कतर संकट और भारत पर असर
कतर संकट ने खाड़ी देशों के साथ साथ पूरे विश्व की राजनीति को तो हिला कर रख ही दिया है. जानिए, क्या हैं अरब देशों द्वारा कतर से संबंध तोड़ने की वजहें और इसका भारत पर कितना असर होता है.
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इसी महीने के पहले हफ्ते से जारी कतर संकट ने खाड़ी देशों के साथ साथ पूरे विश्व की राजनीति को तो हिला कर रख ही दिया है, इस संकट से कतर में रह रहे भारतीय मूल के करीब साढ़े छह लाख लोग भी प्रभावित हुए हैं. गौरतलब है कि सऊदी अरब, बहरीन, मिस्त्र और संयुक्त अरब अमीरात ने कतर से रिश्ते खत्म करने का ऐलान कर दिया. चारों देशों ने कतर के साथ डिप्लोमेटिक रिश्तों के साथ जमीन, समुद्र और हवाई रिश्ते भी खत्म कर दिए हैं.
सऊदी समेत 4 अरब देशों ने तोड़ा कतर से रिश्ता
अरब देशों द्वारा कतर से संबंध तोड़ने की वजहें-
* एक दौर ऐसा था जब कतर खाड़ी देशों में सबसे गरीब था, लेकिन आज ये इलाके के सबसे अमीर देशों में शामिल है.
* कतर की आमदनी का सबसे बड़ा स्रोत उसके गैस भंडार हैं.
* खाड़ी देशों ने आरोप लगाया कि कतर अपने देश में कथित रूप से अल कायदा और आईएस जैसे गुटों का समर्थन और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है.
* गल्फ देशों का मानना है कि कतर, मुस्लिम ब्रदरहुड (एक सुन्नी कट्टरपंथी संगठन) के मेंबर और मिस्र के पूर्व प्रेसिडेंट मोहम्मद मुरसी को सपोर्ट करता था.
* मार्च 2014 में सऊदी अरब, यूएई और बहरीन ने कतर से अपने एम्बेसडर्स बुला लिए थे.
* अमेरिका मानता है कि कतर, ईरान को सपोर्ट करता है और अमेरिका, ईरान का विरोधी है.
* कतर पर आरोप लगाया गया कि मई में हैकर्स ने उसकी न्यूज एजेंसी पर कब्जा कर लिया था इसमें उसके अमीर की तरफ से ईरान और इजरायल पर कमेंट्स किए गए थे.
* कतर पर हमास और तालिबान के भगोड़े आतंकियों को शरण देने का भी आरोप है.
* और इसी बहाने बहरीन, सऊदी अरब, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, यमन, लीबिया और मालदीव ने पांच जून को कतर से राजनयिक रिश्ते तोड़ लिए जिससे अरब जगत में भूचाल आ गया जो अभी भी जारी है.
हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब अरब कुनबे में कतर को लेकर सवाल उठाए गए हों. 2014 में बहरीन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने अपने राजदूतों को कतर से वापस बुला लिया था. सऊदी अरब और यूएई ने उस वक्त मिस्र में आंदोलन कर रहे मुस्लिम ब्रदरहुड को समर्थन किए जाने को लेकर कतर का विरोध कर दिया था.
इस तरह से पड़ेगा भारत पर प्रभाव
* कतर के साथ भारत के गहरे कारोबारी रिश्ते हैं.
* करीब 16 अरब डॉलर का भारत और कतर का आपसी कारोबार है.
* भारतीय कंपनियां कतर के अहम रोड प्रोजेक्ट, रेल प्रोजेक्ट और मेट्रो प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं.
* भारत कतर को करीब हर साल करीब 900 मिलियन डॉलर का निर्यात करता है.
* भारत सबसे ज्यादा प्राकृतिक गैस कतर से लेता है.
* पेट्रोनेट एलएनजी सालाना 8.5 मिलियन टन एलएनजी की खरीद कतर से लॉन्ग टर्म करार के तहत करती है.
* भारतीय कंपनी एल एंड टी 74 करोड़ डॉलर की लागत वाली निर्माण योजना से जुड़ी है.
* भारत कतर से एथलीन, प्रोपलीन, अमोनिया, यूरिया और पोलिथिन का आयाता करता है.
* कतर में बसे भारतीयों में से काफी लोग ऐसे भी हैं जो कतर में व्यापार करते हैं और वो अन्य खाड़ी मुल्कों सऊदी अरब, यूएई, बहरीन और मिश्र में भी फैला हुआ है ऐसे में अब उन लोगों के सामने दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं.
* खाड़ी देशों में कार्यरत लाखों भारतीयों के रोजगार पर भी असर पड़ सकता है
एक नजर भारत और कतर संबंधों पर
* जून 2016 में प्रधानमंत्री मोदी कतर गए थे.
* नरेंद्र मोदी पिछले आठ साल में कतर जाने वाले पहले भारतीय थे.
* कतर के शेख अब्दुल्लाह बिन नसीर अल थनी 2015 में भारत के दौरे पर आए थे और इस दौरान उन्होंने मोदी को न्योता दिया था.
* साल 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कतर का दौरा किया था.
हालांकि कतर ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज किया है और अभी शांति या समझौता की दिशा में कोई खास प्रगति के संकेत नहीं मिल रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि ये संकट लंबे समय तक रह सकता है और भारत के साथ साथ इससे बाहरी दुनिया की चिंता बढ़ना लाजिमी है क्योंकि ये मध्य पूर्व को और अधिक अस्थिर कर सकता है.
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