..तो राहुल गांधी ने राफेल का विवाद ही 'उत्तेजना' में खड़ा किया है!
चुनावी प्रचार में मोदी सरकार के खिलाफ राहुल गांधी की उत्तेजना इतनी बढ़ी कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही गलत तरीके से मीडिया के सामने परोस दिया. अब माफी मांगने की नौबत आ गई है. इनके भी हाल केजरीवाल जैसे हो गए हैं.
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लोकसभा चुनावों के इस मौसम में राहुल गांधी अपनी हर चुनावी रैली में 'चौकीदार चोर है' के नारे लगाते और लगवाते दिखाई देते हैं. इसी बीच 10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील मामले पर कुछ गोपनीय दस्तावेजों के आधार पर दोबारा सुनवाई का फैसला सुनाया. बस फिर क्या था, राहुल गांधी ये खबर सुनकर फूले नहीं समाए और उत्तेजना में बहकर न जाने क्या-क्या कह गए. चुनावी प्रचार में मोदी सरकार के खिलाफ उत्तेजना इतनी बढ़ी कि कोर्ट के फैसले को ही गलत तरीके से मीडिया के सामने परोस दिया.
तब भले ही राहुल गांधी ने उत्तेजना में आकर जो मन में आया बोल दिया, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के सामने जाकर अपनी बात के लिए उन्हें माफी मांगनी पड़ रही है. वैसे भी, राहुल गांधी उत्तेजना में काफी कुछ कर देते हैं. ध्यान से देखा जाए तो पता चलता है कि राफेल को लेकर पूरा विवाद ही राहुल गांधी ने उत्तेजना में खड़ा किया है. पहले मेक्रों से बातचीत, फिर ओलांद के बयान का जिक्र और अंत में एचएएल. सभी में राहुल गांधी को मुंह की खानी पड़ी.
पहले तो उत्तेजना में राहुल गांधी ने गलत बोल दिया, अब सुप्रीम कोर्ट के सामने माफी मांगनी पड़ रही है.
सुप्रीम कोर्ट में बोले- चुनाव की उत्तेजना में गलती से बोल दिया
राहुल गांधी ने कहा था कि अब तो सुप्रीम कोर्ट भी मान चुका है कि 'चौकीदार चोर है'. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी मान गया है कि कुछ न कुछ तो गड़बड़ हुई है. लेकिन उस समय राहुल गांधी ये भूल गए थे कि वह चौकीदार चोर है कहने के लिए सुप्रीम कोर्ट का संदर्भ ले रहे हैं. अब सोमवार को जब वह सुप्रीम कोर्ट के सामने पहुंचे तो बोले- 'मैं मानता हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने कभी नहीं कहा कि 'चौकीदार चोर है'. मेरी ओर से यह बयान चुनाव प्रचार के दौरान उत्तेजना में दिया गया था. मैं आगे से पब्लिक में ऐसी टिप्पणी नहीं करूंगा, जब तक कि कोर्ट में ऐसी बात रिकॉर्ड में न कही गई हो.' दरअसल, 'चौकीदार चोर है' राहुल गांधी का चुनावी हथियार है. इसे वह हर रैली और चुनाव प्रचार के दौरान इस्तेमाल करते हैं. सुप्रीम कोर्ट के मामले से पहले भी राहुल गांधी उत्तेजना में बहुत कुछ कह चुके हैं, लेकिन इस बार उन्होंने सर्वोच्च न्यायलय से पंगा लेकर गलती कर दी.
इमैनुएल मेक्रों से बातचीत की कहानी गढ़ी
जिस राफेल डील को लेकर राहुल गांधी 'चौकीदार चोर है' के नारे लगा रहे हैं, उसका आधार थी एक बातचीत, जो राहुल गांधी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मेक्रों के बीच हुई थी. लोग राहुल गांधी की बात पर यकीन करने भी लग गए थे, लेकिन तभी खुद मेक्रों ने वो हकीकत बताई, जिसने ये साबित कर दिया कि वो सारी कहानी भी राहुल गांधी ने उत्तेजना में गढ़ी थी.
राहुल गांधी ने कहा था कि मोदी सरकार गोपनीयता की आड़ लेकर राफेल विमान सौदे की कीमत नहीं बता रही है, जबकि फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने उन्हें ये बताया है कि भारत और फ्रांस के बीच ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ है. राहुल ने तो ये भी कह दिया कि मेक्रों ने उन्हें यहां तक कहा है कि आप अपने देश में सभी को ये बात बता सकते हैं. लेकिन इसी बीच रक्षा मंत्री निर्मला सीतारण में समझौते के कुछ अंश सदन में पढ़ दिए, जिनमें लिखा था 2008 में गोपनीयता को लेकर सुरक्षा समझौता हुआ था, जिसके तहत कोई भी देश कीमत को सार्वजनिक नहीं कर सकता. फ्रांस की सरकार ने भी इस बात की पुष्टि कर दी.
