पाकिस्तान में सियासत मतलब भ्रष्टाचार! 'अच्छे दिन' का वादा करने वाले इमरान अछूते कैसे रहते?
इमरान के प्रधानमंत्री बनने में अभी कुछ वक्त बाकी है. मगर जिस तरह अभी से उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, और वो चर्चा में आए हैं. ये चुनाव पूर्व उनके द्वारा कही 'अच्छी बातों' पर सवालिया निशान लगा देता है.
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चुनाव पूर्व इमरान खान ने खूब बड़ी-बड़ी बातें की थी. आतंकवाद की गिरफ्त में रहकर गुजर बसर करने वाले पाकिस्तान के लोगों को इमरान ने अच्छे दिनों का वादा किया था और सुशासन का दावा करते हुए उन्होंने इस बात को भी कई मौकों पर स्वीकारा था कि उनकी सरकार आने के बाद 'भ्रष्टाचार' पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जाएगी. बातों और हकीकत में बहुत अंतर होता है. इमरान के साथ भी कुछ ऐसा ही है उन्होंने बोला कुछ और किया कुछ और. भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में इमरान से पूछताछ हुई है. इमरान से सरकारी हेलिकॉप्टर के दुरूपयोग मामले में देश की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई ने पूछताछ की है. मुद्दे को लेकर कहा जा रहा है कि इस मामले से खैबर पख्तूनख्वा के सरकारी खजाने को 21 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है. जब इमरान से इस विषय पर पूछताछ की गई तो उन्होंने आरोपों से साफ इंकार किया और इसे राजनीति से प्रेरित बताया है.
इमरान अभी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने नहीं हैं मगर उनके ऊपर संकट ले बादल अभी से मंडराने लगे हैं
गौरतलब है कि राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई ) चीफ इमरान को तीन अगस्त को समन भेजा था. इमरान से एजेंसी यह जानना चाहती थी कि आखिर किस आधार पर उन्होंने 72 घंटे से अधिक समय तक प्रांतीय हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल कर प्रांतीय खजाने को 21 लाख 70 हजार रुपये का नुकसान पहुंचाया. इस मामले पर एजेंसी ने बहुत मुखर होकर इस बात को कहा कि आधिकारिक तौर पर हेलिकॉप्टर इमरान के व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए नहीं था.
आपको बताते चलें कि NABने इमरान और उनके वकील के लिए 15 प्रश्नों की एक प्रश्नावली तैयार की थी. NAB अधिकारियों के मुताबिक उन्हें इस जांच को 15 दिन के भीतर पूरा करना था. चूंकि मामला देश के होने वाले प्रधानमंत्री की सुरक्षा से जुड़ा था अतः इमरान की पेशी को देखते हुए NAB के पेशावर स्थित कार्यालय में सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी.
बात अगर इमरान को समन भेजें जाने की हो तो आपको बता दें कि इमरान को ये समन 18 जुलाई को प्राप्त हुआ था. इमरान ने अधिकारीयों को चुनाव का हवाला देते हुए कहा था कि चुनाव के चलते वह पैनल के समक्ष पेश नहीं हो पाएंगे. इमरान के ऐसा कहने के बाद उनके वकील ने अधिकारीयों से आम चुनाव के बाद की तारीख देने का अनुरोध किया था.
इमरान के चुनाव जीतने की एक बड़ी वजह भ्रष्टाचार को बताया जा रहा है
यहां हम इमरान खान पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर बात कर रहे हैं. ये माना जा रहा है कि उन्होंने अपने फायदे के लिए एक प्रांत के सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया है. यहां हमारे लिए ये बताना बेहद जरूरी है कि ये कोई पहली बार नहीं है जब इमरान अपने आलोचकों के निशाने पर आए हैं. इससे पहले भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर इमरान तब चर्चा में आए थे जब इन्होंने 2015 में लाहौर में खुले शौकत खानम मेमोरियल कैंसर अस्पताल और शोध केंद्र के लिए देश की आवाम और हाई प्रोफाइल लोगों से चंदा लिया था. तब भी लोगों ने आरोप लगाया था कि इमरान ने जनता से अपने निजी फायदे के लिए पैसे लिए. उस वक्त भी इमरान की खूब आलोचना हुई थी.
बहरहाल पहले की बातें और थी अब की बात अलग है. पहले इमरान केवल पाकिस्तान के एक साधारण नेता था आज वो देश के होने वाले नए प्रधानमंत्री हैं. इमरान को अपनी तरफ से इस बात का पूरा ख्याल रखना होगा कि वो जितना हो सके अपनी तरफ से भ्रष्टाचार से दूरी बनाकर चलें. साथ ही उन्हें ये भी याद रखना होगा कि उनकी आवाम द्वारा उन्हें चुने जाने का एक बड़ा कारण भ्रष्टाचार था.
ध्यान रहे कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जानता ने महज इस बात के लिए खारिज किया था कि पैर से लेकर सिर तक भ्रष्ट थे और वो तथा उनकी पार्टी दोनों ही पाकिस्तान में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे थे. साथ ही इमरान को ये भी याद रखना होगा कि राजनीति में सारा खेल छवि का होता है. यदि शुरूआती दौर में ये खराब हो गई तो आने वाले वक़्त में इसे सही करना एक टेढ़ी खीर होती है.
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