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| बड़ा आर्टिकल
सुशोभित सक्तावत
@sushobhit.saktawat
फिलिस्तीनी पहचान और महात्मा गांधी के विचार
अंग्रेज़ों के लिए इंग्लैंड, फ्रैंच के लिए फ्रांस, फ़लस्तीनियों के लिए अरब, हिंदुस्तानियों के लिए हिंदुस्तान- इस आशय के कथनों की व्याख्या तब कैसे की जाए, क्योंकि अंग्रेज़, फ्रैंच, फ़लस्तीनी, हिंदुस्तानी- ये तमाम राष्ट्रीयताएँ हैं और इज़रायल-फ़लस्तीन संघर्ष के मूल में सामुदायिक संघर्ष का प्रश्न है.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
Ramzan Mubarak: लेकिन ये रमज़ान है या रमादान? समझिए इन शब्दों का इतिहास...
रमज़ान (Ramzan) और रमादान (Ramadan) एक ही है, बस भाषा का फर्क है, क्योंकि अरबी भाषा में 'ज़' (zwad) अक्षर का उच्चारण ही नहीं है. बल्कि उसे 'द' (dwad) बोला जाता है.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
रिम्मी कुमारी
@sharma.rimmi
फरेब है सऊदी अरब में महिलाओं को आजादी की खबर!
सऊदी सरकार ने महिलाओं को आजादी देने के नाम पर थोड़ा नरम रूख तो अपनाया है लेकिन वो सिर्फ महिलाओं के हाथ में झुनझुना थमाने जैसा ही है.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
अरविंद मिश्रा
@arvind.mishra.505523
कतर संकट और भारत पर असर
कतर संकट ने खाड़ी देशों के साथ साथ पूरे विश्व की राजनीति को तो हिला कर रख ही दिया है. जानिए, क्या हैं अरब देशों द्वारा कतर से संबंध तोड़ने की वजहें और इसका भारत पर कितना असर होता है.
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
मोहित चतुर्वेदी
@mohitchaturvedi123
पाक ने इंटरनेशनल फ्लाइट को बना दिया सरकारी बस!
अगर किसी देश की इंटरनेशनल फ्लाइट पैसेंजर्स को सरकारी बस की तरह सफर कराए तो हंसी आना लाजमी है. देखिए हमारे पड़ोसी देश ने क्या-क्या कारनामें किए हैं...
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
राकेश चंद्र
@rakesh.dandriyal.3
धीरे-धीरे अरब बनता जा रहा है केरल !
केरल की परम्परागत ड्रेस शर्ट और मुंडू को रिटायर करके अरबी चोंगा पहनना और सर पर गोल टोपी का स्वागत शुरू हो गया है. दुकानों के साइनबोर्ड पर लिखावट भले अंग्रेजी हो, लेकिन स्टाइल अरब वाला है.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
पारुल चंद्रा
@parulchandraa
चीन में डुप्लीकेट मक्का! मिली 9/11 जैसे हमले की धमकी
चीन के कलाकारों को कॉपीकैट कहा जाता है. हर चीज का डुप्लीकेट बना लेते हैं चीनी. लेकिन चीन तो इतना बड़ा नकलची है कि छोटी मोटी चीज छोड़ो, पूरे के पूरे शहर की ही नकल कर लेता है. लेकिन इस बार ये नकल चीन पर भारी न पड़ जाए.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
अजीब फतवों की अनूठी फेहरिस्त...
हैरानी होती है कि धर्म के जानकार लोग इस तरह के बेतुके फतवे जारी कर अपनी किस सोच और समझ की नुमाइश करते हैं. पर सुकून इस बात का है कि फतवों को मानने के लिए कोई भी कानूनी रूप से बाध्य नहीं होता.
समाज
|
बात की बात...
| 2-मिनट में पढ़ें
धीरेंद्र राय
@dhirendra.rai01
तो क्या लोकतंत्र के लिए अनफिट है अरब-अफ्रीका ?
आतंकवाद के खिलाफ 15 साल तक लड़ाई लड़ने के बाद दुनिया इस नतीजे पर पहुंच रही है कि कुछ लोग- अरब, चीन और अफ्रीका वाले- लोकतंत्र के लिए तैयार ही नहीं हैं.