फरेब है सऊदी अरब में महिलाओं को आजादी की खबर!
सऊदी सरकार ने महिलाओं को आजादी देने के नाम पर थोड़ा नरम रूख तो अपनाया है लेकिन वो सिर्फ महिलाओं के हाथ में झुनझुना थमाने जैसा ही है.
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सऊदी अरब में औरतों का जीवन किसी कैद से कम नहीं है. पितृसत्ता की असली, भयवाह और दमघोटू तस्वीर देखनी हो तो सऊदी अरब का एक चक्कर लगा आइए. वहां की महिलाओं की डिक्शनरी में आजादी का मतलब पैदा होना ही होता है. क्योंकि पैदा हो जाने के बाद और मौत की चादर ओढ़ने तक फिर कभी महिलाएं अपनी मर्जी से सांस भी नहीं ले सकतीं. हर काम के लिए उन्हें घर के किसी पुरूष के इजाजत या फिर उसके साथ की जरुरत होती है.
- घर के बाहर जाना है- बाप, पति, भाई (चाहे छोटा ही क्यों न हो) या फिर बेटे को साथ लेकर जाएं. क्यों? क्योंकि वहां का कानून कहता है कि महिला को बिना किसी पुरुष के घर की दहलीज नहीं लांघनी.
- पढ़ाई करनी है. पुरूष सदस्य की परमिशन लेकर आओ.
- हॉस्पीटल जाना है. परमिशन!
- पासपोर्ट अप्लाई करना है. परमिशन? फिर चाहे वो बेटे का ही परमिशन लेना क्यों न पड़े. लो.
- गाड़ी चलानी है. जेल जाओ! क्योंकि गाड़ी चलाने वाली लड़कियां शराब पीने लगती हैं और देर रात तक घर से बाहर रहती हैं.
- चुनाव में वोट करना है. दिमाग का इलाज कराओ. औरतें घर और औकात के अंदर ही सही लगती हैं.
- किसी सरकारी कागज को निकलवाना है तो घर के किसी मर्द का परमिशन लाओ.
तो ये था सऊदी अरब का चेहरा. लेकिन पिछले दस सालों में यहां के कानूनों में बदलाव आना शुरु हुआ है.
आजादी का ये दिखावा है!
- 2012 में पहली बार महिलाओं को ओलंपिक में हिस्सा लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.
- 2013 में तात्कालीन शासक किंग अब्दुला ने सरकार के 30 महिलाओं को शुरा काउंसिल में जगह दी. शुरा काउंसिल देश की सबसे बड़ी सलाहकारी संस्था है.
- 2015 में सऊदी के इतिहास में पहली बार महिलाओं को निकाय चुनावों में वोट देने और चुनाव लड़ने का अधिकार मिला.
- खुदरा बाजार और हॉस्पिटेलिटी सेक्टर में महिलाओं को काम करने की इजाजत मिली.
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- मई 2017 में एक कानून पास हुआ जिसमें महिलाओं को सरकारी नौकरी करने के लिए अप्लाई करने के पहले, किसी मेडिकल सेवा को लेने के पहले या फिर पढ़ाई करने तक के लिए पुरूष के परमिशन की जरुरत को खत्म कर दिया गया.
- अगस्त 2017 में सऊदी के युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने महिलाओं के लिए red sea resort के बनाने का प्लान पेश किया है. इसकी खासियत क्या है? इस रिसॉर्ट को खास महिलाओं के लिए बनाया जा रहा है, जहां सऊदी की महिलाएं बिकनी पहन सकती हैं!
- और अब सऊदी की महिलाओं के पंखों को उड़ान देने के लिए एक नया कानून और लाया गया. युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने एक आदेश में कहा है कि अब सऊदी की महिलाएं गाड़ी चलाने के लिए स्वतंत्र हैं. इस आदेश के पालन के लिए एक कमिटि बनाई गई है जिसे 30 दिनों के भीतर अपना जवाब देना है. अगले साल 24 जून तक इस नए कानून को देशभर में लागू कर देना है.
- इसके पहले बीते रविवार को सऊदी की महिलाओं को पहली बार स्पोर्ट्स स्टेडियम में जाने की इजाजत भी दी गई थी. मौका था देश के 87वें स्थापना दिवस समारोह का. इस मौके को महिलाओं को स्टेडियम में प्रवेश देकर ऐतिहासिक बना दिया गया.
रेगिस्तान की तपती गर्मी में वहां की महिलाओं के लिए ये बदलाव किसी ठंडे झोंके की तरह सुकून देने वाले ही होंगे. लेकिन फिर भी अभी औरतों की ये आजादी और कुछ नहीं बल्कि पाखंड है. नाटक है. दिखावा है. क्योंकि बिना किसी पुरुष के आप घर से बाहर नहीं निकल सकतीं. अस्पताल के अलावा कहीं भी जाना है तो पुरुष की इजाजत जरुरी है. दुकानों में कपड़े ट्राई नहीं कर सकतीं. बार्बी डॉल नहीं खरीद सकतीं जैसी कई पाबंदियां अभी भी इनके ऊपर वैसे ही लगी हुई हैं जैसे पहले थी.
जब तक ये सारे दकियानूसी और घटिया प्रतिबंध हटाए नहीं जाते सही मायने में सऊदी की महिलाओं को आजादी मिलने से रही. हां ये मानकर अपने दिल को तसल्ली जरुर दे सकते हैं कि कुछ नहीं से कुछ तो अच्छा ही है. फिर भी दिल्ली अभी बहुत दूर है.
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