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Updated: 24 फरवरी, 2019 08:39 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद पूरा देश आक्रोश की आग में जल रहा है. पाकिस्तान से सारे नाते तोड़ने की तमाम कोशिशें हो रही हैं. पानी से लेकर टमाटर समेत पाकिस्तान जाने वाली कई चीजों पर रोक लगा दी गई है. अभी हम इधर पुलवामा आतंकी हमले से ही परेशान थे और उधर अरुणाचल प्रदेश में हिंसा की आग फैल गई है. प्रदेश के 18 छात्र और नागरिक संगठनों के समूह की 48 दिनों की हड़ताल के दौरान ईटानगर में ये हिंसा फैली है, जिसके चलते कर्फ्यू तक की नौबत आ चुकी है. यहां तक कि अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चाउना मीन के घर को भी आग के हवाले कर दिया गया है और उपायुक्त के दफ्तर में भी तोड़फोड़ की गई है.

कुछ गैर-निवासी लोगों को स्थायी निवास प्रमाण पत्र देने के खिलाफ हो रहा ये प्रदर्शन इतना उग्र हो चुका है कि इसमें करीब 24 पुलिसकर्मियों समेत कुल 35 लोग घायल हो गए हैं. इस प्रदर्शन के दौरान एक व्यक्ति की मौत भी हो गई है. 50 से भी अधिक वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया है और 100 से भी अधिक अन्य वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया है.

स्थायी निवास प्रमाण पत्र देने की सिफारिश बना जी का जंजाल

ये मामला 6 समुदायों (देओरी, सोनोवाल कचारी, मोरान, अदिवासी और मिशिंग) को अरुणाचल प्रदेश में स्थायी निवास प्रमाण पत्र देने का है. पड़ोसी राज्य असम में इन समुदायों के लोगों को अनुसूचित जनजाति में गिना जाता है. ये समुदाय मूल रूप से अरुणाचल प्रदेश के नहीं हैं, लेकिन दशकों से अरुणाचल प्रदेश के नामसाई और चांगलांग जिलों में रह रहे हैं. संयुक्त उच्चाधिकार समिति ने इस मामले में सभी पक्षों से बात करने के बाद इन समुदायों को स्थानीय निवास प्रमाण पत्र देने की सिफारिश की है, जिसके चलते अरुणाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों के लोगों ने बंद का आह्वान किया था. सबसे अहम बात ये है कि जिस सिफारिश के विरोध में अरुणाचल प्रदेश जल रहा है, उसे शनिवार को विधानसभा में पेश किया जाना था, लेकिन स्पीकर ने सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया है. यानी जिस मामले को लेकर ये सारा बवाल हो रहा है, अभी तक उसे मंजूरी मिली ही नहीं है और इतनी बड़ी हिंसा के बाद मुमकिन है कि उस सिफारिश को मंजूर ही ना किया जाए.

कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, पुलवामा आतंकी हमला, विरोध प्रदर्शनअरुणाचल प्रदेश में हिंसा की आग फैल गई है, जिसके चलते कर्फ्यू लगाना पड़ा है.

इतनी उग्र कैसे हो गई भीड़?

स्थायी निवास प्रमाण पत्र यानी पीआरसी देने की सिफारिश के खिलाफ हो रहा प्रदर्शन शुक्रवार को उस वक्त हिंसा में बदल गया, जब भीड़ ने मुख्यमंत्री पेमा खांडू के घर रुख किया. सुरक्षा बलों ने पहले तो भीड़ को समझाने और पीछे हटाने की कोशिश की, लेकिन स्थिति काबू से बाहर होते देख सुरक्षा बलों ने गोली चला दी. इस गोलीबारी में बहुत से लोग घायल हुए, जिनमें से एक ने अस्पताल पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ दिया. एक शख्स की मौत के बाद भीड़ इतनी उग्र हो गई कि हर तरह तोड़फोड़ और आगजनी का माहौल बन गया. प्रदर्शनकारियों ने ईटानगर के पुलिस थाने तक को तोड़ डाला और नाहरलगुन में सड़कें जाम कर दीं. इसके चलते ईटानगर और नाहरलगुन में बेमियादी कर्फ्यू लगा दिया गया था.

राजनीति भी शुरू हो गई है

राज्य में हालात बिगड़ते ही उस पर राजनीति भी शुरू हो गई है. केन्द्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा दिया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि कांग्रेस लोगों को भड़का रही है. उनके अनुसार अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू साफ कर चुके हैं कि राज्य सरकार पीआरसी विधेयक नहीं ला रही है. एक ट्वीट में उन्होंने आरोप लगाया है कि कांग्रेस पीआरसी के लिए लड़ रही है और लोगों को गलत तरीके से उकसा रही है. उनके अनुसार कांग्रेस ने पीआरसी के लिए लड़ने के लिए लेकांग इलाके में गैर-अरुणाचल प्रदेश एसटीएस का समर्थन किया, लेकिन ईटानगर में निर्दोष लोगों को गुमराह किया.

हालात को काबू में रखने के लिए आईटीबीपी के 600 जवान तैनात कर दिए गए हैं. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लोगों से शांति कायम रखने की अपील की है. भीड़ से निपटने के लिए ईटानगर और नाहरलगुन में सेना लगातार फ्लैग मार्च कर रही है और दोनों ही जगहों पर इंटरनेट सेवाएं रोक दी गई हैं. अगर ये कहा जाए कि इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले लोग किसी के झांसे में आ गए हैं तो गलत नहीं होगा, क्योंकि जिस सिफारिश को अभी मंजूरी तक नहीं मिली है, राज्य सरकार खुद जिसके पक्ष में नहीं है, उसे लेकर राज्य में इतनी बड़ी हिंसा हुई है. ये इस बात का इशारा करती है कि लोगों को या तो गुमराह किया गया है या उनके सामने आधी-अधूरी जानकारी को गलत तरीके से पेश किया गया है.

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