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Updated: 26 जनवरी, 2019 12:38 PM
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युवा मतदाताओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुरू से ही नजर रही है. सोशल मीडिया पर सक्रिय भारतीय नेताओं में भी पहले होने के कई रिकॉर्ड उनके नाम दर्ज हो सकते हैं. अहमदाबाद से दिल्ली रवाना होने से पहले नरेंद्र मोदी ने गूगल हैंगआउट पर लोगों से बात की थी. जाहिर है तादाद नौजवानों की ही ज्यादा रही. सवाल भी वैसे भी जो किसी सेलीब्रिटी से किये जाते हैं - क्या पसंद है? क्या शौक हैं? कितनी देर सोते हैं?

माना गया कि 2014 में मोदी की जीत में युवा वोटों की भी बहुत बड़ी भूमिका रही. अब होने जा रहा चुनाव ऐसा है जिसमें 21 सदी के युवा पहली बार वोट करेंगे. जाहिर है नये मतदाताओं की ये फौज आने वाले आम चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाएगी.

ऐसा लग रहा है जैसे राहुल गांधी बीजेपी के बड़े और बुजुर्ग नेताओं के मुकाबले कांग्रेस के युवाओं की फौज खड़ा करने की तैयारी में हैं. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह तैयारी तो इसी हिसाब से कर रहे थे लेकिन अब नयी कवायद के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

मोदी के 'न्यू इंडिया' के वोटर!

2014 में जब नरेंद्र मोदी आम चुनाव में उतरे तो देश में 15 करोड़ नये वोटर जुड़े थे. 2019 में जो नौजवान वोट देने का अधिकार पाने जा रहे हैं उनकी तादाद 14 करोड़ से ज्यादा आंकी गयी है. इस हिसाब से देखें तो 2019 में 18 से 23 साल के मतदाताओं की संख्या करीब 30 करोड़ होने जा रही है.

यूपी से लेकर गुजरात तक बीजेपी की जीत सुनिश्चित करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 के अपने आखिरी 'मन की बात' कार्यक्रम में युवा मतदाताओं को खास तौर पर संबोधित किया. 2019 में पहली बार वोट डालने का हक हासिल करने वाले नौजवानों के लिए ये मोदी की ओर से ये गर्मागर्म वेलकम नोट था.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'एक जनवरी, 2018 का दिन मेरी दृष्टि से एक स्पेशल दिन है... जो लोग वर्ष 2000 या उसके बाद जन्मे हैं यानी 21वीं सदी में जिन्होंने जन्म लिया है... वे एक जनवरी, 2018 से मान्य वोटर बनना शुरू हो जाएंगे. भारतीय लोकतंत्र, 21वीं सदी के वोटर्स का न्यू इंडिया वोटर्स का स्वागत करता है.'

प्रधानमंत्री मोदी, दरअसल, मन की बात के माध्यम से इन्हीं नये मतदाताओं से मुखातिब थे - और उसके बाद से लगातार कनेक्ट होने के लिए कोशिश करते रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी को चैलेंज करने की तैयारी कर रहे राहुल गांधी का जोर भी इन्हीं मतदाताओं को अपने पक्ष में मोड़ने को लेकर है.

narendra modi, amit shahयुवा जोश पर जोर जरूरी है...

यूपी में प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया को लाकर राहुल गांधी ने इस मामले में भी बीजेपी के सामने चुनौती खड़ी कर दी है. कांग्रेस के मुकाबले देखा जाये तो बीजेपी की टॉप लीडरशिप की उम्र ज्यादा है.

राहुल के दाव से बीजेपी की चुनौती बढ़ी

राजीव गांधी देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे. 1984 में जब राजीव गांधी पीएम बने तो उनकी उम्र महज 40 साल थी. 1966 में उनकी मां इंदिरा गांधी जब पीएम बनीं तो वो 49 साल की हो चुकी थीं. जून, 2019 में राहुल गांधी भी 49 साल के हो गये.

priyanka gandhi, rahul gandhiयुवा टीम के भरोसे मोदी को चुनौती दे रहे हैं राहुल गांधी

नरेंद्र मोदी को बीजेपी आजादी के बाद जन्मे प्रधानमंत्री के रूप में स्थापित करती है. नरेंद्र मोदी 2014 में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे तो उनकी उम्र 64 साल थी. मोदी के अलावा बीजेपी में भीड़ बटोरने वाले नेताओं में सबसे युवा योगी आदित्यनाथ ही हैं जो राहुल गांधी से भी दो साल छोटे हैं. राहुल गांधी के खिलाफ सबसे ज्यादा सक्रिय बीजेपी नेता स्मृति ईरानी जरूर उनसे छह साल छोटी हैं.

बीजेपी की कोर टीम मोदी कैबिनेट है. गुजरात चुनाव में यही टीम दिल्ली से अहमदाबाद शिफ्ट हुई थी. इस टीम को राहुल गांधी खुद तो चैलेंज कर ही रहे थे उनके साथ कदम कदम पर ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट भी हुआ करते थे. इतना ही नहीं अल्पेश ठाकोर, जिग्नेश मेवाणी और पूरी तरह साथ न होकर हार्दिक पटेल भी कांग्रेस नेता के ही मददगार साबित हो रहे थे.

अब इस लिस्ट में सबसे ऊपर राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम जोड़ दिया है. प्रियंका के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया को यूपी लाकर उस सूबे को ताकतवर बनाने की कोशिश की है जो दिल्ली के रास्ते में निर्णायक भूमिका निभाने वाला माना जाता है.

अगर कांग्रेस की इस कोर टीम और बीजेपी की कोर टीम की तुलना की जाये तो वो ज्यादा बुजुर्ग नजर आ रही है. यूपी गठबंधन में मायावती की उम्र ज्यादा है लेकिन अखिलेश यादव तो युवाओं के बीच ही खड़े हैं. देखा जाये तो बीजेपी के विरोधी मोदी-शाह की जोड़ी को युवा जोश बनाम बुजुर्गों की टीम में उलझाने की तैयारी में जुटा है - बीजेपी को सत्ता में वापसी के लिए नयी तरकीबें निकालनी होंगी. जो भी हो मुकाबला धीरे धीरे दिलचस्प होता जा रहा है.

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