राहुल गांधी खुद को ही देख लें, पायलट हो जाने भर से नेतागिरी नहीं आ जाती!
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का दावा है कि पायलट की ट्रेनिंग (Pilot Training) लेने से लीडरशिप क्वालिटी विकसित हो जाती है. वो खुद की ही मिसाल भी दे रहे हैं - अगर ऐसा होता तो कांग्रेस नेतृत्व संकट (Congress Leadership Crisis) से क्यों जूझ रही होती?
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राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने अपने नये यूट्यूब वीडियो में एक पायलट में पायी जाने वाली खास खास खूबियां बतायी हैं. पायलट की ट्रेनिंग से प्राप्त नेतृत्व क्षमता बताने के क्रम में राहुल गांधी ने अपनी ही मिसाल भी दे डाली है - लेकिन लीडरशिप क्वालिटी को लेकर राहुल गांधी की गढ़ी गयी परिभाषा को उनका अपना ट्रैक रिकॉर्ड ही खारिज कर दे रहा है.
अगर वास्तव में ऐसा ही होता तो भला कांग्रेस क्यों नेतृत्व संकट (Congress Leadership Crisis) से जूझ रही होती? भला क्यों राहुल गांधी की ही नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाये जाते?
राहुल गांधी का ये वीडियो यूथ कांग्रेस की तरफ से आयोजित राजीव गांधी फोटो प्रदर्शनी में बनाया गया है. 5.48 मिनट के वीडियो में राहुल गांधी ने अपने पिता के साथ फ्लाइट में बिताये वक्त को याद किया है. राहुल गांधी बताते हैं कि कैसे उनके पिता राजीव गांधी बड़े सवेरे ही प्लेन में निकल पड़ते थे. साथ में ये भी बताया है कि कैसे राजीव गांधी ने उनके चाचा संजय गांधी को वो प्लेन उड़ाने से मना किया था जो हादसे का शिकार हो गया.
बेहद भावनात्मक वीडियो के जरिये राहुल गांधी कई सारी स्मृतियां तो शेयर की ही हैं, ये भी बताया है कि कैसे पायलट की ट्रेनिंग (Pilot Training) लेने से सार्वजनिक जीवन में भी काफी कुछ सीखने को मिल जाता है - चीजों को बड़े स्तर पर देखने का नजरिया तैयार हो जाता है.
बेशक मान सकते हैं कि पायलट बनने की प्रक्रिया से गुजरने के बाद चीजों को देखने का नजरिया बदल सकता है, लेकिन विजन बड़ा होने से नेतागिरी भी आसान हो जाएगी, ये कैसे संभव है - और सिर्फ राजीव गांधी या राहुल गांधी ही नहीं देश में पहले भी कई नेता रहे हैं और कई मौजूदा दौर में भी कई नेता ऐसे हैं जो प्रशिक्षित पायलट हैं - लेकिन पायलट की ट्रेनिंग ले लेने भर से कोई देश के लिए भी अच्छा नेता साबित होगा ही ये जरूरी तो नहीं.
भारत के पायलट पॉलिटिशियन
ऐसा तो नहीं कि राहुल गांधी अपने पिता राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बन जाने की पीछे भी उनका पायलट होना ही वजह मानते हैं? और अपने चाचा संजय गांधी की राजनीति के सुने हुए किस्सों को भी उनके पायलट होने की खासियत से ही जोड़कर देखते हैं?
राजेश पायलट तो एयरफोर्स में ही रहे और 1971 की भारत-पाक जंग में बमवर्षक जहाज भी उड़ाये थे - राजनीति में उनको लाने वाले राजीव गांधी ही थे. राजेश पायलट के बेटे सचिन पायलट भी कांग्रेस में ही हैं और वो भी पायलट की ट्रेनिंग ले चुके हैं - विडंबना ये है कि पेशेवर जादूगर रहे खांटी पॉलिटिशियन अशोक गहलोत ने तो जैसे सचिन पायलट की नेतृत्व क्षमता को रौंद ही डाला है क्योंकि वो राहुल गांधी और सोनिया गांधी को ये समझाने में सफल रहे कि सचिन पालटल निकम्मा और नकारा है.
