दलितों के मामले में राहुल गांधी का स्टैंड शाहबानो केस जैसा ही है
बात बस ये है कि कांग्रेस सत्ता में नहीं है, वरना राहुल गांधी SC/ST कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर वही रवैया अपनाते जो शाहबानो केस में राजीव गांधी ने अपनाया था. चूंकि राहुल गांधी विपक्ष में हैं इसलिए वो फैसले का विरोध कर रहे हैं.
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किसानों के साथ साथ दलित भी अरसे से राहुल गांधी की टास्क लिस्ट का हिस्सा रहे हैं. राहुल गांधी की शुरुआती राजनीति को याद करें तो संसद में कलावती का किस्सा और दलितों के घर खाना खाने की खबरें ही सबसे ऊपर नजर आएंगी. कर्नाटक में जोर शोर से चुनाव प्रचार कर रहे राहुल गांधी ने दलितों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जाने का फैसला किया है.
दलितों के मुद्दे पर राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार को कठघरे में घसीटने की कोशिश की है. राहुल गांधी के आदेश पर कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दलित विरोधी चेहरा सामने आ गया है. दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस ये बात SC/ST को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संदर्भ में कह रही है.
लिंगायत के बाद दलितों के मुद्दे पर फोकस
सुप्रीम कोर्ट ने हाल में अनुसूचित जाति और जनजाति कानून से तुरंत गिरफ्तारी के प्रावधान को खत्म कर दिया. कर्नाटक में लिंगायतों को हिंदू धर्म से अलग दर्जा देकर कांग्रेस ने जो दांव चला है उसका क्या फायदा और नुकसान होगा ये तो चुनावों नतीजे बताएंगे, लेकिन दलितों के मामले में कांग्रेस ने फायदे का अंदाजा जरूर लगा लिया है. बड़ी बात ये है कि राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के विरोध का निर्णय लिया है.
सबका साथ, सबका विकास और...
दलितों के मामले में कांग्रेस के ये कदम उठाने की वजह भी साफ है. दरअसल, कर्नाटक में दलितों की आबादी 24 फीसदी है. मतदाताओं के हिसाब से देखें तो दलितों के बाद मुस्लिम 12.5 फीसदी और फिर लिंगायत 9 फीसदी, वोक्कालिगा 8 फीसदी हैं.
राहुल गांधी ने खबर के लिंक के साथ एक ट्वीट में बीजेपी, संघ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक साथ हमला बोला है.
The SC/ST Act is the most important instrument to prevent atrocities on Dalits/Adivasis.
A complicit Modi Govt failed to defend it in the Supreme Court.
The PM must not abdicate his duty in favour of the anti-Dalit mindset of the BJP/RSS.https://t.co/ytQPCNJLkv
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 21, 2018
राहुल गांधी कर्नाटक में चुनाव प्रचार कर रहे थे और दिल्ली में दलितों का मसला उठाते हुए कांग्रेस नेता अहमद पटेल, आनंद शर्मा, कुमारी शैलजा, ज्योतिरादित्य सिंधिया और रणदीप सुरजेवाला मीडिया के सामने एक साथ आये. सुरजेवाला ने कहा कि इस फैसले के बाद SC/ST कानून ही पूरी तरह खत्म हो गया है - और इसके साथ ही बीजेपी और संघ का दलित विरोधी चेहरा सामने आ गया है.
राजीव गांधी की राह पर राहुल गांधी
गुजरात की तरह कर्नाटक में भी राहुल गांधी की मंदिर दर्शन मुहिम जारी है. गुजरात और कर्नाटक में फर्क बस ये है कि ये मुहिम सिर्फ मंदिरों तक सीमित नहीं है, बल्कि दायरे में चर्च और दरगाह भी आ चुके हैं. राहुल गांधी ने कांग्रेस महाधिवेशन में कहा था कि वो सिर्फ मंदिर ही नहीं बल्कि चर्च और दरगाह पर भी जाते हैं. हालांकि, गुजरता चुनाव के दौरान वो ऐसी बातों की बजाय खुद को शिव भक्त साबित करते देखे गये थे. कर्नाटक का ये मंदिर कार्यक्रम मुख्य तौर पर सवर्ण हिंदुओं को रिझाने तक सीमित लगता है. दलितों के लिए टीम राहुल ने अलग से तैयारी की है.
जहां तक दलितों का सवाल है, राहुल गांधी SC/ST कानून का क्रेडिट लेने की कोशिश करेंगे. वैसे उनका हक भी है, आरटीआई और खाद्य सुरक्षा जैसे कानून लाने को लेकर खुद की पीठ ठोकने वाली कांग्रेस कह तो सकती ही है कि दलितों के लिए भी कानून उसी ने लाया. राहुल गांधी भी डंके की चोट पर कह सकते हैं कि 1989 में उनके पिता राहुल गांधी की सरकार ने ये कानून लाया ताकि दलितों का उत्पीड़न रोका जा सके. साथ ही, ये भी सही है कि इस कानून का दुरुपयोग भी बहुत हुआ और यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट को इसे लेकर कड़े कदम उठाने पड़े.
कर्नाटक चुनाव के प्रचार में कूदे राहुल गांधी लिंगायत समुदाय के बाद अब दलितों के मुद्दे पर ही फोकस होने जा रहे हैं. मामला दिलचस्प सिर्फ इसलिए नहीं कि वो अपने पिता राजीव गांधी के नाम पर क्रेडिट ले रहे हैं, बल्कि उन्हीं की जैसी सोच भी दिखा रहे हैं.
जिस तरह से राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर स्टैंड लिया है, लगता तो यही है कि अगर कांग्रेस की सरकार होती तो इस मामले में भी वही कदम उठाये जाते जो कभी शाहबानो बेगम केस में हुआ था.
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