उन्हें लोक सभा के अध्यक्ष चुने गए, भारत की वो पहली महिला थी, जिन्हें यह गौरव हासिल हुआ.

- मीरा कुमार के बारे में एक बहुत मशहूर किस्सा है. साल 2012 में मीरा कुमार पाकिस्तान के दौरे पर गईं थी. लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने अपने भाषण में धाराप्रवाह उर्दू बोलकर पाकिस्तानी सांसदों और पत्रकारों को आश्चर्यचकित कर दिया था.

- मीरा कुमार ने शुद्ध उर्दू में दिए अपने भाषण में फिराक गोरखपुरी, मजरूह सुल्तानपुरी और फैज़ अहमद फैज़ की कविताएँ भी पढ़ीं थी.

- साल 1985 में मीरा कुमार ने विदेश सेवा की नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में आने का फैसला किया और बिजनौर लोकसभा संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में बतौर कांग्रेस प्रत्याशी उन्होंने दिग्गज नेता रामविलास पासवान और मायावती को शिकस्त दी थी. हालांकि इसके बाद हुए चुनाव में वह बिजनौर से हार गईं.

- वो दिल्ली की करोल बाग सीट से आठवीं, ग्यारहवें और बारह लोकसभा के लिए चुनी गई. साल 1999 में भाजपा की लहर चलाते उनको अपनी सीट से हाथ धोना पड़ा था, लेकिन उन्होंने साल 2004 और 2009 के चुनावों में अपने पिता के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र, सासाराम से जीत हासिल की.

- साल 2002 में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के साथ मतभेद का हवाला देते हुए, उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था.  दो साल बाद उन्होंने फिर से काग्रेंस ज्वाइन कर ली थी.

- साल 2004 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए में उन्हें  सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री बनाया गया.

- साल 2009 में उन्होंने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में जल संसाधन मंत्री के रूप में प्रभार ग्रहण किया.

- इसके बाद उन्हें लोक सभा के अध्यक्ष चुने गए, भारत की वो पहली महिला थी, जिन्हें यह गौरव हासिल हुआ.  2014 के आम चुनावों में  मीरा को अपने गढ़ सासाराम  सीट से भाजपा के छेद्दी पासवान से  63,327 वोटों  के अंतर से हार का  सामना करना पड़ा.

- उनके पति मंजुल कुमार सर्वोच्च न्यायालय में वकील हैं और वो चार बच्चों की मां है.

- राजनीति और कार्यपालिका की माहिर खिलाड़ी होने के साथ साथ मीरा कुमार एक बहुत अच्छी कवियत्री है.

- कार्यपालिका और राजनीति का भरपूर सफल अनुभव होने के साथ साथ मीरा कुमार बहुत अच्छी कवियत्री भी हैं. मगर लेकिन राजनीति  में अंकों का गणित, योग्यता पर भारी पड़ता है.

उनकी कविता 'ग्यारहवीं दिशा' की कुछ पंक्तियाँ-

दिशाएं दस हैं

चार मुख्य, चार कोण और एक आकाश और एक पाताल.

मगर मुझे तो ग्यारहवीं दिशा में जाना है,

जहाँ आस्थाओं के खंडहर न हो.

और बेबसी की राख पर संकल्प लहलहाए.

( कंटेंट: नीरज चौहान, इंटर्न, आईचौक)

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