कफील खान को राजस्थान शिफ्ट करके प्रियंका गांधी ने यूपी के मुसलमानों को डरा तो नहीं दिया?
प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने कफील खान (Kafeel Khan) को राजस्थान तो शिफ्ट करा दिया, लेकिन क्या ये सोचा है यूपी के बाकी मुसलमान (UP Muslims) कहां जाएंगे? क्या वो भी नेताओं की उस जमात में शामिल होने जा रही हैं जो मुसलमानों को पाकिस्तान चले जाने जैसे सलाह देते हैं?
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प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) की सलाहियत और यकीन दिलाने के बाद डॉक्टर कफील खान (Dr Kafeel Khan) पूरे परिवार के साथ राजस्थान शिफ्ट हो चुके हैं. कफील खान ने प्रेस कांफ्रेंस कर खुद ये बात बतायी है. साथ ही, वजह भी बतायी है - उत्तर प्रदेश सरकार के फिर से किसी मामले में फंसा कर जेल भेज देने की आशंका है. कफील खान ने राजस्थान में अपने परिवार के साथ कुछ वक्त बिताने की बात करते हुए ये भी बताया है कि आगे उनका क्या क्या प्रोग्राम है. कफील खान का मानना है कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार होने से वो खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं. बहुत अच्छी बात है, लेकिन देश और समाज के लिए सेवा की बात करने वाले कफील खान को यूपी में रह रहे बाकी मुस्लिम परिवारों की फिक्र क्यों नहीं है?
और प्रियंका गांधी ने भी ये सोचा है यूपी के बाकी मुसलमान (UP Muslims) कहां जाएंगे? अगर अशोक गहलोत के शासन में राजस्थान में मुस्लिम समुदाय के लोग सुरक्षित महसूस करते हैं तो यूपी के बाकी मुस्लिम परिवारों की प्रियंका गांधी को फिक्र क्यों नहीं हो रही है?
क्या प्रियंका गांधी भी नेताओं की उस जमाम में शामिल होने जा रही हैं जो मुसलमानों को पाकिस्तान चले जाने जैसे सलाह दिया करते हैं?
सिर्फ कफील का परिवार ही क्यों?
डॉक्टर कफील खान को जेल से छूटने के बाद जाना तो गोरखपुर चाहिये थे, लेकिन सीधे वो भरतपुर पहुंच गये - और कांग्रेस ने मथुरा जेल से छूटने के पहले से ही इसकी पूरी तैयारी कर ली थी. अब वो पूरे परिवार के साथ जयपुर शिफ्ट हो चुके हैं - हालांकि, अब तक ये नहीं बताया गया है कि कफील खान और उनका परिवार हमेशा के लिए राजस्थान में बसने का मन बना चुका है या फिर कोई अस्थायी इंतजाम है.
मालूम होता है कि प्रियंका गांधी वाड्रा की टीम काफी पहले से कफील खान की रिहाई पर नजर टिकाये हुए थी - और मौका मिलते ही लपक लिया. ताक में तो समाजवादी पार्टी के नेता भी बैठे रहे लेकिन कांग्रेस बाजी मार ले गयी - और अब अखिलेश यादव के लोग कफील खान के करीबी लोगों को अपने पाले में मिलाने में जुट गये हैं.
कांग्रेस की तरफ से माला-फूल और मिठाई लेकर पूर्व विधायक प्रदीप माथुर और पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रमुख शाहनवाज आलम पहले ही मथुरा जेल के गेट पर डेरा डाले हुए थे. प्रदीप माथुर ने खुद स्वीकार भी किया है, 'मैं पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के निर्देश पर कफील खान के मामले को लेकर मथुरा और अलीगढ़ के जिला प्रशासन के साथ नियमित रूप से संपर्क में था. हाईकोर्ट के आदेश के बाद रिहाई की सारी औपचारिकता पूरी करने के बाद कफील खान रात करीब 12 बजे जेल से बाहर आए और फिर गुरुवार को राजस्थान की सीमा तक पहुंचाने का काम हमने किया है.'
