योगी आदित्यनाथ के 'बदला' लेने वाले बयान का आधा सच प्रियंका गांधी ने क्यों छुपाया?
योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कहा था कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों को चिन्हित कर लिया गया है और उनकी संपत्ति जब्त कर के उनसे तोड़फोड़ का बदला लिया जाएगा. इस 'बदले' वाली बात को प्रियंका गांधी (Priyanaka Gandhi) ने राजनीतिक रंग दे दिया है.
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CAA और NRC को लेकर पिछले दिनों पूरे देश में जगह-जगह भीषण प्रदर्शन (Protest) हुए थे. इन प्रदर्शनों ने देखते ही देखते हिंसा का रूप ले लिया था. इस हिंसा (Violence) में बहुत सारी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. जगह-जगह आगजनी की गई. कई जगहों पर प्रदर्शन इतने हिंसक हो गए कि पुलिस (UP Police) और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई. पत्थरबाजी से लेकर गोलियां तक चलीं. पुलिस ने भी आंसू गैस के गोले दागने से लेकर लाठीचार्ज तक हर हथियार इस्तेमाल किया ताकि उपद्रवियों को छितर-बितर किया जा सके. इन सब में सबसे बड़ा नुकसान ये हुआ है कि प्रदर्शनकारियों ने बहुत सारी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है. इस पर योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कहा था कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों को चिन्हित कर लिया गया है और उनकी प्रॉपर्टी सीज कर के उनसे बदला लिया जाएगा. इस बदले वाली बात को प्रियंका गांधी (Priyanaka Gandhi) ने पकड़ लिया है और अब प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के कहा है कि इतिहास में पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने बदला लेने की बात कही है. हालांकि, वह ये नहीं बता रही हैं कि ये बदला किससे और कैसे लेने की बात कही गई थी. यूं लग रहा है कि प्रियंका गांधी योगी आदित्यनाथ के बयान का एक छोटा हिस्सा उठाकर उसे गलत तरीके से लोगों के बीच में परोस रही हैं.
प्रियंका गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के योगी आदित्यनाथ पर हमला बोला है.
प्रियंका गांधी के दावे का Fact Check जरूरी है
प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए प्रियंका गांधी ने कहा है कि ये देश कृष्ण और भगवान राम का है, जो करूणा और त्याग के प्रतीक हैं. इस देश में बदले की भावना से काम नहीं किया जाता. उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी मुख्यमंत्री ने ये कहा है कि बदला लिया जाएगा. प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार पर हमला पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ किया है. उन्होंने कई उदाहरण भी दिए, जिनमें पुलिस की कार्रवाई में कुछ लोगों की मौत तक हो गई है. खैर, ये जांच का विषय है कि पुलिस ने किसी के साथ ज्यादती की या नहीं, लेकिन जिस तरह प्रियंका गांधी ने योगी आदित्यनाथ के बदला लेने वाले बयान को लोगों के सामने परोसा है, वह बिल्कुल गलत है. हमें एक बार योगी आदित्यनाथ का बयान भी सुन लेना चाहिए, ताकि ये साफ हो सके कि उन्होंने क्या कहा था.
वीडियो में योगी आदित्यनाथ साफ-साफ कह रहे हैं कि 'यूपी में उपद्रवियों के साथ सख्ती से निपटा जाएगा. जो भी जिम्मेदार होगा उसकी जवाबदेही तय करेंगे, इस हिंसा में जो भी लिप्त होगा उसकी प्रॉपर्टी जब्त करेंगे और उससे सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई करेंगे. सब वीडियोग्राफी और सीसीटीवी फुटेज के जरिए चिन्हित किया जा चुके हैं. इन सब से सख्ती से निपट कर इसका बदला लेंगे.'
योगी आदित्यनाथ जिस बदले की बात कर रहे हैं, वह एक संदर्भ में है. सदंर्भ है सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान. यानी बदले का सीधा सा मतलब है कि हिंसा करने वाले उपद्रवियों की संपत्ति को जब्त कर के उनसे नुकसान की भरपाई की जाएगी. यानी प्रियंका गांधी का बयान सिर्फ और सिर्फ एक गलत मैसेज लोगों के बीच भेजने की कोशिश है और कुछ नहीं.
राजनीतिक रूप से अपरिपक्व हैं प्रियंका गांधी !
प्रियंका गांधी ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन की तस्वीर को कुछ इस तरह पेश किया है कि ये कहना गलत नहीं होगा कि वह राजनीतिक रूप से अभी अपरिपक्व हैं. उन्होंने योगी आदित्यनाथ पर तो खूब निशाना साधा, पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए, जिनकी दुकानें सील हुईं या जो मारे गए, उनकी भी बात प्रमुखता से कही, लेकिन एक बार भी उपद्रवियों के खिलाफ एक्शन की बात नहीं की. इसे क्या समझें? क्या वह इस हिंसा का समर्थन कर रही हैं? क्या उनका ये कहना है कि उपद्रवियों ने जो किया वो सही किया? अगर नहीं तो फिर एक बार भी ये क्यों नहीं कहा कि जिन्होंने हिंसा की उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. क्या प्रियंका गांधी ये कहना चाहती हैं कि पूरी हिंसा पुलिस ने की है? खुद ही हिंसा की और प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलियां चला दीं?
प्रियंका कुछ भी कहना चाहती हों और राजनीतिक हित साधने के लिए भले ही उन्होंने कुछ भी बयानबाजी कर दी हो, लेकिन एक आम आदमी को ये दिख रहा है कि प्रियंका गांधी ने एक बार भी ये नहीं कहा कि उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. यूं लगा मानो वह सिर्फ योगी सरकार पर हमला बोलने के मकसद से ही आई हों और जनता से उन्हें कोई मतलब नहीं. ये सब राजनीतिक रूप से उनकी अपरिपक्वता को दिखाता है, क्योंकि एक नेता का सबसे जरूरी काम दूसरे नेता को नीचा दिखाना या फिर उस पर कीचड़ उछालना नहीं होता, बल्कि उसके लिए सबसे पहले जनता होती है. सबसे पहले उसे जनता के बारे में सोचना होता है और उपद्रवियों ने इसी जनता को परेशानी में डाला है. ये उपद्रवी ही हैं, जिनकी वजह से शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे लोगों को भी दिक्कत हुई है. अब वो आम आदमी ये सवाल पूछ रहा है कि आखिर प्रियंका गांधी ने आधा सच क्यों नहीं बताया? क्यों सिर्फ पुलिस और सरकार के सिर पर ठीकरा फोड़कर चल दीं? क्यों उन्होंने उपद्रवियों के बारे में कुछ नहीं कहा? आज नहीं तो कल प्रियंका गांधी को इन सवालों के जवाब भी देने होंगे, चाहे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के, चाहे ट्वीट कर के.
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