राजीव गांधी तो व्यावसायिक पायलट होने के बाद राजनीति में आये थे, लेकिन बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी तो राजनीति में आने के बाद पायलट बने. एक इंटरव्यू में राजीव प्रताप रूडी ने बताया था, '2010 में मुझे प्राइवेट पायलट का लाइसेंस मिला और तब मैंने उड़ान भरनी शुरू की. फिर मैंने पटना फ्लाइंग क्लब से व्यावसायिक लाइसेंस हासिल किया.'
राजीव प्रताप रूडी एनडीए की पिछली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री भी रहे और पायलट तब बने जब बीजेपी केंद्र की सत्ता से बाहर हो चुकी थी. 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजीव प्रताप रूडी को अपने ड्रीम प्रोजेक्ट्स में शुमार स्किल डेवलपमेंट मंत्रालय का जिम्मा सौंपा लेकिन बाद में उनके परफॉर्मेंस से नाखुश होकर कैबिनेट से ही हटा दिया.
अपने तौ अपने सचिन पायलट का केस भी राहुल गांधी की लीडरशिप की गढ़ी गयी परिभाषा का मजाक ही उड़ा रहा है
राजीव प्रताप रूडी की ही तरह देश के एक और नागरिक उड्डयन मंत्री रहे प्रफुल्ल पटेल भी जहाज उड़ाते तो हैं, लेकिन बड़े व्यावसायिक जहाज नहीं. ताजा मंत्रिमंडल विस्तार में केंद्रीय मंत्री बने कर्नाटक से आने वाले बीजेपी नेता राजीव चंद्रशेखर भी अपनी प्लेन खुद ही उड़ाते हैं.
ओडिशा से बीजेडी के सासंद रहे बैजयंत जे पांडा फिलहाल बीजेपी में हैं और अपना हेलीकॉप्टर वो खुद ही उड़ाते हैं. अपने चुनाव अभियान में एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए भी वो ऐसा ही करते हैं.
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के पिता बीजू पटनायक के किस्से तो बड़े ही दिलचस्प हैं. बीजू पटनायक पायलट तो थे ही, एक बार जब इंडोनेशियाई बागी नेता सुकर्नो की बेटी मेगावती फंसी हुई थीं तो प्लेन लेकर गये और सुरक्षित निकाल लाये. सुकर्नों बाद में इंडोनेशिया का राष्ट्रपति बने थे.
@IndiaHistorypic: Biju Patnaik was a trained Pilot, one of First to Land Plane in #Kashmir Tribal Attack in 1947 " pic.twitter.com/YxZqsMfC3o
— Bhubaneswar Buzz (@BBSRBuzz) April 17, 2015
रेल मंत्री रहे दिनेश त्रिवेदी जिनका सफर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस से होते हुए बंगाल चुनाव के दौरान ही बीजेपी में एंट्री पा गया - वो भी पायलट हैं और शौकिया उड़ान भर चुके हैं.
राहुल गांधी को पायलट की क्षमता साबित करनी होगी
राहुल गांधी को अब तक उनकी सार्वजनिक सभाओं में मंच पर पुश करते या एकिडो का प्रदर्शन करते देखा जाता रहा है. हाल में हुए केरल विधानसभा चुनावों में राहुल गांधी के सिक्स पैक ऐब्स और बाइसेप्स की नुमाइश भी देखने को मिली थी, जिसे सोशल मीडिया पर शेयर करने को लेकर कांग्रेस नेता होड़ लगाये हुए थे.
