क्या राहुल गांधी बचा पायेंगे अपनी आदिवासी वोट बैंक ?
माना ये जा रहा है कि बीजेपी के मिशन 150 सीट के लक्ष्य को अगर चकनाचूर करना है तो शुरुआत इन अदिवासी वोटरों से ही हो सकती है जो सालों से कांग्रेस के साथ थे और पिछले चुनाव में बंट गए थे.
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गुजरात चुनाव को अब बस 6 महीने से भी कम वक्त बचा है, ऐसे में राहुल गांधी ने आज गुजरात के डेडियापाड़ा में आदिवासी रैली के जरिए चुनावी प्रचार का शंखनाद कर दिया है. राहुल गांधी की नवर्सजन रैली का महत्व इसलिये भी है क्योंकि आज गुजरात का स्थापना दिन भी है. गुजरात से चुनावी सभा की शुरुआत के साथ-साथ राहुल गांधी कांग्रेस की पारंपरिक वोट बैंक को बचाने का प्रयास भी करेंगे.
दरअसल आदिवासी वोट बैंक इन्दिरा गांधी के जमाने से कांग्रेस का ही रहा है, नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते बीजेपी ने उसमें सेंध लगाई है. ऐसे में माना ये जा रहा है कि बीजेपी के मिशन 150 सीट के लक्ष्य को अगर चकनाचूर करना है तो शुरुआत इन अदिवासी वोटरों से ही हो सकती है जो सालों से कांग्रेस के साथ थे और पिछले चुनाव में बंट गए थे.
राहुल गांधी ने आदिवासियों को लुभाने के लिये देवमुग्रा में स्थित उनकी कुल देवी पांडुरी देवी के मंदिर में दर्शन भी किये. ये पहली बार नहीं है, इससे पहले जब राहुल पाटीदार बहुल इलाके उत्तर गुजरात में सभा के लिये आए थे, तो यहां भी वो पाटीदारों की कुलदेवी उमियाधाम गए और पूजा की थी.
आदिवासी वोट का गुजरात की राजनीति में महत्व
गुजरात में 14 ऐसे जिले हैं जहां पर आदिवासी वोटर चुनाव का रुख तय करते हैं, जिसमें 15 प्रतिशद वोटर आदिवासी हैं. इन 14 जिलों में आदिवासी वोट बैंक वाली 27 सीटें हैं. जो पूरी तरह आदिवासियों के वोट पर आधीन हैं.
2012 के चुनाव से पहले इन सीटी पर कांग्रेस ने पूरी तरह अपनी पकड़ बना रखी थी, हालांकि उस वक्त के मुख्यमंत्री और आज देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस की इस पकड़ को कमजोर किया, जिसमें खासकर सिंचाई योजना, बच्चों को मुफ्त किताबें, आदिवासियों के विकास की अलग-अलग योजना के तहत खुद की ओर आकर्षित किया. गुजरात में आदिवासी सीट का प्रभुत्व 27 सीटों पर है, पिछले चुनाव में इन सीटों पर कांग्रेस को 15 और बीजेपी को 12 सीट मिली हैं.
इंदिरा, राजीव ओर सोनिया गांधी भी कर चुकी हैं आदिवासी इलाकों में प्रचार
गुजरात के आदिवासी वोट बैंक के बीच इन्दिरा गांधी और सोनिया गांधी दोनों ही वक्त-वक्त पर प्रचार और प्रसार के लिये यहां आते रहे हैं. 2008 में सोनिया गांधी दक्षिण गुजरात के आदिवासी इलाके चिखली में प्रचार के लिये आईं थीं, जबकि इन्दिरा गांधी का चेहरा आज भी आदिवासी इलाकों में अपना महत्व रखता है, यही वजह है कि इस नवसर्जन आदिवासी अधिकार जनसभा में मंच पर एक बड़ी तस्वीर इंदिरा गांधी की लगायी गयी थी. तो वहीं राजीव गांधी यहां नर्मदा में सरदार सरोवर बांध के दौरे पर आये थे.
हाल ही में गुजरात कांग्रेस के प्रभारी बने अशोक गहलोत ने राहुल गांधी का रिश्ता आदिवासियों से जोड़ दिया. उन्होंने कहा कि परिवार ने जो संबध बनाया है राहुल भी उसी संबंध को आगे बढ़ाने के लिये यहां पहुंचे हैं.
राहुल ने आदिवासियों के जरिए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा. राहुल ने कहा कि गुजरात का विकास मॉडल सिर्फ 10 से 15 पुंजीपतियों का विकास मॉडल है, यहां आदिवासियों का विकास नहीं हुआ. राहुल ने कहा कि जिस जल, जंगल और जमीन पर आदिवासियों का हक है उसे मोदी सरकार ने कभी नहीं दिया. साथ ही प्रधानमंत्री पर निशान साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री सिर्फ मन की बात कहते हैं, आदिवासियों के दिल की बात सुनते नहीं. राहुल ने आदिवासियों से वादा किया कि अगर कांग्रेस आएगी तो आदिवासी फिर से खुशहाल होंगे.
राहुल की सभा में आए आदिवासी राहुल की जल, जगंल और जमीन वाली बात से काफी प्रभावित हुए, क्योंकि सालों से सरकार के साथ इसी मुद्दे पर बातचीत हो रही है. एक आदिवासी ने कहा कि वो बरसों से कांग्रेस के साथ जुडे हुए हैं, हालांकि अगर राज्य में भाजपा कि सरकार है तो कांग्रेस भी क्या करेगी.
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