कफील ने अभी तय नहीं किया है कि कांग्रेस में जाएंगे या समाजवादी पार्टी में
शाहनवाज आलम का कहना है कि CAA-NRC के विरोध मामले में योगी सरकार ने बेगुनाह जिन लोगों को फंसाया है और प्रियंका गांधी उन सभी के संपर्क में हैं. कहते हैं, 'हमारी पार्टी हर उस बेकसूर के साथ खड़ी है, जिसके साथ योगी सरकार सूबे में अत्याचार और जुल्म कर रही है.'
कफील खान को आशंका है कि यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार फिर से उनको किसी अन्य मामले में फंसा कर जेल भेज सकती है. कफील खान के मुताबिक, ये बात प्रियंका गांधी ने भी उनसे कही है. हालांकि, कफील खान ने ये नहीं बताया है कि यूपी सरकार के फंसाने वाली बात पहले प्रियंका गांधी ने उनको बतायी या फिर पहले से ही उनके दिमाग में रही है. कफील खान ने जयपुर में मीडिया से कहा, 'प्रियंका जी हमें राजस्थान में पूरी सुरक्षा का भरोसा दिया है. वो मेरी मां और पत्नी से बात भी कीं - और कहा कि यूपी सरकार मुझे किसी दूसरे मामले में फंसा सकती है.
कफील खान का कहना है कि वो अपने परिवार के साथ कुछ अच्छा टाइम बिताना चाहते हैं. कफील खान के मुताबिक वो खुद भी और परिवार के लोग भी राजस्थान में सुरक्षित महसूस कर रहे हैं. कफील खान कहते हैं कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और उनके सुरक्षित महसूस करने की ये सबसे बड़ी वजह है.
डॉक्टर कफील खान को यूपी सरकार अब तक तीन बार जेल भेज चुकी है. अगस्त, 2017 में पहली बार वो 9 महीने जेल में रहे. तब गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी की वजह से बच्चों की मौत होने के बाद डॉक्टर कफील को सस्पेंड कर दिया गया और लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार किया गया. दूसरी बार, 2018 में 9 साल पुराने एक केस के सिलसिले में कफील खान को बहराइच से गिरफ्तार किया गया और दो महीने जेल में बिताने पड़े थे. तीसरी बार, कफील खान को फरवरी 2020 में सीएए-एनआरसी को लेकर विरोध प्रदर्शन में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया और फिर NSA भी लगा दिया गया. अब जाकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर कफील खान की रिहाई हो पायी है.
कफील खान का परिवार तो प्रियंका गांधी की मदद से राजस्थान शिफ्ट हो गया, लेकिन CAA के विरोध को लेकर जेल भेजे जाने वालों में कफील खान कोई अकेले व्यक्ति तो हैं नहीं या उनका परिवार ही इससे प्रभावित हुआ है, ऐसा तो है नहीं!
अगर प्रियंका गांधी की नजर में यूपी में कफील खान का परिवार वास्तव में असुरक्षित हैं तो बाकियों के लिए भी कांग्रेस की ऐसी कोई योजना है क्या? क्या CAA प्रोटेस्ट के दौरान पुलिस एक्शन के शिकार बाकी मुस्लिम परिवारों को राजस्थान भेजा जाएगा?
अगर ऐसा नहीं होने जा रहा है तो क्या क्या कफील खान के परिवार को राजनीतिक इस्तेमाल के लिए मोहरा नहीं बनाया जा रहा है? ये सही है कि अदालत ने भी पाया है कि कफील खान की गिरफ्तारी और NSA लगाया जाना गैर कानूनी है, लेकिन ये तो ऐसा लग रहा है जैसे यूपी सरकार ने कफील खान के साथ भेदभाव किया और कांग्रेस ने उनका राजनीतिक इस्तेमाल शुरू कर दिया.
