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Updated: 15 मार्च, 2022 07:09 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव एक तरफ. पंजाब का चुनाव दूसरी तरफ़. चुनाव पूर्व पंजाब में सत्ता कांग्रेस के पास थी इसलिए चाहे वो राहुल गांधी रहें हों या खुद कांग्रेस पार्टी माना यही जा रहा था कि पार्टी पंजाब में ऐतिहासिक जीत दर्ज करेगी लेकिन अब जबकि विधानसभा चुनाव के नतीजे हमारे सामने हैं बाजी पलटी हुई है. कांग्रेस के जुमलों पर जनता ने भरोसा न करते हुए आम आदमी पार्टी को मौका दिया है. स्थिती शर्मनाक है और कठघरे में चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू से ज्यादा राहुल गांधी और उनका नेतृत्व है. कांग्रेस पंजाब के रूप में अपना किला क्यों हारी? कैसे सारी स्कीमें फेल हो गईं? इसपर सोनिया गांधी की अध्यक्षता में, कांग्रेस की रीत के अनुसार बैठकों, विमर्श का दौर शुरु हो गया है. बैठकों में यूं तो तमाम तरह की बातें हो रही हैं लेकिन जिसपर सबसे ज्यादा बल दिया जा रहा है वो कैप्टन अमरिंदर सिंह हैं. बताते चलें कि पंजाब का किला गंवाने के बाद सोनिया गांधी ने भी मुखर होकर कैप्टन अमरिंदर सिंह की आलोचना की है. सोनिया गांधी ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह का बचाव करना करना उनकी गलती थी.

Punjab Assembly Election, Punjab, Congress, Sonia Gandhi, Rahul Gandhi, Capt Amrinder Singh, Navjot Singh Sidhuसोनिया ने पंजाब में हार का ठीकरा कैप्टन के सिर फोड़ दिया है

ध्यान रहे कि नवजोत सिंह सिद्धू की साजिशों की बदौलत कैप्टन ने उस वक्त पार्टी छोड़ी जब चुनाव सिर पर थे बाद में उन्होंने न केवल नई पार्टी (पंजाब लोक कांग्रेस) बनाई बल्कि भाजपा के साथ गठबंधन किया और चुनाव लड़ा. पंजाब चुनाव और कैप्टन अमरिंदर सिंह के मामले में कई बातें खासी दिलचस्प रहीं और पंजाब विधानसभा चुनावों ने दोनों का ही भ्रम तोड़ा.

चुनाव ने जहां एक तरफ कांग्रेस को जमीनी सच्चाई से रू ब रू कराया तो वहीं कैप्टन को भी ये बताया कि अपने जिस वर्चस्व की बात उन्होनें मौके बेमौके की वो उनके मन का वहम था.

गौरतलब है कि पंजाब हारने के फौरन बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हुई है. बैठक में बड़ा मुद्दा कैप्टन अमरिंदर सिंह रहे. कहा गया कि यदि कैप्टन अमरिंदर सिंह को पद से हटाना ही था तो ये काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था. इसपर सोनिया गांधी का मत था कि ऐसा न करना उनकी एक बड़ी गलती थी.

सोनिया गांधी ने कहा था कि कुछ लोगों को लगता है कि गांधी परिवार की वजह से पार्टी कमजोर हो रही है. CWC में मौजूद लोगों से सोनिया ने पूछा कि अगर आप लोगों को ऐसा लगता है तो हम किसी भी प्रकार का त्याग करने के लिए तैयार हैं. तर्क वजनदार लगें इसके लिए सोनिया ने ये भी कहा कि उनका पहला मकसद कांग्रेस तो मजबूत करना है.

आरोप गंभीर थे. जिसपर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी अपने मन की बात की है. अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई देते हुए कैप्टन ने कहा है कि यदि 5 राज्यों में पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा है तो इसका कारण सिर्फ गांधी परिवार है. 

अमरिंदर सिंह ने कहा कि अस्थाई सिद्धू और भ्रष्ट चन्नी का सपोर्ट लेकर कांग्रेस ने खुद की कब्र खोद ली. अमरिंदर सिंह ने गांधी परिवार को जिम्मेदार ठहराते कहा कि कांग्रेस सिर्फ पंजाब में नहीं बल्कि यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी हारी है. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि लोगों का गांधी परिवारके नेतृत्व पर से भरोसा उठ गया है.

भले ही अपने को 'निर्दोष' बताते हुए कैप्टन अमरिंदर ने कांग्रेस पर बिल फाड़ा हो मगर उनकी बातों में विरोधाभास तो है और इसे खारिज भी नहीं किया जा सकता. कैसे? जवाब के लिए हमें सबसे पहले तो एक नेता के रूप में कैप्टन अमरिंदर सिंह का अवलोकन करना होगा. कप्तान फौज में थे. राष्ट्रवादी हैं अपनी बेबाक राय उससे भी ज्यादा राहुल प्रियंका और सोनिया की आलोचना के लिए जाने जाते हैं. यानी कैप्टन में हर वो गुण है जो उन्हें कांग्रेस के लिए अनफिट बनाता है.

इसके बाद बात अगर कांग्रेस पार्टी की हो तो चाहे पंजाब हो या फिर उत्तर प्रदेश. वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस किस स्थिती में है? कहां खड़ी है? ये दुनिया से छिपा नहीं है. 2014 के बाद जिस तरह एक एक करके राज्यों से सफाया हो रहा है कांग्रेस में वही लोग बने रहेंगे जो बिना मेहनत किए हुए मलाई खाना चाहते हैं. इस बात को ऐसे भी समझ सकते हैं कि आज कांग्रेस में उसी के लिए जगह है जिनकी हैसियत राजनीतिक रूप से बुझे हुए कारतूसों से ज्यादा कुछ नहीं है.

सोनिया और कांग्रेस को कैप्टन से शिकायत थी. कैप्टन कांग्रेस और राहुल गांधी की नीतियों से नाराज थे. ऐसे में सवाल ये है कि आखिर जो फैसला उन्होंने चुनाव से फ़ौरन पहले लिया उसे उनके द्वारा पहले ही क्यों नहीं ले लिया गया? कहीं ऐसा तो नहीं कि कैप्टन को भी पंजाब में अपनी स्थिति का अंदाजा था?

बहरहाल बात सोनिया के आरोपों की और उन आरोपों पर कैप्टन की सफाई की हुई है इसलिए ये कहना भी गलत नहीं है कि कांग्रेस को बकरा मिल गया है. अब वो लगातार कैप्टन के गले पर छुरी चलाएगी और खुद को बेसहारा, लाचार और मजबूर दिखाएगी वहीं कैप्टन का जैसा स्टेटस था उनको कांग्रेस के ट्रैप में फंसते देखना कई मायनों में दुखद है.  

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बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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