@RahulGandhi has got abs also? Watch this photo closely. This is after he was swimming in sea pic.twitter.com/hlnXu7xMVV
— Rajeev Shukla (@ShuklaRajiv) February 26, 2021
क्या राहुल गांधी ये सब अपनी नेतृत्व क्षमता साबित करने के लिए करते रहते हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फिटनेस की चर्चा होती है जिसके लिए वो योग की मदद लेते हैं और उसी की बदौलत बताया जाता है कि वो रोजाना 18 से 20 घंटे तक काम करते हैं. प्रधानमंत्री मोदी इसे बढ़ावा देने के लिए एक बार फिटनेस चैलेंज की शृंखला भी शुरू कर चुके हैं - जिसके बाद कई नेताओं और बॉलीवुड सेलीब्रिटी ने अपने वीडियो शेयर किये थे.
2009 के आम चुनाव के दौरान बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे और जब उनकी बढ़ती उम्र पर चर्चा हुई तो खुद ही बताये कि वो पूरी तरह फिट हैं और अल्प भोजन लेते हैं.
कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान भी राहुल गांधी के फिटनेस की चर्चा हुई थी - और ये भी बताया जा चुका है कि कैसे कैंपेन के दौरान भी राहुल गांधी जहां कहीं भी मैदान मिलता है अपनी रूटीन की दौड़ का अभ्यास नहीं छोड़ते.
और अब ये बता कर कि वो पायलट की भी ट्रेनिंग ले चुके हैं - राहुल गांधी का दावा है कि एक पायलट ही अच्छा नेता हो सकता है क्योंकि चीजों को देखने का उसका नजरिया बड़ा हो जाता है.
ये बात अलग है कि कभी कांग्रेस भी आम चुनाव में जीत कर बहुमत हासिल करे और राहुल गांधी भी प्रधानमंत्री बन जायें, लेकिन सत्ता की राजनीति में चुनाव जीतना और जिताना भी नेतृत्व क्षमता से ही जुड़ा माना जाता है - और राहुल गांधी दोनों ही मामलों में फेल साबित हो चुके हैं.
राहुल गांधी अमेठी से खुद तो चुनाव हार ही चुके हैं, 2019 के आम चुनाव के बाद से किसी भी विधानसभा चुनाव राहुल गांधी कांग्रेस की जीत पक्की नहीं कर पाये हैं - और अब तो हाल ये हो चला है कि जब भी चुनाव नतीजे आते हैं G-23 के कपिल सिब्बल जैसे नेता ताने मारने लगते हैं. बिहार चुनाव के बाद तो कांग्रेस के गठबंधन पार्टनर आरजेडी के नेता ही राहुल गांधी का मजाक उड़ाने लगे थे.
एक पायलट के अच्छे नेता होने का राहुल गांधी का दावा सचिन पायलट के मामले भी गलत साबित होता है - क्योंकि राजस्थान में तो वो अशोक गहलोत को ही नेता मानते हैं, जबकि सचिन पायलट का भी कहना है कि वो भी पायलट की ट्रेनिंग लिये हुए हैं क्योंकि उनके दोस्त चिढ़ाते थे कि वो नाम के ही पायलट हैं.
आखिर राहुल गांधी को अब तक सचिन पायलट की नेतृत्व क्षमता पर भरोसा क्यों नहीं हो रहा है? ये ठीक है कि राहुल गांधी ने ही सचिन पायलट को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था - लेकिन जब अशोक गहलोत अपनी पर उतर आये तो राहुल गांधी ने अपने हाथ ही पीछे खींच लिये.
राहुल गांधी अब से भी कांग्रेस की समस्याएं सुलझा लें तो बाकियों की कौन कहे, राजनीतिक विरोधी बीजेपी को भी उनकी नेतृत्व क्षमता का लोहा मानने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, लेकिन जिस तरीके से राजस्थान ही नहीं, पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू का झगड़ा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा, जिस तरह छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर दो नेताओं में टकराव शुरू हो गया है और प्रशांत किशोर की कांग्रेस में एंट्री के मामले में राहुल गांधी को नेताओं का विरोध फेस करना पड़ रहा है - कैसे मान लिया जाये कि राहुल गांधी भी अच्छे नेता हैं क्योंकि वो पायलट भी हैं?
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