फ्रांस्वा ओलांद के मामले में भी मुंह की खाई
मेक्रों को लेकर राहुल गांधी ने जो कहानी संसद में सुनाई थी, उसके झूठा साबित होने के बाद राहुल गांधी की डूबती नैय्या को फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने सहारा दिया. फ्रांस की मीडिया में फ्रांस्वा ओलांद का एक बयान चलना शुरू हुआ, जिसमें दावा किया गया ता कि राफेल विमान बनाने के 58 हजार करोड़ रुपए के समझौते के लिए भारत सरकार ने ही रिलायंस डिफेंस का नाम सुझाया था. ये बयान उन्होंने 'मीडियापार्ट फ्रांस' नाम के मीडिया को दिया था. उन्होंने तो यहां तक कहा था कि दूसरा कोई विकल्प भी नहीं दिया गया. बस फिर क्या था, उधर ओलांद का बयान मीडिया की सुर्खिया बन रहा था, इधर राहुल गांधी ने मोदी सरकार के खिलाफ कमर कस ली. मोदी पर हमला करना भी शुरू कर दिया, लेकिन तभी फ्रांस की सरकार ने एक बयान जारी किया और राहुल गांधी की उत्तेजना एक बार फिर हवा हो गई.
फ्रांस्वा ओलांद के बयान पर उठे विवाद के बीच प्रांस की सरकार ने एक बयान जारी किया था. उसमें कहा गया था कि फ्रांस की सरकार किसी भी तरह से भारतीय औद्योगिक साझेदारों के चयन में शामिल नहीं है. उनका चयन फ्रांस की कंपनियों को करना होता है, जिसकी उन्हें पूरी आजादी होती है. भारत सरकार का दावा भी ऐसा ही है कि रिलायंस डिफेंस का चुनाव फ्रांस की कंपनी दसो एविएशन ने खुद किया था. फ्रांस्वा ओलांद के मामले में भी राहुल गांधी को मुंह की खानी पड़ी.
HAL को लेकर किए दावे भी निकले खोखले
राफेल डील को लेकर राहुल गांधी की ओर से हो रहे हमलों के बीच रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि एचएएल को एक लाख करोड़ रुपए की खरीद के ऑर्डर दिए गए हैं. उनके इस बयान के बाद ही टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक रिपोर्ट में दावा किया कि एचएएल वित्तीय संकट से जूझ रही है. कर्मचारियों को सैलरी तक देने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक ये बातें एक एचएएल अधिकारी ने कही थीं. जैसे ही राहुल गांधी को इस बात का पता चला उन्होंने न आव देखा न ताव और निर्मला सीतारमण से इस्तीफे की गुजारिश करने लग गए. उन्होंने कहा कि निर्मला सीतारमण ने झूठ बोला है. अब या तो वह 1 लाख करोड़ रुपए का ऑर्डर देने के सबूत पेश करें या फिर इस्तीफा दें.
When you tell one lie, you need to keep spinning out more lies, to cover up the first one. In her eagerness to defend the PM's Rafale lie, the RM lied to Parliament. Tomorrow, RM must place before Parliament documents showing 1 Lakh crore of Govt orders to HAL.Or resign. pic.twitter.com/dYafyklH9o
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 6, 2019
इन्हीं सब के बीच एचएएल के ट्विटर हैंडल की ओर से ऐसा ट्वीट आया, जिसने राहुल गांधी की सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. एचएएल ने ट्वीट किया और कहा हमारी वित्तीय हालत में सुधार हो रहा है. एचएएल ने कहा कि 15 हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टरों और 83 हल्के लड़ाकू विमानों का ऑर्डर अपने अंतिम चरण में है. बहुत जल्द इन विमानों को सेना को सौंप दिया जाएगा. इन विमानों से एचएएल की वित्तीय स्थिति में सुधार की पूरी संभावनाएं हैं. एचएएल ने यह भी कहा कि उसने अपनी मौजूदा जरूरतें पूरी करने के लिए 962 करोड़ रुपए का ओवरड्राफ्ट लिया था.
In view of the various media reports on HAL,following is clarified: HAL has taken overdraft of Rs 962 crores. With anticipated collection upto March, the cash position is expected to improve. Orders for LCA Mk1 A (83) & LCH (15) are in advanced stages.@drajaykumar_ias @PTI_News
— HAL (@HALHQBLR) January 6, 2019
आज राहुल गांधी को देखकर अरविंद केजरीवाल याद आ रहे हैं. उन्होंने भी एक के बाद एक कई नेताओं के बारे में उल्टा-सीधा बोला. हो सकता है उन्होंने भी चुनावों को लेकर उत्तेजना हो गई हो. लेकिन बाद में जब अरुण जेटली ने उन पर मानहानी का दावा कर दिया तो उन्होंने ना सिर्फ जेटली से माफी मांगी, बल्कि नितिन गडकरी से भी माफी मांगी. उन्होंने और कुछ अन्य 'आप' नेताओं ने अरुण जेटली पर डीडीसीए के अध्यक्ष पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए थे. लेकिन जब मामला कोर्ट पहुंचा तो कुछ साबित नहीं कर सके, क्योंकि सबूत थे ही नहीं. वही हाल राहुल गांधी का है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश पढ़े बगैर ही उन्होंने कह दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने 'चौकीदार चोर है' मान लिया है. नतीजा ये हुआ कि अब सुप्रीम कोर्ट के सामने जाकर राहुल गांधी को माफी मांगनी पड़ी है. उत्तेजना में आकर वह हर बार मुंह की खाते रहे हैं. उम्मीद है कि आगे से कुछ बोलने से पहले अपनी उत्तेजना पर काबू रखेंगे.
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