अब तक तो प्रियंका गांधी की पार्टी बीजेपी पर सांप्रदायिकता और ध्रुवीकरण की राजनीति करने का इल्जाम लगाती रही है, लेकिन ये क्या है? ये भी तो ध्रुवीकरण ही हुआ - आखिर धर्म के नाम पर किसी समुदाय के लोगों को भय दिखाना ही तो सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हुआ? मतलब तो यही निकल रहा है कि कांग्रेस जो आरोप बीजेपी पर लगाती आयी है वही खुद भी कर रही है, बस दोनों की दिशा एक दूसरे के उलट है.
प्रियंका गांधी की नजर में कफील खान के अलावा वे सारे लोग सुरक्षित हैं जिनके घर वो लॉकडाउन से पहले गयी थीं, तो कोई बात ही नहीं - लेकिन अगर ऐसा नहीं है और उनको राजस्थान ले जाने का कोई प्लान नहीं है तो उनके लिए क्या संदेश है - 'क्या वे लोग पाकिस्तान चले जायें?' जैसा कि पहले भी उनसे कहा जाता रहा है!
कफील को लेकर कांग्रेस और सपा में मची होड़
ऐसा लगता है कि कांग्रेस की कोशिश कफील खान के मुस्लिम फेस को 2022 के विधानसभा चुनावों में भुनाने की कोशिश है. हालांकि, प्रियंका गांधी ने जिस तरह भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद रावण का इस्तेमाल किया, उसके आधार पर तो कफील खान को भी अपने राजनीतिक भविष्य का अंदाजा लगा लेना चाहिये, अगर ऐसी कोई मंशा है तो.
कफील खान कह रहे हैं कुछ भी हो वो योगी सरकार के खिलाफ चुप होकर तो नहीं बैठने वाले हैं, लेकिन लगे हाथ ये भी सफाई दे रहे हैं कि राजनीति में आने को लेकर अभी तक वो कोई फैसला नहीं किये हैं.
कफील खान को कांग्रेस भले ही तमाम सुविधाओं से नवाजने की कोशिश कर रही हो, लेकिन कांग्रेस के साथ साथ वो समाजवादी पार्टी का भी शुक्रगुजार महसूस कर रहे हैं. कहते हैं, कांग्रेस ने हमारी रिहाई के लिए बहुत संघर्ष किया है और समाजवादी पार्टी ने भी हमारे हक में आवाज उठायी है - वो मानते हैं कि अखिलेश यादव ने भी रिहाई के लिए ट्वीट कर उनकी मदद की है.
कांग्रेस भले ही कफील खान को ले उड़ी हो, लेकिन समाजवादी पार्टी ने अभी उम्मीद नहीं छोड़ी है. सपा के प्रवक्ता अताउर्रहमान कहते हैं कि कफील खान अगर पार्टी में आते हैं तो पार्टी उनका स्वागत करेगी. सपा नेता का दावा है कि कफील खान की असली लड़ाई तो उनकी पार्टी ने लड़ी है, कांग्रेस ने तो सिर्फ बयानबाजी की है. पता चला है कि कफील खान के भाई कासिफ जमाल समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के संपर्क में बने हुए हैं. कासिफ भी कफील खान के साथ राजस्थान ही पहुंचे हुए हैं.
कांग्रेस नेता शाहनवाज आलम का कहना है कि वे लोग कफील खान पर कांग्रेस ज्वाइन करने के लिए किसी तरह का दबाव नहीं बना रहे हैं - और ये कफील खान को ही तय करना है कि वो कांग्रेस के लिए काम करना चाहते हैं या नहीं? कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रदीप माथुर की भी वैसी ही राय है - 'कांग्रेस में आते हैं तो हम उनका स्वागत करेंगे, लेकिन इसका फैसला कफील खान को करना है.'
आखिर कफील खान पर प्रियंका गांधी इतनी मेहरबान क्यों नजर आ रही हैं? इसमें तो कोई दो राय नहीं कि योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ कफील खान विरोध की आवाज की आवाज और एक प्रताड़ित किरदार बन चुके हैं. मुस्लिम समुदाय के बीच पैठ बनाने में जुटीं प्रियंका गांधी को कफील खान के रूप में यूपी की बीजेपी सरकार के खिलाफ 2022 के लिए एक हथियार मिल चुका है.
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